हसदेव अरण्य क्षेत्र के सरपंचों ने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के भाषण को याद दिलाते हुए कहा कि यहां का समुदाय पूर्णतया जंगल पर आश्रित है, जिसके विनाश से यहां के लोगों का पूरा अस्तित्व ख़तरे में पड़ जाएगा.
बीते 14 अक्टूबर से राज्य के सरगुजा, सूरजपुर और कोरबा ज़िले के बीस से ज़्यादा गांवों के आदिवासी हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदान खोले जाने के ख़िलाफ़ धरना दे रहे हैं. उनका आरोप है कि कोल ब्लॉक के लिए पेसा क़ानून और पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों की अनदेखी की गई है.
लगभग 11.8 लाख आदिवासियों और वनवासियों को वन भूमि से बेदखल करने के मामले की सुनवाई करते समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नौ राज्यों ने आदिवासियों के दावे ख़ारिज करते समय तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया है.
वन अधिकार क़ानून 2006 के तहत ख़ारिज दावा-पत्रों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासियों को जंगल से बेदख़ल करने का आदेश दिया था, जिस पर बाद में रोक लगा दी गई. पर दावा-पत्र खारिज क्यों हुए? केंद्र सरकार ने अदालत से कहा कि दावा-पत्र सही से नहीं भरे गए, जबकि हक़ीक़त यह है कि सरकारों की मिलीभगत से इन्हें ख़ारिज किया गया है ताकि जंगलों में खनिज संपदा के दोहन के लिए लीज़ देने में किसी तरह की परेशानी
आदिवासियों की जंगल से बेदख़ली का जो सिलसिला आज़ादी के बाद से कभी विकास तो कभी पर्यावरण के नाम पर चला आ रहा है, क्या वह किसी तार्किक परिणति की तरफ बढ़ रहा है? हालांकि जैसे-जैसे आदिवासी तबाह हो रहे हैं, परेडों, संग्रहालयों, कला मेलों और शहरी उत्सवों में उनकी शोभा में वृद्धि हो रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण करने वाले हैं. अादिवासियों का कहना है कि ये प्रोजेक्ट उनके लिए विनाशकारी है. इसके विरोध में 72 गांवों में खाना नहीं पकेगा.
ग्राउंड रिपोर्ट: महिषासुर की याद में नवरात्र की शुरुआत के साथ दशहरा यानी दस दिनों तक असुर शोक मनाते हैं. इस दौरान किसी किस्म की रीति-रस्म या परपंरा को नहीं निभाया जाता.
ग्राउंड रिपोर्ट: एक विधानसभा सीट वाले डांग ज़िले में रोज़गार के लिए पलायन और आदिवासियों की धार्मिक पहचान अहम मुद्दा है.
ग्राउंड रिपोर्ट: ज़िले के विभिन्न गांवों में रहने वाले आदिवासियों का कहना है कि उनकी ज़िंदगियों से विकास कोसों दूर है.
ग्राउंड रिपोर्ट: आदिवासी ज़िले नर्मदा में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के निर्माण का काम ज़ोर-शोर से चल रहा है लेकिन इस पूरे ज़िले के किसी भी अस्पताल में आईसीयू की व्यवस्था नहीं है.
बसपा प्रमुख का आरोप, भाजपा ने राजनीतिक स्वार्थ में संवैधानिक संस्थाओं और लोकतंत्र को कमज़ोर किया, तानाशाही और मनमानी चल रही है.
हिंदू धर्म आज तक अगर प्राणवान रहा है तो राजाओं, अदालतों और पुलिस या लठैतों के बल पर नहीं. उसकी प्राणवत्ता परस्पर विरोधी स्वरों को सुनने और बोलने देने की उसकी तत्परता में रही है. उसे किसी मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं.
आज महिषासुर एक ऐतिहासिक चरित्र से मिथक बन चुका है. इतिहास के अति लोकप्रिय नायक मिथक हो जाया करते हैं. महिषासुर का इतिहास तो लोकमानस की यादों में जीवित है, उसे इतिहास ग्रंथों में खोजना बेईमानी है.
छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले में आदिवासियों ने महिषासुर को पूर्वज बताते हुए दुर्गा पूजा समिति के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया है तो मध्य प्रदेश के बैतूल में रावण वध के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहा है.
राज्य के करदाना गांव में सरकार ने उन लोगों की पेंशन रोक दी है, जिन्होंने अब तक बैंक में आधार कार्ड नहीं जमा किया है. यह न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मिलने वाले जीने के अधिकार की अवहेलना भी है.