नीतीश ने विपक्ष का राष्ट्रीय नेता होने के कठिन रास्ते पर चलने के बजाय मौकापरस्त ढंग से मुख्यमंत्री बन ख़ुद को इतिहास के कूड़ेदान में जाने के लिए अभिशप्त बना लिया.
गुजरात में शंकर सिंह वाघेला के कांग्रेस छोड़ने के बाद पिछले दो दिनों में पार्टी के छह विधायकों ने दिया इस्तीफा. पांच विधायकों ने भाजपा का दामन थामा.
नीतीश मुख्यमंत्री पद के तथाकथित ‘बलिदान’ के कुछ ही घंटों के भीतर भाजपा के समर्थन से फिर उसी कुर्सी पर काबिज़ हो गए, जो प्रदेश की जनता द्वारा दिए गए जनादेश से धोखा करने जैसा है.
राजद प्रमुख लालू यादव ने कहा, नीतीश कुमार ने बिहार के जनादेश को धोखा दिया है. नीतीश कुमार बहुत बड़े अवसरवादी हैं.
भाजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी जानकारी, विपक्ष के उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी से होगा मुक़ाबला.
प्रधानमंत्री ने कहा, गोरक्षा को कुछ असामाजिक तत्वों ने अराजकता फैलाने का माध्यम बना लिया है. देश की छवि पर भी इसका असर पड़ रहा है.
नीतीश को अध्यक्ष बनाने का सुझाव देते हुए गुहा ने बताया कि वे ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कांग्रेस बगैर नेता वाली पार्टी है और नीतीश बगैर पार्टी वाले नेता हैं.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में गोरक्षा के नाम पर लोगों की हत्या को हिंदुत्व के ख़िलाफ़ बताया.
‘एक ऐसी सरकार जो ‘सबका विकास’ के वादे पर सत्ता में आई थी, अब समाज के सबसे कमज़ोर लोगों को सुरक्षा देने को लेकर अनिच्छुक नज़र आ रही है.’
जन गण मन की बात की 67वीं कड़ी में विनोद दुआ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा गांधी को चतुर बनिया बताए जाने और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर पड़े दुष्प्रभाव पर चर्चा कर रहे हैं.
छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस सिद्धांतों पर आधारित पार्टी नहीं है, यह केवल आज़ादी पाने का साधन मात्र थी और महात्मा गांधी कांग्रेस के उजाड़ भविष्य के बारे में जानते थे.
संप्रग सरकार के समय राष्ट्रपति बने प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस साल 25 जुलाई को समाप्त होने वाला है.
मोदी यह समझाने की कितनी भी कोशिश करें कि उनके आने से बदलाव आया है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था से जुड़े अधिकांश क्षेत्रों में सरकार प्रगति करने के लिए जूझती नज़र आ रही है.
एक समय था जब भाजपा कम्युनिस्ट पार्टियों के अलावा देश की एकमात्र कैडर आधारित पार्टी हुआ करती थी, जिसकी अपनी एक चमक थी.
गुजरात विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर ने एक फेसबुक पोस्ट में दावा किया है कि नरेंद्र मोदी की डिग्री में जिस पेपर का उल्लेख किया गया है, उस समय एमए के दूसरे साल में ऐसा कोई पेपर नहीं था.