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पांच क्षेत्रीय दलों ने 2020-21 में चुनावी बॉन्ड से 250.60 करोड़ रुपये चंदा मिलने की घोषणा की: एडीआर

एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 31 क्षेत्रीय पार्टियों को कुल 529.416 करोड़ रुपये की कुल आय हुई और उन्होंने 414.028 करोड़ रुपये अपने कुल ख़र्च घोषित किए हैं.

चुनावी ट्रस्टों से दलों को मिले 250 करोड़ रुपये से अधिक, अकेले भाजपा को 82 फीसदी: एडीआर

एडीआर के अनुसार, इलेक्टोरल ट्रस्टों से सभी राजनीतिक दलों को दान में दिए गए 258 करोड़ रुपये में से भाजपा को 212.05 करोड़ रुपये मिले हैं. सबसे बड़े इलेक्टोरल ट्रस्ट में से एक प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने भाजपा को 209 करोड़ रुपये दान में दिए हैं.

उत्तर प्रदेश के कम से कम 22 मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच कहा कि यूपी में शपथ लेने वाले 45 नए मंत्रियों में से 22 ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है और उनमें से ज़्यादातर पर गंभीर आरोप हैं.

पंजाब मंत्रिमंडल के 11 में से सात मंत्रियों पर आपराधिक मामले, नौ करोड़पति: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और पंजाब इलेक्शन वॉच मुख्यमंत्री सहित सभी 11 मंत्रियों के चुनावी हलफ़नामों का विश्लेषण किया. एडीआर ने कहा कि सात मंत्रियों ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले घोषित किए हैं. उनमें से चार ने अपने ख़िलाफ़ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं. मुख्यमंभी भगवंत मान गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे चार मंत्रियों में शामिल हैं.

भाजपा ने 2019-20 में 4,847 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति घोषित की: एडीआर

चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले संगठन द एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने 2019-20 में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की संपत्ति और देनदारियों के अपने विश्लेषण के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है. वित्त वर्ष के दौरान सात राष्ट्रीय और 44 क्षेत्रीय दलों द्वारा घोषित कुल संपत्ति क्रमश: 6,988.57 करोड़ रुपये और 2,129.38 करोड़ रुपये थी.

केंद्रीय सूचना आयोग ने चुनावी बॉन्ड पर एसबीआई की रिपोर्ट का खुलासा करने से इनकार किया

आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने भारतीय स्टेट बैंक द्वारा चुनावी बॉन्ड की बिक्री और उन्हें भुनाने के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक और केंद्र को साल 2018 में सौंपी गई रिपोर्ट का खुलासा करने की मांग की थी.

2021 के चुनावों के दौरान उन्नीस पार्टियों को मिले 1,100 करोड़ रुपये, भाजपा को सर्वाधिक: अध्ययन

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भाजपा और कांग्रेस सहित 19 राजनीतिक दलों ने पांच राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव के दौरान 500 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा स्टार प्रचारकों के विज्ञापनों और यात्रा मद में गया.

2019-20 में क्षेत्रीय दलों ने अज्ञात स्रोतों से जुटाए 445.77 करोड़ रुपये: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2019-20 में 25 क्षेत्रीय दलों को 803.24 करोड़ रुपये दान मिला, जिसमें 426.23 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड से आए और क्षेत्रीय दलों ने स्वैच्छिक योगदान से 4.97 करोड़ रुपये एकत्र किए, जिसमें से 55.5 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से आया.

16 क्षेत्रीय दलों ने बिना पैन विवरण के 24.779 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त किया: रिपोर्ट

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा, लोक जनशक्ति पार्टी, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी की चंदे से हुई आय में सर्वाधिक वृद्धि हुई है.

ग़ैर-चुनावी अवधि में भी एसबीआई ने 614 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे: आरटीआई

614 करोड़ रुपये के इन चुनावी बॉन्ड में से 200 करोड़ रुपये के बॉन्ड एसबीआई की कोलकाता शाखा, 195 करोड़ रुपये के बॉन्ड चेन्नई शाखा और 140 करोड़ रुपये के बॉन्ड हैदराबाद शाखा से बेचे गए हैं. साल 2018 से लेकर अक्टूबर 2021 तक कुल 18 चरणों में 7,994 करोड़ रुपये के गोपनीय चुनावी बॉन्ड बेचे जा चुके हैं, जिनका मुख्य मक़सद राजनीतिक दलों को चंदा देना है. 

14 क्षेत्रीय दलों ने चुनावी बॉन्ड के ज़रिये चंदा प्राप्त होने की घोषणा की: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के रिपोर्ट में कहा है कि 42 क्षेत्रीय दलों का विश्लेषण किया गया, उनमें से केवल 14 ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 447.498 करोड़ रुपये का चंदा मिलने की घोषणा की है, जो उनकी कुल आय का 50.97 प्रतिशत है.

सुप्रीम कोर्ट गोपनीय चुनावी बॉन्ड मामले पर सुनवाई क्यों नहीं कर रहा है

वित्त मंत्रालय के निर्देश पर चुनावी बॉन्ड के 18वें चरण की बिक्री शुरू हो गई है और यह 10 अक्टूबर तक चलेगी. हालांकि कई कार्यकर्ताओं और नेताओं ने गोपनीय चुनावी बॉन्ड को जारी रखने को लेकर चिंता ज़ाहिर की है और सर्वोच्च न्यायालय से इसमें तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है.

Amritsar: A kitemaker displays customised kites made ahead of the Lok Sabha elections results 2019, in Amritsar, Wednesday, May 22, 2019. (PTI Photo) (PTI5_22_2019_000072B)

बीते सात सालों में सर्वाधिक नेताओं ने कांग्रेस छोड़ी, भाजपा से जुड़े सबसे अधिक नेता: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले सात वर्षों में कुल 1,133 उम्मीदवारों और 500 सांसदों-विधायकों ने पार्टियां बदलीं और चुनाव लड़े. कांग्रेस के बाद बहुजन समाज पार्टी दूसरी ऐसी पार्टी रही, जिससे सबसे अधिक उम्मीदवार और सांसद-विधायक अलग हुए.

साल 2019-20 में कुल चुनावी बॉन्ड की 75 फ़ीसदी राशि भाजपा को मिली, कांग्रेस को महज़ नौ फ़ीसदी

चुनाव आयोग में दायर किए गए पार्टी के वार्षिक ऑडिट के अनुसार, भाजपा देश की सबसे धनी राजनीतिक पार्टी बनी हुई है, जिसकी कुल नकदी 3,501 करोड़ रुपये (कैश और बैंक खातों में) है, जो कि साल 2019-20 में 1,904 करोड़ रुपये की तुलना में काफी अधिक है. 2019-20 में पार्टी ने 73 करोड़ रुपये की ज़मीन और लगभग 59 करोड़ रुपये के भवन ख़रीदे थे.

पांच अन्य दलों को मिले कुल चंदे की तीन गुना से अधिक राशि भाजपा को मिलीः एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019-2020 में भाजपा द्वारा घोषित चंदे की राशि कांग्रेस, राकांपा, भाकपा, माकपा और टीएमसी द्वारा इसी अवधि में प्राप्त चंदे की कुल राशि से तीन गुना से भी अधिक है. भाजपा को 785.77 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि शेष दलों को कुल 228.035 करोड़ रुपये का चंदा मिला.