द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने एक आलेख में चुनाव आयुक्तों को नियुक्त करने के क़ानून पर कहा है कि मोदी सरकार द्वारा नियुक्ति समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को बाहर करने से विभिन्न पूर्वाग्रहों को बल मिलता है और लगता है कि यह आम सहमति बनाने की बजाय बहुमत सुनिश्चित करने की कोशिश है.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
आम तौर पर निर्वाचन आयोग तीन आयुक्तों की अध्यक्षता में काम करता है, अब उसमें केवल एक सदस्य- मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाएं सुन रही है. कोर्ट ने हाल ही में हुई निवार्चन आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति को लेकर कहा कि इसमें ‘बहुत तेज़ी’ दिखाई गई और उनकी फाइल 24 घंटे भी विभागों के पास नहीं रही.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिकाओं में निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम जैसा तंत्र बनाने की मांग की गई है. पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इससे सहमति जताते हुए कहा कि यह मांग पिछले दो दशकों से उठाई जा रही है लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया.
जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी याचिका की सुनवाई में केंद्र से पूछा कि अगर कोई चुनाव आयुक्त शिकायत के बावजूद प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ कार्रवाई न करे... तो क्या यह व्यवस्था के पूरी तरह ध्वस्त होने की स्थिति नहीं होगी.