वीडियो: हिमंता बिस्वा शर्मा की अगुवाई वाली असम की भाजपा सरकार पर लगातार सांप्रदायिकता बढ़ाने के आरोप लगते रहे हैं और लोकसभा चुनाव से पहले उनके विभिन्न बयान इसकी तस्दीक करते हैं. उधर, स्थानीय लोग सीएए के नियम अधिसूचित होने के बाद से नाराज़ है और इसके विरोध में सड़कों पर उतरे हैं. वहां चुनाव में कौन-से मुद्दे प्रभावी रहेंगे, इस बारे में द वायर की वरिष्ठ पत्रकार संगीता बरुआ पिशारोती से बात कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
असम में निर्वाचन आयोग द्वारा किए जा रहे विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन को कांग्रेस, सीपीआई (एम), तृणमूल कांग्रेस समेत 10 राजनीतिक दलों ने चुनौती दी है.
भारतीय निर्वाचन आयोग ने असम में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन का मसौदा प्रकाशित किया है, जिसमें राज्य में सीट संख्या तो समान रखी गई है, लेकिन कुछ निर्वाचन क्षेत्रों का नाम बदलने का प्रस्ताव है और कथित तौर पर मुस्लिम मतदाताओं की शक्ति को कम करने के लिए कई क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित किया गया है.
ये पांचों उन छह लोगों में से हैं, जिन पर पहले ही कथित तौर पर पुलिस हिरासत में हुई सफीकुल इस्लाम की मौत के विरोध में नागांव ज़िले के बटाद्रवा थाने में आग लगाने का आरोप लगाया गया है. रविवार को पुलिस ने थाने में आगजनी के आरोपियों को 'अतिक्रमणकारी' बताते हुए उनके घरों को ध्वस्त कर दिया था. इनमें मृतक सफीकुल का घर भी शामिल है.
तेरह राज्यों और दादरा एवं नगर हवेली की तीन लोकसभा सीटों व 29 विधानसभा सीटों पर गत 30 अक्टूबर को हुए उपचुनाव में पश्चिम बंगाल में टीएमसी, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस, हरियाणा में आईएनएलडी, बिहार में जदयू को सफलता मिली है. असम, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा को लाभ हुआ है.
वीडियो: इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम में हिमंता बिस्वा शर्मा की अगुवाई वाली भाजपा सरकार के सौ दिनों और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के अरुणाचल प्रदेश से चकमा और हाजोंग समुदाय को हटाने संबंधी बयान पर द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
असम कांग्रेस की कोर कमेटी के सदस्यों ने कहा है कि एआईयूडीएफ अब ‘महाजोत’ में भागीदार नहीं रह सकती. कांग्रेस ने कहा कि एआईयूडीएफ नेतृत्व और वरिष्ठ सदस्यों द्वारा भाजपा और मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की निरंतर प्रशंसा ने उनकी पार्टी के प्रति जनता की धारणा को प्रभावित किया है.
राज्य के तीन ज़िलों में अतिक्रमित भूमि से कई परिवारों को हाल में हटाए जाने का संदर्भ देते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने अल्पसंख्यक समुदाय से परिवार नियोजन अपनाने की अपील की थी. विपक्षी कांग्रेस, एआईयूडीएफ तथा अल्पसंख्यक छात्र निकाय ने इस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण, तुच्छ व भ्रामक क़रार दिया है.
चुनाव आयोग ने असम सरकार के मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा को बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के अध्यक्ष के ख़िलाफ़ कथित धमकी भरे बयान देने के मामले में 48 घंटे तक चुनाव प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया था. शनिवार को शर्मा द्वारा आचार संहिता के पालन का आश्वासन देने के बाद आयोग ने यह मियाद घटाकर 24 घंटे कर दी.
असम विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ के साथ हुए कांग्रेस के गठबंधन को भाजपा 'सांप्रदायिक' कह रही है, हालांकि पिछले ही साल राज्य के तीन ज़िला परिषद चुनावों में भाजपा के प्रत्याशी एआईयूडीएफ की मदद से ही अध्यक्ष पद पर काबिज़ हुए हैं.
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) को वोटों के लिए समाज को विभाजित करने वाला भाजपा का राजनीतिक हथियार बताया है. गोगोई ने कहा कि विधानसभा चुनाव में असम की पहचान और विकास दोनों दांव पर हैं. असम में पार्टी के सत्ता में आने पर सीएए को लागू करने नहीं दिया जाएगा.
भाजपा समर्थक एक दक्षिणपंथी समूह द्वारा एआईयूडीएफ के प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल के पुराने भाषण को प्रसारित करते हुए अजमल के 'इस्लामिक राष्ट्र' बनाने की बात कहने का दावा किया जा रहा है. साल 2019 में यूट्यूब पर अपलोड किए भाषण के मूल वीडियो में वे इस दावे के बिल्कुल विपरीत बात कह रहे हैं.
असम की पूर्व मुख्यमंत्री सैयदा अनवरा तैमूर दिसंबर 1980 से लेकर जून 1981 तक असम की मुख्यमंत्री रही थीं. चार बार विधायक रहने के साथ ही वह राज्यसभा सदस्य भी थीं. पूर्व मुख्यमंत्री बीते कुछ सालों से अपने बेटे के साथ ऑस्ट्रेलिया में रह रही थीं.
एनआरसी की अंतिम सूची के प्रकाशन के एक साल बाद भी इसमें शामिल नहीं हुए लोगों को आगे की कार्रवाई के लिए ज़रूरी रिजेक्शन स्लिप का इंतज़ार है. प्रक्रिया में हुई देरी के लिए तकनीकी गड़बड़ियों से लेकर कोरोना जैसे कई कारण दिए जा रहे हैं, लेकिन जानकारों की मानें तो वजह केवल यही नहीं है.
मार्च में बजट सत्र के आखिरी दिन मोरान स्वायत्त ज़िला परिषद विधेयक 2020, कामतापुर स्वायत्त ज़िला परिषद विधेयक 2020 और मतक स्वायत्त ज़िला परिषद विधेयक 2020 पेश किए गए थे, जिन्हें गुरुवार को पारित कर दिया गया.