याचिकाकर्ता दीपक जुनेजा ने 2014 में आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी थी. जुनेजा का कहना है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को गृह मंत्रालय ने जुलाई 2014 से जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी है जबकि वे किसी संवैधानिक या वैधानिक पद पर नहीं हैं.
सूचना आयुक्तों को लिखे पत्र में श्रीधर आचार्युलु ने कहा कि आरटीआई कानून के प्रावधानों में संशोधन के किसी भी प्रस्ताव पर जनता और विशेष तौर पर सूचना आयुक्तों के बीच व्यापक चर्चा के बिना विचार नहीं किया जाए.
रेल मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी है.
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि सरकार राज्य सूचना आयोगों में लंबित अपील या शिकायतों से संबंधित कोई आंकड़ा नहीं रखती है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, गुजरात, केरल और कर्नाटक की सरकारों को चार हफ़्ते में जवाब देने का निर्देश दिया.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि इससे संसद के विशेषाधिकार का हनन होगा. मंत्रालय के अनुसार काले धन से जुड़ी रिपोर्ट पिछले साल 21 जुलाई को संसद की स्थाई समिति के पास भेज दी गई थी, लेकिन इसे साझा नहीं किया जा सकता है.
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा कि आरटीआई एक्ट असल मायने में लोकतांत्रिक क़ानून है. सरकार सूचना आयुक्तों संबंधी संशोधन ला रही है लेकिन सूचना आयुक्तों से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया है.
वीडियो: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा सूचना का अधिकार क़ानून में संशोधन को लेकर सूचना के जन अधिकार आंदोलन (एनसीपीआरआई) की सदस्य अंजलि भारद्वाज और आरटीआई कार्यकर्ताओं से धीरज मिश्रा की बातचीत.
जन गण मन की बात की 277वीं कड़ी में विनोद दुआ मानसून सत्र के पहले दिन संसद में पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव, केंद्र सरकार द्वारा आरटीआई क़ानून में संशोधन और कांग्रेस की कार्य समिति के गठन पर चर्चा कर रहे हैं.
2009 से 2012 तक केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त रहे शैलेष गांधी का कहना है कि इस संशोधन के ज़रिये सरकार आरटीआई कानून में अन्य संशोधन करने का रास्ता खोल रही है.
केंद्र सरकार ने इस बात को सार्वजनिक नहीं किया है कि वो आख़िर आरटीआई क़ानून में क्या संशोधन करने जा रही है. संशोधन विधेयक के प्रावधानों को न तो सार्वजनिक किया गया है और न ही आम जनता की राय ली गई है. जानकार इसे लंबे संघर्ष के बाद मिले सूचना के अधिकार पर हमला बता रहे हैं.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में एक शिक्षिका ने अपने तबादले का प्रश्न उठाया था, जिस पर मुख्यमंत्री ने उनके निलंबन और उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दे दिया था.
बैंक ने मांगी गई जानकारी को संबंधित लोगों के बारे में व्यक्तिगत सूचना बताते हुए कहा कि ये सूचनाएं उसके पास ‘दूसरों की अमानत’ के तहत रखी गई हैं और क़ानून में इस तरह की जानकारी न देने की छूट है. बैंक द्वारा उपलब्ध करवाए गए ब्यौरे के अनुसार मार्च 2018 में उसने 222 करोड़ रुपये मूल्य से अधिक के चुनावी बॉन्ड बेचे.
चुनाव आयोग ने कहा कि राष्ट्रीय पार्टियां सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आने वाले सार्वजनिक प्राधिकरण हैं.
आरटीआई के तहत भाजपा, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, बसपा और राकांपा के राजनीतिक चंदे की मांगी गई जानकारी के जवाब में आयोग ने ऐसा कहा. जबकि, इन दलों को 2013 में केंद्रीय सूचना आयोग आरटीआई के दायरे में लेकर आया था.