शुक्रवार को सोशल मीडिया जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष ओईशी घोष की दो तस्वीरों को यह कहकर साझा किया गया कि अलग-अलग समय पर उनके हाथ में बंधी पट्टी एक बार दाहिनी तरफ और एक समय बायीं ओर बंधी है और उनकी चोट फ़र्ज़ी है. ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा झूठा पाया गया है.
![Aishe Ghosh pti](https://hindi.thewire.in/wp-content/uploads/2020/01/Aishe-Ghosh-pti.jpg)
रविवार 5 जनवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में नकाबपोश लोगों द्वारा की गई हिंसा में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष ओईशी घोष बुरी तरह घायल हो गई थीं. उनके सिर पर गहरी चोट लगी थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनके सिर पर 16 टांके आये हैं, साथ ही उनकी कमर और हाथ में भी चोट आयी थी.
शुक्रवार शाम को ट्विटर पर ओईशी की दो तस्वीरें यह कहकर साझा की गईं कि अलग-अलग समय पर उन्होंने अपने अलग-अलग हाथ में पट्टी बांधी हुई थी. ऐसा कहने का इशारा यह था कि उनकी चोट फर्जी है.
ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा झूठा पाया गया है. ऑल्ट न्यूज़ ने बताया कि ओईशी की एक तस्वीर को ‘मिरर इफेक्ट’ दिया गया है, जिसमें तस्वीर उल्टी नजर आती है.
शुक्रवार शाम को शेफाली वैद्य नाम के ट्विटर अकाउंट से ओईशी की दो तस्वीरें साझा की गईं, जिसमें कहा गया, ‘… यह तो चमत्कार है. ओईशी का चोटिल हाथ एक ही दिन में सही हो गया और दूसरे ही दिन फिर टूट गया…’
शेफाली ने एक घंटे बाद इस ट्वीट को डिलीट करते हुए लिखा कि उन्हें बताया गया कि यह तस्वीर एडिट की हुई थी. हालांकि तब तक यह तस्वीर विभिन्न ट्विटर हैंडल से इसी तरह के दावे के साथ साझा की जा चुकी थी.
आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय संगठन सचिव आशीष चौहान ने भी यही तस्वीर साझा की थी, जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया. इस ट्वीट को पांच सौ से अधिक बार रीट्वीट किया गया था. चौहान का ट्वीट भाजपा के विदेशी मामले के विभाग के इंचार्ज डॉ. विजय चौथाईवाले ने भी रीट्वीट किया था.
इनके अलावा राजेश सालुंके नाम के अकाउंट ने भी ओईशी की चोट पर संदेह जताते हुए इसी तरह की तस्वीर साझा की थी. राजेश ने अपने परिचय में एबीवीपी ‘छात्र कार्यकर्ता’ लिखा हुआ है.
रोज़ी (@rose_k01) नाम के एक एकाउंट से भी इसी तरह की तस्वीर शेयर की गई. भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय और दिल्ली के भाजपा प्रवक्ता तजिंदर पाल बग्गा रोज़ी नाम के इस एकाउंट को फॉलो करते हैं.
ओईशी की चोट को लेकर किया दावा झूठा है
ओईशी की इस तरह की तस्वीरें फर्जी हैं और फोटोशॉप की मदद से तैयार की गयी हैं. इन तस्वीरों और दावों के उलट वास्तव में ओईशी के बाएं हाथ में प्लास्टर लगा हुआ है, न कि दाएं हाथ में.
फोटोशॉप के ‘मिरर इफेक्ट’ से ओईशी की ओरिजिनल तस्वीर को इस तरह से पलट दिया गया है, जिससे प्लास्टर उनके बाएं हाथ की बजाय दाएं पर लगा दिखता है.
ट्वीट्स में साझा की जा रही तस्वीर ओईशी की एक प्रेस वार्ता की है. इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस की एक फोटो हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा 7 जनवरी 2020 ट्वीट की गयी थी. इन दोनों की तुलना नीचे देखी जा सकती है.
![Aishee Ghosh Fake Mirror Image Alt News](https://hindi.thewire.in/wp-content/uploads/2020/01/Aishee-Ghosh-Fake-Mirror-Image-Alt-News.jpeg)
इन दोनों तस्वीरों की तुलना की जाये, तो स्पष्ट दिखाई देता है कि वायरल हो रही तस्वीर इसी कॉन्फ्रेंस की है. इनकी समानता समझने के लिए तीन पहलुओं पर ध्यान दिया जाये-
1. ओईशी के चोटिल हाथ की तरफ बैठा व्यक्ति
2. काली जैकेट में ओईशी के पीछे खड़ा व्यक्ति
3. काली जैकेट वाले व्यक्ति के बगल में लाल स्वेटर पहने खड़ी महिला
वायरल हो रही तस्वीर 6 जनवरी को हुई ओईशी की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है और इसके वीडियो में ओईशी के बाएं हाथ पर प्लास्टर बंधा दिखता है.
इसके अलावा कई जगहों की अन्य तस्वीरें दिखाती हैं कि ओईशी के बाएं हाथ में चोट लगी है न कि दाएं हाथ में.
Delhi: DMK MP Kanimozhi meets Jawaharlal Nehru University Students' Union President Aishe Ghosh in the campus. #JNUViolence pic.twitter.com/VJm7Ocyoyg
— ANI (@ANI) January 8, 2020
इसके अलावा समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा जारी की गई 6 जनवरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस की तस्वीर में भी ओईशी के बाएं हाथ पर प्लास्टर दिखता है.
![Aishe Ghosh Press Conference PTI Photo](https://hindi.thewire.in/wp-content/uploads/2020/01/Aishe-Ghosh-Press-Conference-PTI-Photo.jpg)
ओईशी की इस तरह की तस्वीर साझा करने का उद्देश्य उनकी चोट को लेकर संदेह फैलाना लगता है, जिसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है. ट्विटर के अलावा वॉट्सऐप और फेसबुक पर ओईशी की इसी तरह की तस्वीरें साझा करके उनकी चोट को लेकर तमाम दावे किए गए हैं.
इससे पहले जेएनयू में हुई हिंसा में घायल हुए एसएफआई के कार्यकर्ता सूरी कृष्णन की चोट को लेकर भी इसी तरह की तस्वीरें साझा करते हुए ऐसे ही दावे किए गए थे, जो फैक्ट-चेक पड़ताल में झूठे साबित हुए थे.