क़र्ज़माफी को किसानों को दिए गए खैरात के तौर पर न देख कर उस क़र्ज़ के एक छोटे से हिस्से की अदायगी के तौर पर देखा जाना चाहिए, जो हम पर बकाया है.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की गड़बड़ियों को ठीक करने में नाकाम रही राजस्थान सरकार अब ज़रूरतमंदों को अपमानित करने का काम कर रही है.
सीएम पवन चामलिंग ने गृह मंत्री को लिखा पत्र. कहा- पिछले 30 सालों से गोरखालैंड की मांग के चलते राज्य की एकमात्र लाइफलाइन राष्ट्रीय राजमार्ग-10 के बार-बार बंद होने की वजह से सिक्किम को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
जन गण मन की बात की 71वीं कड़ी में विनोद दुआ राजग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और दार्जिलिंग में जारी तनाव पर पर चर्चा कर रहे हैं.
क्रिकेट में लाख अनियमितताओं के बावजूद खेल का स्तर बना रहा, जबकि अन्य खेल जो सरकार के अधीन रहे, वहां अनियमितताएं इस कदर हुईं कि खेल ही रसातल में चले गए.
श्रीलंकाई नागरिक रॉबर्ट पायस ने सरकार को लिखा- जब रिहाई की संभावना नहीं, तो ज़िंदा रहने का क्या मतलब है. 11 जून को पायस को जेल में कैद रहते हुए 26 साल हो गए हैं.
विधानसभा अध्यक्ष और दूसरे विधायकों के ख़िलाफ़ आलेख प्रकाशित करने के मामले में सदन ने दोनों पत्रकारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की.
अस्सी के दशक में अशांति से निपटने के लिए ज्योति बसु सरकार ने दार्जिलिंग की पहाड़ियों को अर्धसैनिक बलों से पाट दिया था. सेना ने सिर्फ दहशत फैलाने का काम किया.
कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति सीएस कर्णन को अदालत की अवमानना के लिए छह माह की सज़ा सुनाई गई थी. एक महीने से गायब रहे कर्णन को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया.
सूचना का अधिकार के तहत दायर आवेदन के जवाब में सीआरपीएफ ने ये बात कही.
मुंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकारते हुए कहा है कि वो कुपोषण पर गंभीर नहीं है.
पत्रकारों के लिए जस्टिस मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफ़ारिश और सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण से बातचीत.
आखिर जिन छोटे बच्चों को क़ानून वोट डालने का अधिकार नहीं देता, जीवनसाथी चुनने का अधिकार नहीं देता, उन्हें आध्यात्मिकता के नाम पर इस तरह जान जोखिम में डालने की अनुमति कैसे दी जा सकती है?
मीडिया बोल की दूसरी कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, हिंदुस्तान टाइम्स के राजनीतिक संपादक विनोद शर्मा और नेपाल वन टीवी की मैनेजिंग एडीटर व वरिष्ठ पत्रकार नलिनी सिंह के साथ मीडिया की आज़ादी पर चर्चा कर रहे हैं.
जीएसटी के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों को समझाने की वित्त मंत्रालय की कवायद अब तक बड़े औद्योगिक समूहों तक ही सीमित रही है.