द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
निर्वाचन आयोग को सौंपी गई राजनीतिक दलों की व्यय रिपोर्ट बताती है कि इस साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर भाजपा ने 136.90 करोड़ रुपये ख़र्च किए, जिनमें से सर्वाधिक 78.10 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर व्यय किए गए. कांग्रेस ने इस चुनाव पर कुल 136.90 करोड़ रुपये ख़र्च करने की जानकारी दी है.
पूर्वोत्तर में एक नए क्षेत्रीय दल के तौर पर उभरे ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट ने 40 सदस्यीय मिज़ोरम विधानसभा की 27 सीटें जीती हैं. वहीं, सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट 10 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट मिली हैं.
तेलंगाना के डीजीपी अंजनी कुमार विधानसभा चुनाव की मतगणना के बीच कांग्रेस प्रदेशाध्य्क्ष और प्रत्याशी रेवंत रेड्डी से मिलने उनके घर पहुंचे थे. उनके साथ दो अन्य वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी संजय कुमार जैन और महेश मुरलीधर भागवत भी थे, जिन्हें आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस मिला है.
चुनाव आयोग ने कहा कि यह बदलाव विभिन्न क्षेत्रों से मतगणना की तारीख़ बदलने के लिए कई अनुरोध आने के बाद किया गया है. इससे पहले यहां अन्य चार चुनावी राज्यों की तरह 3 दिसंबर (रविवार) को मतगणना तय की गई थी. हालांकि ईसाई बहुल राज्य होने के कारण मिज़ोरम रविवार को पवित्र दिन मानता है, इसलिए तारीख़ में बदलाव की मांग कर रहा था.
चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित पार्टी की वार्षिक योगदान रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने 2022-23 में 719.83 करोड़ रुपये चंदा मिलने की घोषणा की है. इसमें वह राशि शामिल नहीं है जो पार्टी को चुनावी बॉन्ड के ज़रिये मिली है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में एक चुनावी रैली में मतदाताओं से कहा है कि वे ‘कमल’ के बटन को ऐसे दबाएं जैसे कि कांग्रेस को मौत की सज़ा दे रहे हों. कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री जैसे ज़िम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति वोट के ज़रिये फांसी देने की बात कैसे कर सकता है? पार्टी ने चुनाव आयोग से कार्रवाई का आग्रह किया.
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कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री के बेटे को निशाना बनाने के लिए सरकार द्वारा ईडी सहित केंद्रीय एजेंसियों के ‘दुरुपयोग’ को रोकने के लिए चुनाव आयोग से हस्तक्षेप की मांग की है. पार्टी ने आरोप लगाया कि ईडी उसके नेताओं की छवि ख़राब करने के लिए भाजपा के इशारे पर काम कर रही है.
चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को फंडिंग की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनते हुए शीर्ष अदालत ने चिंता जताई कि योजना से जुड़ी गोपनीयता समान नहीं है, जहां किसी विपक्षी दल को यह नहीं पता होगा कि दान देने वाला कौन है, पर विपक्षी दल को दान देने वालों का पता जांच एजेंसियों द्वारा लगाया जा सकता है.
2021-22 में आठ राष्ट्रीय दलों की कुल आय 3,289 करोड़ रुपये थी, जिसमें अज्ञात स्रोतों का हिस्सा 66% था. इस अवधि में भाजपा की कुल आय 1,917 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 1,161 करोड़ रुपये या 61% अज्ञात स्रोतों (अधिकांश चुनावी बॉन्ड) से मिले. इसके बाद टीएमसी थी, जिसकी कुल आय (546 करोड़ रुपये) का 97% अज्ञात स्रोतों से आया था.
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार, चुनावी बॉन्ड की सबसे अधिक बिक्री स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की हैदराबाद शाखा (33 प्रतिशत) में हुई. वहीं एसबीआई की नई दिल्ली शाखा में बेचे गए सभी चुनावी बॉन्ड में से अधिकांश (800 करोड़ रुपये या 70 प्रतिशत) भुनाए गए.
चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों की गुमनाम फंडिंग की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग पास चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दिए गए दान का विवरण होना चाहिए. इसे अदालत में अपने पास रखें. हम उचित समय पर इस पर गौर कर सकते हैं.
सरकारी अधिकारियों को केंद्र सरकार के प्रचार अभियान में तैनात करने को लेकर भारत सरकार के पूर्व सचिव ईएएस शर्मा ने द वायर की आरफ़ा ख़ानम शेरवानी से बातचीत में कहा कि चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रभावित कर सकने वाली किसी गतिविधि में लोकसेवकों को शामिल करना चुनाव क़ानूनों का उल्लंघन है.