नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि रबींद्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, ईश्वर चंद्र विद्यासागर और स्वामी विवेकानंद, सभी ने संयुक्त बंगाली संस्कृति की चाहत और पैरवी की थी और उनके सामाजिक लक्ष्य में एक समुदाय को दूसरे समुदाय के ख़िलाफ़ भड़काने की कोई जगह नहीं है.
लोहिया ने नेहरू जैसे प्रधानमंत्री को यह कहकर निरुत्तर कर दिया था कि आम आदमी तीन आने रोज़ पर गुज़र करता है, जबकि प्रधानमंत्री पर रोज़ाना 25 हज़ार रुपये ख़र्च होते हैं.
वर्ष 2002 में नरेंद्र मोदी के पहले राजनीतिक चुनाव प्रचार ने सबकुछ बदल दिया. पहली बार किसी पार्टी के नेता और उसके मुख्य चुनाव प्रचारक ने मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरा प्रचार अभियान चलाया.
भीड़-मानसिकता को जब कोई सांप्रदायिक विचारधारा नियंत्रित करती है तो निश्चित रूप से नारे भले ही अखंड भारत के लगें, भीतर ही भीतर विभाजन की पूर्वपीठिका तैयार की जा रही होती है.