ममता बनर्जी की ओर से कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में जस्टिस कौशिक चंदा की पीठ को नंदीग्राम याचिका की सुनवाई सौंपने को लेकर पूर्वाग्रह की आशंका जताई गई है. टीएमसी ने जस्टिस चंदा की भाजपा नेताओं के साथ तस्वीरें साझा करते हुए उनकी निष्पक्षता को लेकर सवाल किए हैं.
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज करने वाली सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट पर कभी सहयोगी रहे भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी से हार गई थीं. आधिकारिक नतीजे आने से पहले घंटों तक भ्रम की स्थिति रही, क्योंकि मीडिया के एक धड़े में शुभेंदु अधिकारी पर ममता की जीत की ख़बर चलने लगी थी.
यह मामला पूर्व मेदिनीपुर ज़िले के कांथी नगरपालिका प्रशासनिक बोर्ड के सदस्य रत्नदीप मन्ना की शिकायत पर दर्ज किया गया है. शिकायत में कहा गया है कि 29 मई 2021 को भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी और उनके भाई सौमेंधु अधिकारी के निर्देश पर नगपालिका के ऑफिस के गोदाम से लाखों रुपये की कीमत के सरकारी तिरपाल की चोरी की गई है.
भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार और नीसिथ प्रमाणिक ने कहा कि भाजपा नेतृत्व के निर्देश पर वे विधायक पद से इस्तीफ़ा दे रहे हैं. जगन्नाथ सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि सांसद रहने के बावजूद उनका विधानसभा चुनाव लड़ना और जीतने के बाद इस्तीफ़ा देना भाजपा की किसी भी तरह संगठनात्मक कमज़ोरी को नहीं दर्शाता.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक 77 में से 61 विधायकों को न्यूनतम ‘एक्स’ श्रेणी की सुरक्षा दी जाएगी और सीआईएसएफ के कमांडो तैनात किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि बाकी को या तो केंद्रीय सुरक्षा प्राप्त है अथवा उन्हें उच्च ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी.
कई सालों से मोदी-शाह की जोड़ी ने चुनाव जीतने की मशीन होने की जो छवि बनाई थी, वह कई हारों के कारण कमज़ोर पड़ रही थी, मगर इस बार की चोट भरने लायक नहीं है. वे एक ऐसे राज्य में लड़खड़ाकर गिरे हैं, जो किसी हिंदीभाषी के मुंह से यह सुनना पसंद नहीं करता कि वे उनके राज्य को कैसे बदलने की योजना रखते हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम के निर्वाचन अधिकारी द्वारा सीईओ कार्यालय को भेजे एक कथित एसएमएस को सार्वजनिक करते हुए दावा किया कि अधिकारी को अपने जीवन का ख़तरा था इसलिए उन्होंने फिर से मतगणना के आदेश नहीं दिए.
बंगाल के समाज के सामूहिक विवेक ने भी उस ख़तरे को पहचाना, जिसका नाम भाजपा है. तृणमूल कांग्रेस की यह जीत इसलिए बंगाल में छिछोरेपन, लफंगेपन, गुंडागर्दी, उग्र और हिंसक बहुसंख्यकवाद की हार भी है.
नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र के आधिकारिक नतीजे आने से पहले घंटों तक भ्रम की स्थिति रही, क्योंकि मीडिया के एक धड़े में अधिकारी पर ममता की जीत की ख़बर चलने लगी थी. तृणमूल कांग्रेस ने इसके मद्देनज़र मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर दोबारा मतदान कराने की मांग की. हालांकि आयोग ने पार्टी के इस अनुरोध को ख़ारिज कर दिया.
वीडियो: पश्चिम बंगाल में भूमि आंदोलन का गवाह रहा नंदीग्राम अब राज्य की राजनीति का केंद्रबिंदु बन रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी से भाजपा में गए शुभेंदु अधिकारी यहां से चुनाव मैदान में हैं. द वायर की टीम नंदीग्राम के एक ऐसे सुदूर गांव में पहुंची, जहां राष्ट्रीय मीडिया कभी नहीं पहुंचा. आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की रिपोर्ट.
वीडियो: 2016 में नंदीग्राम सीट से शुभेंदु अधिकारी ने टीएमसी के टिकट पर भाजपा प्रत्याशी बिजन कुमार दास को हराया था. इस बार वही शुभेंदु अधिकारी नंदीग्राम से ही भाजपा के टिकट पर टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ चुनाव मैदान में उतरे हैं. आने वाले बंगाल चुनाव चाहे जो जीते लेकिन सबकी नज़रें नंदीग्राम सीट पर ही हैं.
पश्चिम बंगाल में आठ चरणों के मतदान कार्यक्रम को भाजपा की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है, हालांकि ममता बनर्जी भी अप्रत्याशित रूप में लंबे इस मतदान कार्यक्रम का लाभ अपने उम्मीदवारों के लिए डटकर प्रचार के साथ ही हरेक दौर के लिए सापेक्ष रणनीति बनाने के लिए उठा सकती हैं.
टीएमसी नेताओं के लगातार पार्टी छोड़ने के बीच ममता बनर्जी अपने प्रतिद्वंदियों से बुरी तरह घिरी नज़र आ रही हैं. भाजपा के आक्रामक हमलों के बीच ममता ने टीएमसी के गढ़ नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. क्या यह दांव उनके राजनीतिक विरोधियों को पस्त कर पाएगा?
नंदीग्राम में ज़मीन अधिग्रहण के विरुद्ध विशाल जनांदोलन के चलते ही ममता बनर्जी उभरी थीं और 2011 में तृणमूल कांग्रेस सत्ता में पहुंची थी. साल 2016 में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव जीतने वाले शुभेंदु अधिकारी कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं.
बीते शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के दौरे पर दिग्गज नेता और ममता बनर्जी सरकार के पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी को भाजपा में शामिल कराया था. टीएमसी में रहने के दौरान शुभेंदु अधिकारी एक स्टिंग ऑपरेशन के दौरान कैमरे में घूस लेते हुए क़ैद हुए थे और भाजपा ने तब इस मामले को ज़ोर-शोर से उछाला था.