चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर रोक की याचिका ख़ारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पर्याप्त सुरक्षा मौजूद

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने एक याचिका में राजनीतिक दलों की फंडिंग और खातों में पारदर्शिता की कथित कमी संबंधी एक मामले के लंबित रहने और आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी बॉन्ड की आगे बिक्री की अनुमति न देने की मांग की थी. शीर्ष अदालत ने इससे इनकार कर दिया है.

चुनाव आयोग ने चुनावी बॉन्ड पर रोक का विरोध किया, सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रखा

इस संबंध में याचिका दायर करने वाली ग़ैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से कहा गया कि इस तरह के गोपनीय चुनावी बॉन्ड के चलते ‘भ्रष्टाचार को क़ानूनी मान्यता’ मिल रही है और चूंकि सरकार फायदा पहुंचा सकती है, इसलिए कंपनियां सत्ताधारी दल को ही इसके ज़रिये फंड करेंगी.

चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर मोदी सरकार ने 4.10 करोड़ रुपये के कमीशन का भुगतान किया

आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के मुताबिक़, राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के ज़रिये मिलने वाले 'गोपनीय' चंदे के लिए भारत सरकार को अब तक कुल 15 चरणों में हुई बिक्री के लिए 4.35 करोड़ रुपये के कमीशन देना है. साथ ही, बॉन्ड की छपाई के लिए सरकार ने 1.86 करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं.

2016 से 2020 के बीच दल बदलने वाले लगभग 45 फ़ीसदी विधायक भाजपा में शामिलः एडीआर

चुनाव सुधार की दिशा में काम करने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिकट रिफॉर्म्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2016 से 2020 के दौरान हुए चुनावों में कांग्रेस के 170 विधायक दूसरे दलों में शामिल हुए जबकि भाजपा के सिर्फ़ 18 विधायकों ने दूसरी पार्टियों का दामन थामा.

बिहार: भ्रष्टाचार के आरोपों पर विवाद के बाद शिक्षा मंत्री बनाए गए मेवालाल चौधरी का इस्तीफ़ा

राजनीति में प्रवेश से पहले मेवालाल चौधरी भागलपुर के बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे. असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में अनियमितता के आरोपों और एफआईआर दर्ज किए जाने के मद्देनजर उन्हें 2017 में नीतीश कुमार नीत जदयू से निलंबित कर दिया गया था.

बिहार में 1,200 से अधिक प्रत्याशियों ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामलों की घोषणा की है: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राजद के 141 उम्मीदवारों का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 98, जदयू के 115 में से 56, भाजपा के 109 में से 76, लोजपा के 135 में से 70, कांग्रेस के 70 उम्मीदवारों का विश्लेषण किया गया जिनमें 45 ने अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की है.

गुजरात विधानसभा उपचुनाव में खड़े 18 प्रतिशत उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि वाले: एडीआर

गुजरात विधानसभा की आठ सीटों के लिए तीन नवंबर को उपचुनाव होना है, जिसके नतीजे दस नवंबर को घोषित किए जाएंगे. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 80 उम्मीदवारों में से 20 करोड़पति हैं.

बिहार चुनाव: दूसरे चरण के 34 फ़ीसदी उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ दर्ज हैं आपराधिक मामले

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण का मतदान तीन नवंबर को होगा. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक़ 1,463 उम्मीदवारों में से 389 उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.

मध्य प्रदेश उपचुनाव में 18 प्रतिशत उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ दर्ज हैं आपराधिक मामले: एडीआर

मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर तीन नवंबर को उपचुनाव होने हैं. इनमें से अधिकतर सीटें कांग्रेस के बागी विधायकों के पार्टी और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के बाद खाली हुई हैं.

अमीरों-नेताओं के चुनावी बॉन्ड की छपाई और बैंक कमीशन का ख़र्च करदाता उठा रहा: आरटीआई

आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेज़ों से पता चलता है कि अब तक क़रीब 19,000 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड की छपाई हो चुकी है. ख़ास बात ये है कि इनकी छपाई, बिक्री और इसे भुनाने में बैंक का जो कमीशन बनता है, इसके ख़र्च की भरपाई केंद्र सरकार कर रही है.

पंद्रह क्षेत्रीय दलों ने नहीं दिया आय-व्यय का ब्योरा, बीजद सबसे धनी क्षेत्रीय दल : एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें सर्वाधिक आय वाले क्षेत्रीय दलों में बीजद के अलावा तेलंगाना राष्ट्र समिति और वाईआरएस कांग्रेस शामिल हैं. इन तीनों दलों की आय में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में सर्वाधिक इज़ाफ़ा भी दर्ज किया गया.

दिल्ली ने बेदाग छवि वालों के मुक़ाबले आपराधिक मामलों के 26 आरोपियों को विधायक चुना: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और दिल्ली इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में केवल आठ विधायक हैं, जिनके ख़िलाफ़ कोई केस दर्ज नहीं है और उन्होंने उन प्रत्याशियों को हराया, जिनके ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज हैं.

लोकसभा चुनाव में प्रचार पर भाजपा ने किया सर्वाधिक ख़र्च: एडीआर

चुनाव सुधार से संबंधित शोध संस्था एसोसिएशन फॉर डे​मोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने चुनाव में 1141.72 करोड़ रुपये ख़र्च किए, वहीं कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में 626.36 करोड़ रुपये व्यय किया है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव: आप को लगातार दूसरी बार पचास फ़ीसदी से ज़्यादा मत मिले

देश के चुनावी इतिहास में किसी क्षेत्रीय दल के लगातार दो बार पचास फ़ीसदी से अधिक मत प्रतिशत के साथ सत्ता में वापसी का उदाहरण नहीं है. जहां 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 67 सीटें और 54.3 प्रतिशत वोट मिले थे, वहीं इस बार पार्टी ने 53.54 मत प्रतिशत के साथ 62 सीटें जीती है.

अब तक 6000 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे जा चुके हैं: एडीआर

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अपने विश्लेषण में बताया है कि 12 चरणों के दौरान बेचे गए 12,313 बॉन्ड्स में से 6524 बॉन्ड्स (45.68 फीसदी) एक करोड़ की कीमत के थे जबकि 4877 बॉन्ड्स (39.61 फीसदी) 10 लाख रुपये की कीमत के थे.

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