हिंदी अंचल को अपनी प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करना चाहिए

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी अंचल में ज़हराब की बाढ़-सी लाने का सोचा-समझा और राजनीतिक रूप से वोट-खींचू अभियान शुरू हो गया है. उसका लक्ष्य बढ़ती विषमताओं, बेरोज़गारी, महंगाई आदि के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान हटा सांप्रदायिकता-हिंसा, भेदभाव और सामाजिक समरसता के भंग को बढ़ावा देना है.

साहित्य को राजनीति की अधीनता से बहुत कुछ मुक्त रखने की कोशिश लगातार करते रहना चाहिए

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: राजनीति अपने आधिपत्य को फैलाने-बचाने के लिए हर दिन कोई नई तरक़ीब इस्तेमाल करती है, वैसे ही साहित्य को नवाचार में संलग्न होना चाहिए. यह कठिन है पर फिर सच्चा और ईमानदार साहित्य लिखना तो हमेशा ही कठिन रहा है. कठिनाई से निपटना साहित्य-धर्म है, उससे भागना नहीं.