केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस नेताओं के बीच लीक हुई फोन बातचीत से राजस्थान में पैदा हुए सियासी उठापटक और अवैध फोन टैप के आरोपों के आठ महीने बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने दो हफ़्ते पहले फोन टैपिंग की पुष्टि की थी.
जुलाई 2020 में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राज्य के तत्कालीन पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह और कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा के बीच फोन पर बातचीत की रिकॉर्डिंग लीक हुई थी. तब फोन टैपिंग के आरोपों के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि नेताओं के फोन टैप करना उनकी सरकार का तरीका नहीं है.
राजस्थान में चार महीने पहले अपनी सरकार पर आए संकट को टालने में सफल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को आरोप लगाया है कि भाजपा के लोग कहते हैं महाराष्ट्र की बारी आने वाली है और राजस्थान में वापस खेल शुरू होने वाला है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि शासन चलाने में विफल रहने से मुख्यमंत्री ऐसे अमर्यादित आरोप लगा रहे हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव राउंडअप: सत्तारूढ़ राजग के 60 और विपक्षी महागठबंधन के 58 फ़ीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस और राजद जाति-धर्म और परिवार की राजनीति करते हैं. सचिन पायलट ने कहा कि बिहार में कांग्रेस-राजद की सरकार बनेगी. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि वह राजनीति को अलविदा नहीं कह रहे. चिराग पासवान ने वोटकटवा कहने पर भाजपा नेताओं की आलोचना की.
राजस्थान में कुछ महीने पहले 35 दिनों तक चली राजनीतिक खींचतान के बीच सचिन पायलट खेमे ने अशोक गहलोत सरकार पर विधायकों के फोन टैप करने का आरोप लगाया था. इस घटनाक्रम के तक़रीबन दो महीने बाद फ़र्ज़ी ख़बर चलाने के आरोप में पायलट के मीडिया मैनेजर लोकेंद्र सिंह और आजतक के राजस्थान संपादक शरत कुमार के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बग़ावत करने वाले पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि आज सदन में कांग्रेस सरकार ने विश्वास मत जीता है. जो भी अटकलें लगाई जा रही थीं, उन पर विराम लग गया. कांग्रेस के विधायकों ने एकजुटता का संदेश दिया. आने वाले समय में हम पूरी ताक़त के साथ काम करेंगे.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीन सदस्यीय समिति गठित करने का फैसला किया ताकि सचिन पायलट एवं उनके समर्थक विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों का निदान हो सके और मामले का उचित समाधान किया जा सके.
सचिन पायलट और 18 अन्य कांग्रेस विधायकों की वापसी के सवाल पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यह फ़ैसला पार्टी आलाकमान को करना है. अगर आलाकमान उन्हें माफ़ करता है तो वे भी बाग़ियों को गले लगा लेंगे.
कांग्रेस नेता सचिन पायलट के गुट के विधायक गजेंद्र शक्तावत ने कहा है कि अगर कांग्रेस पार्टी व्हिप जारी करती है तो वह और अन्य विधायक 14 अगस्त से शुरू होने जा रहे आगामी विधानसभा सत्र में हिस्सा लेंगे.
राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा विधानसभा सत्र बुलाने की मंज़ूरी दिए जाने के साथ ही राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच एक हफ़्ते से जारी गतिरोध ख़त्म हो गया. सरकार चाहती थी कि 31 जुलाई से सत्र बुलाया जाए, पर 21 दिन का नोटिस देने की मांग करते हुए राज्यपाल ने तीन बार प्रस्ताव वापस लौटा दिया था.
राजस्थान में जारी सियासी खींचतान के बीच 31 जुलाई से विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कैबिनेट ने राज्यपाल को तीसरी बार प्रस्ताव भेजा है. इससे पहले दो बार राजभवन कुछ बिंदुओं के साथ प्रस्ताव सरकार को लौटा चुका है.
वीडियो: राजस्थान में सियासी रसूख की लड़ाई मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के हाथों से निकलकर अब विधानसभा स्पीकर, राज्यपाल और कोर्ट तक पहुंच चुकी है. इस मुद्दे पर राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया, कांग्रेस की प्रवक्ता रागिनी नायक, द वायर के पॉलिटिकल अफेयर्स एडिटर अजय आशीर्वाद से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अध्यक्ष को बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही स्थगित करने के आदेश संबंधी हाईकोर्ट के 21 जुलाई के आदेश पर शीर्ष अदालत ने रोक नहीं लगाई, जिसके कारण इस याचिका का अब कोई औचित्य नहीं है.
राजस्थान सरकार ने विधानसभा सत्र 31 जुलाई से बुलाने के लिए राज्यपाल के पास शनिवार को संशोधित प्रस्ताव भेजा था. प्रस्ताव को खारिज करते हुए राज्यपाल ने सरकार से कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण विधानसभा सत्र के लिए सभी विधायकों को बुलाना मुश्किल होगा. क्या आप विधानसभा सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस देने पर विचार कर सकते हैं?
साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में छह विधायक बसपा के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचे थे. सितंबर 2019 में उन्होंने कांग्रेस में विलय की अर्जी दी थी, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूर कर लिया था. अब बसपा का कहना है कि वह एक राष्ट्रीय पार्टी है, जिसका राज्य स्तर पर विलय नहीं हो सकता है.