एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की ओर से कहा गया कि हम दोहराते हैं कि वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले ईडी का यह आरोप पूरी तरह असत्य है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ में शामिल था. मानवाधिकार संगठन ने कहा कि दमनकारी क़ानूनों के तहत अपने आलोचकों पर शिकंजा कसना मौजूदा केंद्र सरकार में आम बात हो गई है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए गुजरात पुलिस ने शनिवार 25 जून को मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ़्तार कर लिया था. सीतलवाड़ ने 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच की मांग की थी. उनकी गिरफ़्तारी पर विभिन्न संगठनों ने कहा है कि यह कार्रवाई उन लोगों के ख़िलाफ़ सीधा प्रतिशोध है, जो मानवाधिकारों के लिए सवाल उठाने की हिम्मत करते हैं.
विशेष अदालत ने मजिस्ट्रेट अदालत के निर्देश को बरक़रार रखते हुए कहा कि जिस तरह आकार पटेल के ख़िलाफ़ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया, वह संबंधित क़ानून की समझ की कमी को दर्शाता है. इससे पहले मजिस्ट्रेट अदालत ने सीबीआई को तुरंत सर्कुलर वापस लेने का निर्देश दिया था.
एफसीआरए के कथित उल्लंघन मामलों की दो साल की जांच के बाद 31 दिसंबर, 2021 को एजेंसी ने दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत में आकार पटेल और एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के ख़िलाफ़ अधिनियम की धारा 35, 39 और 11 के तहत आरोप पत्र दायर किया था.
दिल्ली की अदालत ने गुरुवार को एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और लेखक आकार पटेल को अमेरिका जाने की अनुमति देते हुए सीबीआई को लुकआउट सर्कुलर वापस लेने का निर्देश दिया था. अब उसने इस आदेश पर रोक लगा दी है. वहीं, गुरुवार शाम को पटेल को फिर बेंगलुरु हवाईअड्डे पर रोक दिया गया.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और लेखक आकार पटेल को सीबीआई द्वारा उनके ख़िलाफ़ जारी लुकआउट सर्कुलर का हवाला देकर बीते छह अप्रैल को बेंगलुरु हवाईअड्डे से देश छोड़कर जाने से रोक दिया गया था. अदालत ने सीबीआई निदेशक को अपने अधीनस्थ की ओर से चूक को स्वीकार करते हुए पटेल को एक लिखित माफ़ी जारी करने को भी कहा है.
सीबीआई ने एफसीआरए से जुड़े एक मामले में लुकआउट सर्कुलर का हवाला देकर एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के पूर्व प्रमुख और लेखक आकार पटेल को बेंगुलरू हवाईअड्डे पर रोक दिया गया. वह बर्कले और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए अमेरिका जा रहे थे.
ईडी द्वारा खाते फ्रीज़ किए जाने के बाद बीते साल सितंबर महीने में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में अपना काम बंद किया था और इसके लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया था.
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की शीर्ष अधिकारी ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों पर अमेरिकी संसद की सुनवाई के दौरान आरोप लगाया कि एक साल तक भारत सरकार द्वारा जारी धमकियां, एमनेस्टी इंडिया के दफ़्तरों पर हमले, कर्मचारियों और बोर्ड के सदस्यों से पूछताछ आदि के बाद यह कदम उठाया गया.
जनता के हर विरोध को अपराध ठहराया जा रहा है. वह दिन दूर नहीं है जब सरकार भारतीयों को यह बताएगी कि उनका बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ बोलना, किसानों का सरकार के ख़िलाफ़ खड़े होना, सब कुछ अंतरराष्ट्रीय साज़िश है. भारत में जन्म लेना भी एक षड्यंत्र घोषित किया जा सकता है.
इन संगठनों ने बयान जारी कर भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा एमनेस्टी इंडिया के ख़िलाफ़ कार्रवाई को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है. इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले इस संगठन के भारत में काम बंद करने के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया है.
सरकार द्वारा निशाना बनाए जाने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को भारत में अपना काम रोकने की अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की घोषणा के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि मानवाधिकार देश के क़ानून को तोड़ने का बहाना नहीं हो सकता है.
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने देश में अपना काम बंद करने का यह क़दम ईडी द्वारा उसके खातों को फ्रीज किए जाने के बाद उठाया है. संगठन के इस क़दम से क़रीब 150 कर्मचारियों की नौकरी चली जाएगी.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा कि पिछले एक वर्ष के दौरान जब भी एमनेस्टी इंडिया भारत में मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ खड़ा हुआ है और बोला है तब उसे उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया द्वारा जारी रिपोर्ट में सूचना आयोगों में पदों की रिक्ति को आरटीआई की सक्रियता के लिए बाधक बताया गया है. राज्यों के मामले में उत्तर प्रदेश ने 14 साल में एक भी वार्षिक रिपोर्ट पेश नहीं की है, जबकि बिहार सूचना आयोग की अब तक वेबसाइट भी नहीं बन पायी है.