एफबीआई की ओर से कहा गया है कि उसने इज़रायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाए गए एक हैकिंग टूल को प्राप्त कर और उसका परीक्षण किया था. एजेंसी ने कहा कि उसने किसी भी जांच के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया है. उसका कहना है कि पेगासस ख़रीदने के पीछे उसकी मंशा ‘उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ क़दम मिलाकर चलना था.
अमेरिकी ह्विसिलब्लोअर का आरोप है कि अगस्त 2017 में एनएसओ ग्रुप के अधिकारियों और उस समय उनकी नियोक्ता कंपनी मोबिलियम के प्रतिनिधियों के बीच कॉन्फ्रेंस कॉल के ज़रिये हुई बैठक के दौरान बड़ी नकद राशि की पेशकश की गई थी. मोबिलियम दुनियाभर की सेल्युलर कंपनियों को सुरक्षा सेवाएं मुहैया कराती है.
एक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ने बताया कि उन्होंने सात याचिकाकर्ताओं के आईफोन का विश्लेषण किया, जिनमें से दो में पेगासस से सेंधमारी की गई थी. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश हलफनामे में विशेषज्ञ ने बताया कि जांचे गए छह एंड्रॉयड फोन में से चार में इस मालवेयर के अलग-अलग वर्ज़न मिले जबकि दो में पेगासस के मूल वर्ज़न के साक्ष्य मिले.
अमेरिकी के वाणिज्य विभाग ने इस ‘ब्लैकलिस्ट’ में चार कंपनियों को शामिल किया है, जिसमें एनएसओ के अलावा इज़रायल की ही एक कंपनी- कैंडिरू भी शामिल है. विभाग की इस लिस्ट में शामिल की गई कंपनियों को अमेरिकी सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर मुहैया कराने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है.
पेगासस जासूसी का मामला एक तरह से मीडिया, सिविल सोसाइटी, न्यायपालिका, विपक्ष और चुनाव आयोग जैसे लोकतांत्रिक संस्थानों पर आख़िरी हमले सरीख़ा था. ऐसे में कोई हैरानी की बात नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फ़ैसले ने कइयों को राहत पहुंचाई, जो हाल के वर्षों में एक अनदेखी बात हो चुकी है.
इज़रायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा कि पेगासस स्पायवेयर को लेकर भारत में जो कुछ भी हो रहा है, वह उसका आंतरिक मामला है, लेकिन हम केवल सरकारों को निर्यात करने के लिए एनएसओ जैसी कंपनियों को निर्यात लाइसेंस देते हैं.
विपक्षी दलों ने पेगासस स्पायवेयर के माध्यम से कुछ भारतीय नागरिकों की जासूसी और सर्विलांस के प्रयास के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा समिति गठित करने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि जांच से केंद्र सरकार की ओर से किया गया क़ानूनों के उल्लंघन का सच सामने आ जाएगा. वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने इस आदेश को 'अंधेरे में रोशनी की किरण' बताया.
सुप्रीम कोर्ट ने समिति का गठन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में निजता का हनन नहीं हो सकता. अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा उचित हलफ़नामा दायर न करने को लेकर गहरी नाराज़गी जताई और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा होने का दावा करना पर्याप्त नहीं है, इसे साबित भी करना होता है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति को पेगासस जासूसी मामले में सात बिंदुओं पर जांच करने और सात बिंदुओं पर महत्वपूर्ण सिफ़ारिश करने का निर्देश दिया गया है. अदालत ने कहा कि सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा की दुहाई देने मात्र से न्यायालय मूक दर्शक बना नहीं रह सकता है.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत मिले दस्तावेज़ दिखाते हैं कि 2019 में जिन भारतीय नंबरों को वॉट्सऐप ने हैकिंग को लेकर चेताया था, वे उसी अवधि में में चुने गए थे जब वॉट्सऐप के मुताबिक़ पेगासस स्पायवेयर ने इस मैसेजिंग ऐप की कमज़ोरियों का फायदा उठाते हुए उसके यूज़र्स को निशाना बनाया था.
फ्रांसीसी वेबसाइट मेदियापार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि फ्रांसीसी सुरक्षा एजेंसी द्वारा की गई एक जांच में पांच कैबिनेट मंत्रियों के फोन में ख़तरनाक पेगासस स्पायवेयर के होने का पता चला है. जुलाई महीने में पेगासस प्रोजेक्ट के तहत सामने आए संभावित सर्विलांस का निशाना बने फोन नंबरों के डेटाबेस में भी इन मंत्रियों के नंबर मिले थे.
फ्रांस की सरकार ने न सिर्फ ‘अपुष्ट मीडिया रपटों’ को गंभीरता से लिया, बल्कि जवाबदेही तय करने और अपने नागरिकों, जो ग़ैर क़ानूनी जासूसी का शिकार हुए या हो सकते थे, के हितों की रक्षा के लिए स्वतंत्र तरीके से कार्रवाई की. इसके उलट भारत ने निगरानी या संभावित सर्विलांस के शिकार व्यक्तियों को ही नकार दिया.
पेगासस प्रोजेक्ट: एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब द्वारा किए गए फॉरेंसिक परीक्षण में तरनतारन के वकील जगदीप सिंह रंधावा के फोन में पेगासस की गतिविधि के प्रमाण मिले हैं. साथ ही लुधियाना के एक वकील जसपाल सिंह मंझपुर का नाम सर्विलांस के संभावित निशानों की लिस्ट में मिला है.
वीडियो: पेगासस जासूसी मामले में एक के बाद एक नया पर्दाफ़ाश द वायर कर रहा है, अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस अरुण मिश्रा और दो रजिस्ट्रार का नाम सामने आया है. इसके बाद न्यायपालिका के कामकाज को लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की सीनियर अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
एक कार्यक्रम में तीन वरिष्ठ सेवानिवृत्त शीर्ष पुलिस अधिकारियों- जूलियो रिबेरो, वीएन राय और एसआर दारापुरी ने कहा कि एल्गार परिषद मामले में इस बात की व्यापक जांच होनी चाहिए कि आरोपियों के फोन और लैपटॉप जैसे डिवाइस में जाली सबूत पहुंचाने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया था या नहीं.