श्रीलंकाई सरकार 20वां संविधान संशोधन लाकर 19वें संविधान संशोधन द्वारा राष्ट्रपति की शक्तियों पर नियंत्रण लगाने वाले प्रावधानों को ख़त्म करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रही है. भारत की चिंता नया संशोधन नहीं बल्कि 1987 का द्विपक्षीय समझौता है, जो बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में ख़तरे में पड़ सकता है.
असम के दो छात्र संगठनों ने राज्य को नागरिकता संशोधन क़ानून के प्रभाव से बचाने के लिए राष्ट्रपति द्वारा बीते दिसंबर में बंगाल पूर्वी सीमांत नियमन, 1873 में किए गए संशोधनों को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. अदालत का कहना है कि इस बारे में केंद्र का पक्ष सुने बिना कोई रोक नहीं लगाई जा सकती.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय टीचर्स एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो लोग इस्लामोफोबिया फैला रहे हैं, उन्हें फटकारने के बजाय पुलिस उन पर कार्रवाई कर रही है, जो इस तरह की घृणित गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.
समिति के अध्यक्ष भर्तृहरि महताब ने कहा कि श्रमिकों के अधिकारों की कीमत पर उद्योगों को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा है कि भारत में श्रम कानूनों में हो रहे बदलाव अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होने चाहिए.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा कि सरकार, श्रमिक और नियोक्ता संगठनों से जुड़े लोगों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता के बाद ही श्रम कानूनों में किसी भी तरह का संशोधन किया जाना चाहिए.
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्य कोरोना महामारी के नाम पर गोपनीय तरीके से कुछ सालों के लिये कई श्रम क़ानूनों को हल्का कर रहे हैं या रोक लगा रहे हैं. राज्यों की दलील है कि इससे निवेश बढ़ेगा, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि निवेश श्रम क़ानूनों को ख़त्म करने से नहीं बल्कि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और स्किल्ड लेबर से होता है.
प्रवासी मज़दूरों के घर लौटने के प्रयासों के बीच बिहार और उत्तर प्रदेश के 1.09 लाख प्रवासियों ने अपने गृह राज्यों से वापस लौटने के लिए हरियाणा सरकार के वेब पोर्टल पर आवेदन किया है.
पत्र के अनुसार, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और पंजाब ने फैक्ट्री अधिनियम में संशोधन के बिना काम की अवधि को आठ घंटे प्रतिदिन से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है. इससे मजदूरों के मौलिक अधिकार को लेकर गंभीर ख़तरा पैदा हो रहा है.
लोकसभा सचिवालय में कार्यरत एक सफाईकर्मी में भी कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. उसके परिवार के 11 सदस्यों की भी कोरोना वायरस की जांच की गई है और परिणाम की प्रतीक्षा की जा रही है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि वैश्विक संगठन सभी देशों से मौत की सज़ा का इस्तेमाल बंद करने या इस पर प्रतिबंध लगाने की अपील करता है.
निर्भया के दोषियों ने फांसी से कुछ ही घंटों पहले गुरुवार देर रात दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था. अदालत ने याचिकांए ख़ारिज कर दी थीं.
अदालत ने मौत की सज़ा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका ख़ारिज की. साल 2012 में 16 दिसंबर की रात दिल्ली में 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा से एक चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार और बर्बरतापूर्वक हिंसा करने के बाद उसे और उसके दोस्त को चलती बस से फेंक दिया था. दो हफ्ते बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गई थी.
निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार दोषियों में से तीन ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाकर अपनी ‘गैरकानूनी फांसी की सजा’ रोकने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया है कि ‘दोषपूर्ण’ जांच के जरिये उन्हें दोषी करार दिया गया और उन्हें प्रयोग का माध्यम बनाया गया है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के चार दोषियों में एक विनय कुमार शर्मा की याचिका खारिज करते हुए कहा कि उसमें मनोवैज्ञानिक परेशानी के कोई लक्षण नहीं हैं और वह बीमारी का बहाना बना रहा है.
इससे पहले 17 जनवरी को ट्रायल कोर्ट ने दोषियों के लिए डेथ वॉरंट जारी करते हुए एक फरवरी को फांसी मुकर्रर की थी, लेकिन 31 जनवरी को ट्रायल कोर्ट ने ख़ुद ही इस पर रोक लगाते हुए कहा था कि अब तक सभी दोषियों ने अपने क़ानूनी उपायों का इस्तेमाल नहीं किया है.