पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को गृह मंत्रालय द्वारा बीते 23 मार्च को अनिवार्य सेवानिवृति दी गई थी. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इससे संबंधित दस्तावेज़ देने से मना कर दिया है. ठाकुर ने कहा है कि सरकार द्वारा मनमाने ढंग से उन्हें सेवा से निकाला जाना और अब उनकी जीविका से संबंधित सूचना भी नहीं देना दुखद है तथा सरकार की ग़लत मंशा को दिखाता है.
हाल ही में आरटीआई आवेदन के जवाब में रेलवे ने बताया था कि साल 2020 में रेल की पटरियों पर 8,733 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकतर प्रवासी मज़दूर थे. रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सुनीत शर्मा ने कहा है कि ये मौतें अतिक्रमण के कारण हुई हैं न कि रेल हादसों की वजह से. इनका रेलवे से कुछ लेना-देना नहीं है.
साल 2020 में 8,000 से अधिक लोगों की रेल पटरियों पर जान गई, इनमें ज़्यादातर प्रवासी मज़दूर थे: आरटीआई
आरटीआई आवेदन के जवाब में दी गई जानकारी में अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में अधिकतर प्रवासी मज़दूर थे, जिन्होंने पटरियों पर चलकर घर पहुंचने का विकल्प चुना था, क्योंकि इससे वे लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के लिए पुलिस से बच सकते थे और उनका यह भी मानना था कि वे रास्ता नहीं भटकेंगे.
साल 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट के एक दोषी एहतेशाम सिद्दिकी ने आरटीआई एक्ट के तहत भारतीय पुलिस सेवा के 12 अधिकारियों के संघ लोक सेवा आयोग में जमा फार्मों व अन्य रिकॉर्ड की प्रतियां मांगी थी, जिसे गृह मंत्रालय ने खारिज कर दिया था. अब सीआईसी इस पर अंतिम निर्णय लेगा.
भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर करते हुए निर्देश देने की मांग की है कि सभी पंजीकृत और मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियां चार सप्ताह के भीतर जन सूचना अधिकारी, सक्षम प्राधिकरण नियुक्त करें और आरटीआई कानून, 2005 के तहत सूचनाओं का खुलासा करें.
विशेष रिपोर्ट: एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2005 से लेकर अब तक देशभर में 79 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या की जा चुकी है, जिसमें क़रीब 20 फीसदी की हत्याएं केवल बिहार में हुई हैं. साल 2018 में बिहार में पांच आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले सामने आए हैं.
विशेष साक्षात्कार: डेटा सुरक्षा बिल, सूचना के अधिकार और निजता के अधिकार से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर केंद्रीय सूचना आयुक्त प्रो. मदाभूषनम श्रीधर आचार्युलु से धीरज मिश्रा की बातचीत.
नवल किशोर आरटीआई कार्यकर्ता होने के साथ चांदनी चौक इलाके में लाल किले के सामने कपड़े की दुकान लगाया करते थे. नवल के आरटीआई लगाने की वजह से कई लोगों की दुकानें सील हो गई थीं.
बिहार के जमुई ज़िले में मारे गए आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या का कारण पंचायत विकास से जुड़ी योजनाओं में लूट खसोट को उजागर करना बताया जा रहा है.
सूचना का अधिकार क़ानून के लिए चले आंदोलन का नेतृत्व करने वालीं अरुणा रॉय ने कहा कि अब तक 70 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ता भ्रष्टाचार का खुलासा करने और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करने के बदले में मारे गए हैं.
जन गण मन की बात की 224वीं कड़ी में विनोद दुआ सूचना के अधिकार अधिनियम के सफ़र पर प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय से चर्चा कर रहे हैं.
सूचना का अधिकार कानून की धारा 8(1)(जे) के तहत निजी सूचना से जुड़ी ऐसी जानकारियां नहीं देने की छूट है जिनका व्यापक जनहित से कोई संबंध नहीं है या जिससे किसी व्यक्ति की निजता में अवांछित दखल होता हो.
केंद्र और दिल्ली सरकार से आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत मांगी थी जानकारी.