एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा, लोक जनशक्ति पार्टी, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी की चंदे से हुई आय में सर्वाधिक वृद्धि हुई है.
614 करोड़ रुपये के इन चुनावी बॉन्ड में से 200 करोड़ रुपये के बॉन्ड एसबीआई की कोलकाता शाखा, 195 करोड़ रुपये के बॉन्ड चेन्नई शाखा और 140 करोड़ रुपये के बॉन्ड हैदराबाद शाखा से बेचे गए हैं. साल 2018 से लेकर अक्टूबर 2021 तक कुल 18 चरणों में 7,994 करोड़ रुपये के गोपनीय चुनावी बॉन्ड बेचे जा चुके हैं, जिनका मुख्य मक़सद राजनीतिक दलों को चंदा देना है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के रिपोर्ट में कहा है कि 42 क्षेत्रीय दलों का विश्लेषण किया गया, उनमें से केवल 14 ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 447.498 करोड़ रुपये का चंदा मिलने की घोषणा की है, जो उनकी कुल आय का 50.97 प्रतिशत है.
वित्त मंत्रालय के निर्देश पर चुनावी बॉन्ड के 18वें चरण की बिक्री शुरू हो गई है और यह 10 अक्टूबर तक चलेगी. हालांकि कई कार्यकर्ताओं और नेताओं ने गोपनीय चुनावी बॉन्ड को जारी रखने को लेकर चिंता ज़ाहिर की है और सर्वोच्च न्यायालय से इसमें तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले सात वर्षों में कुल 1,133 उम्मीदवारों और 500 सांसदों-विधायकों ने पार्टियां बदलीं और चुनाव लड़े. कांग्रेस के बाद बहुजन समाज पार्टी दूसरी ऐसी पार्टी रही, जिससे सबसे अधिक उम्मीदवार और सांसद-विधायक अलग हुए.
चुनाव आयोग में दायर किए गए पार्टी के वार्षिक ऑडिट के अनुसार, भाजपा देश की सबसे धनी राजनीतिक पार्टी बनी हुई है, जिसकी कुल नकदी 3,501 करोड़ रुपये (कैश और बैंक खातों में) है, जो कि साल 2019-20 में 1,904 करोड़ रुपये की तुलना में काफी अधिक है. 2019-20 में पार्टी ने 73 करोड़ रुपये की ज़मीन और लगभग 59 करोड़ रुपये के भवन ख़रीदे थे.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-2020 में भाजपा द्वारा घोषित चंदे की राशि कांग्रेस, राकांपा, भाकपा, माकपा और टीएमसी द्वारा इसी अवधि में प्राप्त चंदे की कुल राशि से तीन गुना से भी अधिक है. भाजपा को 785.77 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि शेष दलों को कुल 228.035 करोड़ रुपये का चंदा मिला.
आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चला है कि एक जुलाई से 10 जुलाई के बीच 17वें चरण में कलकत्ता ब्रांच से 97.31 करोड़ रुपये, चेन्नई ब्रांच से 30 करोड़ रुपये और हैदराबाद ब्रांच से 10 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए थे.
पेगासस प्रोजेक्ट: पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के फोन की फॉरेंसिक जांच के बिना यह बता पाना संभव नहीं है कि इसमें सफलतापूर्वक पेगासस स्पायवेयर डाला गया या नहीं, हालांकि निगरानी सूची में उनके नंबर का होना यह दर्शाता है कि उनके फोन में सेंध लगाने की योजना बनाई गई थी.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल में शामिल कुल 78 मंत्रियों में से चार के ख़िलाफ़ हत्या के प्रयास के मामले दर्ज हैं. इसके साथ ही 90 फीसदी मंत्री करोड़पति हैं.
चुनाव सुधार के क्षेत्र में काम करने वाले संगठन एडीआर के रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर के अनंतनाग से नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी ने ख़र्च की सीमा से 927,920 रुपये अधिक व्यय किया. वहीं, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से भाजपा सांसद रवींद्र श्याम नारायण शुक्ला उर्फ़ रवि किशन ने सीमा से 795,916 रुपये अधिक ख़र्च किया.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के अनुसार चुनावी ट्रस्ट के माध्यम से राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे की 76.17 फीसदी राशि भाजपा को मिली है. इसके बाद दूसरे स्थान पर कांग्रेस को 58 करोड़ रुपये का चंदा मिला है.
चुनाव अधिकार संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, केरल सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल 12 या 60 प्रतिशत मंत्रियों ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि पांच या 25 प्रतिशत मंत्रियों ने अपने ख़िलाफ़ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
देश में अब तक कुल 16 चरणों में चुनावी बॉन्ड की बिक्री हुई है. एसबीआई ने एक आरटीआई आवेदन के जवाब में बताया है कि इस साल जनवरी में 15वें चरण में 42.10 करोड़ रुपये और अप्रैल में 16वें चरण में 695.34 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए हैं. इस दौरान सर्वाधिक बॉन्ड पश्चिम बंगाल के कोलकता शाखा से बिके.
झारखंड में सत्तारूढ़ पार्टी झामुमो ने बताया है कि उसे एल्युमिनियम एवं तांबा विनिर्माता कंपनी हिंडाल्को से एक करोड़ रुपये का चंदा चुनावी बांड के ज़रिये मिला है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने कहा है कि इससे यह सवाल उठता है कि क्या राजनीतिक दलों को दान देने वालों की पहचान की जानकारी है, जिन्होंने उसे चुनावी बॉन्ड के ज़रिये योगदान दिया है.