अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की दिल्ली इकाई के सचिव सिद्धार्थ यादव ने स्वीकार किया कि कोमल शर्मा उनके संगठन की कार्यकर्ता हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि हमारा उनसे संपर्क नहीं हो पाया है.
साक्षात्कार: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पांच जनवरी को नकाबपोश हमलावरों द्वारा की गई हिंसा में 30 से अधिक छात्र घायल हुए थे, साथ ही कई शिक्षक भी चोटिल हुए थे. इनमें से एक प्रोफेसर सुचारिता सेन थीं. जेएनयू के इस घटनाक्रम पर सुचारिता सेन से रीतू तोमर की बातचीत.
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियल निशंक ने कहा कि मंत्रालय ने सभी हितधारकों के साथ बातचीत के ज़रिये जेएनयू के सामान्य कामकाज को बहाल करने की उच्चस्तरीय समिति गठित की है और विवादास्पद मुद्दों के समाधान के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को सलाह दी है.
प्रोफेसर भादुड़ी ने वीसी को पत्र लिखकर कहा, 'मौजूदा माहौल को देखकर मुझे काफी पीड़ा होती है. लेकिन मुझे लगता है कि बिना विरोध दर्ज कराए इस पूरे घटनाक्रम का मूक दर्शक बने रहना मेरे लिए अनैतिक होगा. विश्वविद्यालय में विरोध और विमर्श का गला घोटा जा रहा है.'
पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि हिंसा का सीसीटीवी फुटेज संरक्षित रखने के उसके अनुरोध पर जेएनयू प्रशासन की ओर से अब तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है. वहीं, उसने व्हाट्सऐप को भी लिखित अनुरोध भेजकर उन दो ग्रुप का डेटा सुरक्षित रखने को कहा है जिन पर जेएनयू में हिंसा की साज़िश रची गई थी.
फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने पांच जनवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में की गई हिंसा की पहचान निशाना बनाकर किए गए हमले के रूप में की है, जिसका उद्देश्य छात्रों और फैकल्टी के सदस्यों डराना और धमकाना था. इसके साथ ही यह संस्थान के कुलपति के समर्थन और प्रोत्साहन के साथ किया गया था.
शुक्रवार को सोशल मीडिया जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष ओईशी घोष की दो तस्वीरों को यह कहकर साझा किया गया कि अलग-अलग समय पर उनके हाथ में बंधी पट्टी एक बार दाहिनी तरफ और एक समय बायीं ओर बंधी है और उनकी चोट फ़र्ज़ी है. ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा झूठा पाया गया है.
शिक्षण संस्थानों का जब-जब राजनीतिकरण होगा, उसकी परिणति अक्सर हिंसा के रूप में ही होती है. जेएनयू को लेकर हुए विवाद में आज देश दो धड़े में विभाजित है और यह विभाजन धार्मिक या जातीय नहीं बल्कि वैचारिक है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दिल्ली पुलिस की एसआईटी के प्रमुख पुलिस उपायुक्त जॉय टिर्की ने कहा कि नौ में सात छात्र लेफ्ट संगठनों एसएफआई, एआईएसएफ, आईसा और डीएसएफ से जुड़े हुए हैं. हालांकि, इस दौरान दो अन्य छात्रों के एबीवीपी से जुड़े होने के बावजूद उन्होंने एबीवीपी का जिक्र नहीं किया.
दिल्ली पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस के एक घंटे बाद ही उसके दावों पर सवाल उठाते हुए एक निजी समाचार चैनल इंडिया टुडे ने शुक्रवार शाम एक स्टिंग ऑपरेशन का प्रसारण किया. इसमें दो छात्र एबीवीपी का सदस्य होने का दावा करते हैं और पांच जनवरी की हिंसा में अपनी भूमिका के बारे में बताते हैं.
पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि यह हैरान करने वाला है कि विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के मुद्दे के समाधान के लिए सरकार की ओर से दो बार सुझाव दिए गए, लेकिन कुलपति सरकार के प्रस्ताव को लागू नहीं करने पर आमादा हैं. वहीं, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि कुलपति को हटाना समाधान नहीं.
वीडियो: बीते पांच जनवरी की रात कुछ नकाबपोश लोग जेएनयू कैंपस में घुस आए और विभिन्न हॉस्टलों में तोड़फोड़ की था. हमलावरों ने छात्रों को बर्बर तरीके से पीटा. इस हमले में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष भी घायल हो गई थीं. उनसे द वायर के अविचल दुबे से बातचीत.
वीडियो: वर्तमान में देश के हालात और जेएनयू में हिंसा, सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों पर फिल्म अभिनेता मोहम्मद ज़ीशान अयूब से द वायर की आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
वीडियो: जेएनयू में बीते पांच जनवरी को नकाबपोश लोगों द्वारा की गई हिंसा और छात्रों व प्रोफेसरों से मारपीट के ख़िलाफ़ दिल्ली की जामा मस्जिद पर लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया और छात्रों के ख़िलाफ़ हो रहे हमलों पर अपनी राय रखी. द वायर की रिपोर्ट.
बीते पांच जनवरी को नई दिल्ली जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में नकाबपोश लोगों की भीड़ ने घुसकर तीन छात्रावासों में छात्रों और प्रोफेसरों पर हमला किया था. नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि कुछ बाहरी लोग आए और विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रताड़ित किया. विश्वविद्यालय के अधिकारी इसे रोक नहीं सके. यहां तक कि पुलिस भी वक्त पर नहीं आई.