एल्गार परिषद मामले की जांच कर रही एनआईए ने बॉम्बे हाईकोर्ट से सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली ज़मानत के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने एनआईए से कहा कि वे हाईकोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े को ज़मानत देने वाले अपने विस्तृत आदेश में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ ज़ब्त सामग्री किसी भी रूप में यह साबित नहीं करती है कि उन्होंने यूएपीए अधिनियम की धारा-15 के तहत कोई आतंकी कृत्य किया है या उसमें शामिल रहे हैं.
एल्गार परिषद मामले में विचाराधीन क़ैदी के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. पिछले साल 13 नवंबर को गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 26 नक्सलियों में उनके भाई कथित नक्सली नेता मिलिंद भी शामिल थे. भाई की मौत के मद्देनज़र आनंद तेलतुम्बड़े ने मां से मिलने की अनुमति मांगी थी.
लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े ने पिछले महीने सुरक्षाबलों के साथ एक मुठभेड़ में उनके भाई मिलिंद तेलतुम्बड़े की मौत के बाद अपनी 90 वर्षीय मां से मिलने के लिए ज़मानत दिए जाने का अनुरोध किया था.
महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने भी इस बात की पुष्टि की है कि इस कार्रवाई में कम से कम 26 नक्सलियों की मौत हुई है, जिसमें उनके एक बड़े नेता मिलिंद तेलतुम्बड़े भी शामिल हैं. मिलिंद भीमा-कोरेगांव माओवादी मामले के प्रमुख आरोपियों में से एक हैं.
शिक्षाविदों, यूरोपीय संघ के सांसदों, नोबेल पुरस्कार विजेताओं और अन्य अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भारतीय जेलों में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की दयनीय स्थिति और उचित मेडिकल देखरेख न होने पर चिंता जताते हुए कहा है कि उन्हें कोरोना वायरस के नए और अधिक घातक स्ट्रेन से संक्रमित होने का गंभीर ख़तरा है.
एल्गार परिषद मामले में एनआईए ने इन पैरोडी गीतों के अलावा साल 2011 और 2012 के कुछ साक्ष्यों के आधार पर दावा किया है कि संगठन के कार्यकर्ता फ़रार नक्सली नेता मिलिंद तेलतुम्बड़े के संपर्क में थे.
एल्गार परिषद मामले में दायर तीसरी चार्जशीट में एनआईए ने कहा है कि आरोपियों ने 'जंगलों में जाकर हथियार चलाने की ट्रेनिंग' ली थी. अपने आरोपपत्र में एनआईए ने पुणे पुलिस द्वारा 'प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िश रचने' के दावे को तवज्जो नहीं दी है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने एल्गार परिषद मामले में सोमवार को कबीर कला मंच के दो कार्यकर्ताओं सागर गोरखे और रमेश गयचोर को गिरफ़्तार किया था. इन्होंने एजेंसी द्वारा उन पर माओवादियों से संबंध स्वीकारने का दबाव बनाने का आरोप लगाया था.
कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं सागर गोरखे और रमेश गयचोर का कहना है कि एनआईए उन पर दबाव बना रही है कि वे माओवादियों से संबंध की बात स्वीकार कर ले. माफ़ीनामा लिखकर देने पर उन्हें छोड़ने की बात कही गई है. एल्गार परिषद मामले में अब तक कुल 14 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने एल्गार परिषद मामले में पूछताछ के लिए हैदराबाद की ईएफएलयू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के सत्यनारायण और द हिंदू के पत्रकार केवी कुरमानाथ को तलब किया है. ये दोनों कवि और सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव के दामाद हैं.
लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े ने यह कहते हुए ज़मानत मांगी थी कि वे 90 से अधिक दिनों से हिरासत में हैं लेकिन उनके ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर नहीं किया गया है. अदालत ने इसे ख़ारिज कर दिया.
70 वर्षीय दलित अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े ने जेल में कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा बताते हुए जमानत अर्जी दी थी. एनआईए ने स्वीकार किया कि उनका एक सहायक सब इंस्पेक्टर कोविड-19 से संक्रमित पाया गया है. इसके बाद भी अदालत ने उनकी अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जाने-माने कार्यकर्ता और लेखक आनंद तेलतुम्बड़े ने 14 अप्रैल को राष्ट्रीय जांच एजेंसी के समक्ष आत्मसमर्पण किया था जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.
पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स ने कहा कि लॉकडाउन के बीच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं- आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा की गिरफ़्तारी भारत में मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दों को उठाने वाले कार्यकर्ताओं, वकीलों और पत्रकारों को चुप कराने के केंद्र सरकार के प्रयासों को मज़बूत करती है.