agrarian crisis

हिमाचल प्रदेश: अडानी समूह पर सेब की कीमतें कम करने का आरोप, सेब उत्पादक निराश

इस बार अडानी समूह ने एक किलो ए-ग्रेड सेब की कीमत 72 रुपये तय की है, जो कि पिछले साल घोषित प्रति किलो 88 रुपये की तुलना में काफी कम है. इसके चलते राज्य के क़रीब 5ए000 करोड़ रुपये के सेब का कारोबार काफ़ी प्रभावित हुआ है. किसानों का आरोप है कि अन्य ख़रीददार भी अडानी समूह का अनुसरण कर कम कीमत पर सेब ख़रीद रहे हैं.

किसान हित के दावों के बीच सरकार ने लक्ष्य के मुकाबले छह फीसदी से भी कम दालें और तिलहन खरीदा

सरकारी दस्तावेज़ों से पता चलता है कि खरीफ 2020-21 सीजन में सरकार ने 51.91 लाख टन दालें एवं तिलहन खरीदने की योजना बनाई थी, लेकिन इसमें से महज 3.08 लाख टन खरीद हुई है. इसके लिए 10.60 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन 1.67 लाख को ही लाभ मिला है.

पीएम किसान के तहत 20 लाख अयोग्य लाभार्थियों को 1,364 करोड़ रुपये का भुगतान: आरटीआई

आरटीआई के तहत केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत अयोग्य लाभार्थियों की बड़ी संख्या पांच राज्यों- पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में है. अयोग्य लाभार्थियों में आधे से अधिक यानी 54.03 प्रतिशत लोग पंजाब, असम और महाराष्ट्र से हैं.

यूपी: धान की ख़रीदी लक्ष्य से 50 फ़ीसदी कम, रजिस्ट्रेशन कराए पांच लाख किसानों से नहीं हुई ख़रीद

विशेष रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश में धान की ख़रीद शुरू होने पर योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि किसी भी किसान को एमएसपी से कम मूल्य पर अपने कृषि उत्पादन नहीं बेचना है. हालांकि सरकारी आंकड़ों के मुकाबले प्रदेश की मंडियों में एमएसपी से कम पर बिक्री तो हो ही रही है, सरकारी ख़रीद भी काफी कम है. रफ़्तार इतनी धीमी है कि ख़रीद केंद्र एक दिन में दो किसानों से भी धान नहीं ख़रीद पा रहे हैं.

बीते दो महीनों में एमएसपी से नीचे खरीद के चलते किसानों को हुआ 1,900 करोड़ रुपये का घाटा

विशेष रिपोर्ट: बाजार मूल्य की जानकारी देने वाले कृषि मंत्रालय के पोर्टल से मिले आंकड़ों का विश्लेषण बताता है कि अक्टूबर-नवंबर में एमएसपी से कम दाम पर कृषि उपजों की बिक्री से किसानों को क़रीब 1,881 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों की प्रमुख मांग एमएसपी को क़ानूनी अधिकार बनाने की है.

किसान आंदोलन के बीच बिहार में अनाज ख़रीद की अच्छी व्यवस्था का नीतीश कुमार का दावा झूठा है

एक्सक्लूसिव रिपोर्ट: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कृषि क़ानूनों का समर्थन करते हुए कहा है कि उनकी सरकार ने 2006 में एपीएमसी एक्ट ख़त्म कर दिया, जिसका बड़ी संख्या में किसानों को लाभ मिला. हालांकि आधिकारिक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि बिहार के कृषि मंत्रालय ने केंद्र को पत्र लिखकर बताया था कि उनके यहां न तो पर्याप्त गोदाम हैं और न ही अनाज ख़रीदने की अच्छी व्यवस्था.

केंद्र की रबी एमएसपी में ‘ऐतिहासिक’ बढ़ोतरी को कई राज्यों ने किया था ख़ारिज, वृद्धि की थी मांग

विशेष रिपोर्ट: सितंबर में विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों के बीच मोदी सरकार ने छह रबी फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा करते हुए इसे ऐतिहासिक कहा था. हालांकि आधिकारिक दस्तावेज़ बताते हैं कि भाजपा शासित राज्यों समेत कई राज्य सरकारों ने इसे मामूली वृद्धि बताते हुए इसका विरोध किया था.

