पूरे विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा और कांग्रेस के बीच ख़ुद को असली और प्रतिद्वंद्वी को नकली हिंदू सिद्ध करने की प्रतियोगिता-सी चल पड़ी.
मोदी चाहते हैं कि हम भारत के लोग ज्ञात-अज्ञात दुश्मनों से डरने वाली एक कमज़ोर क़ौम बनें ताकि सांप्रदायिक राजनीति का दैत्य निडर होकर घूम सके.
गुजरात चुनाव राउंडअप: वामदल और जदयू ने कहा, मोदी मुद्दों के बजाय गुजरात में पाकिस्तान के दख़ल की बात करते हैं, आरोप में दम है तो उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए.
बिहार विधानसभा चुनाव के समय भी जीत की अनिश्चितता के चलते भाजपा नेताओं ने ऐसी ही चुनावी रणनीति अपनायी थी.
लोकसभा और भाजपा से इस्तीफा दे चुके नाना पटोले ने कहा कि प्रधानमंत्री से ओबीसी मंत्रालय की मांग करने पर उन्होंने चिल्लाते हुए कहा कि ओबीसी को इसकी ज़रूरत नहीं.
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में कार्यवाही कर रहे जज लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में 1 दिसंबर, 2014 को मौत हो गई थी.
लोकसभा और भाजपा से इस्तीफ़ा देने के बाद पटोले ने कहा भाजपा में लोकतंत्र बिल्कुल नहीं. नरेंद्र मोदी और अमित शाह को सवाल सुनना पसंद नहीं.
शहरी प्रशासनिक इकाई के शीर्ष पर भाजपा का काबिज़ होना कोई नयी बात नहीं है. भाजपा के वोट शेयर के नुकसान की असली कहानी बाकी दोनों स्तरों पर दिखाई देती है.
सीबीआई जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत और न्यायपालिका पर उनके परिवार द्वारा उठाए गए सवालों पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार अरुण शौरी का नज़रिया.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार अरुण शौरी से द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु की बातचीत.
‘जज लोया के मामले में आरोप न्यायपालिका के लिए बहुत ही ख़तरनाक हैं. क़ानून और व्यवस्था के रखवाले ही अगर ये करते हैं तो हम कहां जाएंगे?’
भाजपा नेता सिन्हा का पहली बार मोदी-शाह पर सीधा हमला, कहा, सरकार एक आदमी की सेना, मंत्री ख़ुशामदियों की टोली हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस का मानना है कि जज बृजगोपाल लोया की संदिग्ध मौत के बारे जांच ज़रूरी है क्योंकि ऐसे मामले में लगे आरोप न्यायपालिका की साख कलंकित कर सकते हैं.
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बृजगोपाल लोया की मौत पर द कारवां पत्रिका के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
सीबीआई कोर्ट में मामले को सुन रहे जज बृजगोपाल लोया के परिजनों का कहना है कि लोया को जल्दी और मनमुताबिक फैसला देने के एवज में पैसे और ज़मीन की पेशकश की गई थी.