ख़रीफ की एमएसपी को कई राज्यों ने अपर्याप्त बताया था, केंद्र ने नहीं स्वीकारी दाम बढ़ाने की मांग

विशेष रिपोर्ट: ख़रीफ फसलों के लिए केंद्र द्वारा घोषित एमएसपी और इस बारे में राज्यों के प्रस्ताव में बड़ा अंतर है. द वायर द्वारा प्राप्त आधिकारिक दस्तावेज़ दिखाते हैं कि भाजपा शासित राज्यों समेत विभिन्न राज्य सरकारों ने केंद्र से बढ़ी उत्पादन लागत के हिसाब से एमएसपी घोषित करने की मांग की थी, जिसे माना नहीं गया.

Amritsar: Smoke rises as a farmer burns paddy stubbles at a village on the outskirts of Amritsar, Friday, Oct 12, 2018. Farmers are burning paddy stubble despite a ban, before growing the next crop. (PTI Photo) (PTI10_12_2018_1000108B)

सुप्रीम कोर्ट ने पराली की निगरानी के लिए समिति बनाने के फ़ैसले पर रोक लगाई

16 अक्टूबर के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी के लिए पूर्व जस्टिस मदन लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति गठित की थी.

A farmer shows wheat crop damaged by unseasonal rains in his wheat field at Sisola Khurd village in the northern Indian state of Uttar Pradesh, March 24, 2015. To match Insight INDIA-MODI/ Picture taken March 24, 2015. REUTERS/Anindito Mukherjee

क़र्ज़ माफ़ी के बावजूद महाराष्ट्र में सर्वाधिक किसानों ने आत्महत्या की

एनसीआरबी के मुताबिक, साल 2019 में देश भर के कुल 10,281 किसानों ने आत्महत्या की थी. इसमें से 3,927 किसान आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र के हैं. आंकड़ों के अनुसार, पिछले कई वर्षों में राज्य में हर साल 3500 से अधिक किसान अपनी जान दे देते हैं.

मोदी सरकार की ‘ऐतिहासिक एमएसपी वृद्धि’ कई राज्यों की उत्पादन लागत से भी कम है

विशेष रिपोर्ट: बीते दिनों कृषि विधेयकों के देशव्यापी विरोध के बीच मोदी सरकार ने रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की और इसे ‘ऐतिहासिक’ कहते हुए किसानों को लाभ होने दावा किया. हालांकि राज्यों द्वारा भेजी गई उत्पादन लागत रिपोर्ट बताती है कि यह एमएसपी कई राज्यों की उत्पादन लागत से भी कम है.

बिहार: किसानों की मदद के दावे के बीच सरकार ने ख़रीद लक्ष्य का एक फीसदी गेहूं भी नहीं खरीदा

इस बार बिहार सरकार द्वारा किसानों से सात लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इसकी तुलना में सरकार ने महज़ 0.71 फीसदी गेहूं खरीदा है.

Budgam: Farmers work in a paddy field during the harvesting season of the crop, in Budgam district of central Kashmir, Sunday, September 30, 2018. The yield of this year is better than the last year, as per reports. ( PTI Photo/S Irfan) (PTI9_30_2018_000081B)

वादों में ही रही क़र्ज़ माफ़ी, 10 राज्यों ने नहीं माफ़ किया किसानों का 1.12 लाख करोड़ रुपये का ऋण

साल 2014 से लेकर अब तक दस राज्यों ने कुल 2.70 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण को माफ़ करने की घोषणा की थी, लेकिन इसमें से 1.59 लाख करोड़ रुपये के ही क़र्ज़ माफ़ हुए हैं. इसके साथ ही आंकड़े बताते हैं कि 2015 से 2020 के बीच किसानों के क़र्ज़ में लगभग 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

केंद्र ने रबी फसलों के लिए एमएसपी घोषित की, पिछले 10 सालों में गेहूं के दाम में न्यूनतम बढ़ोतरी

विपक्षी दलों के सदन में हंगामे और किसानों के प्रदर्शन के बीच तीनों विवादित कृषि विधेयकों को राज्यसभा से मंज़ूरी मिल गई है. शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने गेहूं के एमएसपी में सिर्फ़ 50 रुपये की वृद्धि पर कहा कि इससे तो डीज़ल समेत अन्य लागत के बढ़े हुए दाम की भरपाई भी नहीं हो पाएगी.

A farmer shows wheat crop damaged by unseasonal rains in his wheat field at Sisola Khurd village in the northern Indian state of Uttar Pradesh, March 24, 2015. To match Insight INDIA-MODI/ Picture taken March 24, 2015. REUTERS/Anindito Mukherjee

साल 2019 में 42,480 किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की: एनसीआरबी

साल 2018 के मुकाबले किसानों की आत्महत्या में मामूली गिरावट आई है, जबकि दिहाड़ी कामगारों की आत्महत्या में आठ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.