तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और चुनाव आयुक्त के एक देश-एक चुनाव का विरोध करने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

केंद्र सरकार द्वारा सितंबर 2023 में ‘एक देश, एक चुनाव’ पर विचार करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई उच्च स्तरीय समिति ने गुरुवार (14 मार्च) को रिपोर्ट सौंपते हुए देश में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं के साथ-साथ स्थानीय निकायों के चुनाव भी एक साथ चुनाव करवाने की सिफारिश की है. हालांकि, हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, समिति द्वारा परामर्श लेने के लिए संपर्क करने पर उच्च न्यायालयों के कम से कम तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और एक पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त ने एक साथ चुनाव का विरोध किया. समिति द्वारा संपर्क किए गए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त  मुख्य न्यायाधीशों में से नौ ने ‘एक देश, एक चुनाव’ प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि तीन- जस्टिस एपी शाह (दिल्ली हाईकोर्ट), गिरीश चंद्र गुप्ता (कलकत्ता हाईकोर्ट) और संजीब बनर्जी (मद्रास हाईकोर्ट) इसके विरोध में थे. जस्टिस शाह का कहना था कि यह अभ्यास ‘लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति’ पर अंकुश लगा सकता है, वहीं जस्टिस गुप्ता का मानना है कि एक साथ चुनाव लोकतंत्र के सिद्धांतों के लिए ‘अनुकूल’ नहीं हैं. जस्टिस बनर्जी का कहना था कि ये कवायद देश के संघीय ढांचे को कमजोर कर सकती है. इनके अलावा, पैनल द्वारा साक्षात्कार किए गए चार पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों, वर्तमान व पूर्व राज्य चुनाव आयुक्तों में से सात ने एक साथ चुनाव का समर्थन किया, वहीं, तमिलनाडु चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यरत वी. पलानीकुमार, जिनका कार्यकाल बीते 9 मार्च को समाप्त हो गया, ने इस प्रस्ताव आपत्ति जताई. रिपोर्ट में बताया गया है कि पलानीकुमार की एक प्राथमिक चिंता थी कि इस तरह के चुनावों के दौरान स्थानीय विचारों पर राष्ट्रीय मुद्दों का व्यापक प्रभाव रह सकता है. उन्होंने इस कवायद के लिए पर्याप्त मानव संसाधन न होने का मुद्दा भी उठाया था.

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा है कि वे चुनावी बॉन्ड जिसे राजनीतिक दलों ने भुनाया नहीं था, उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) में ट्रांसफर कर दिया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, बैंक द्वारा निर्वाचन आयोग को चुनावी बॉन्ड का डेटा जमा करने के एक दिन बाद (गुरुवार को) इसने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक अनुपालन हलफनामे में यह जानकारी दी है.  दायर किया. बैंक ने खुलासा किया कि वे चुनावी बॉन्ड जिसे राजनीतिक दलों ने भुनाया नहीं था, उसे राजपत्र अधिसूचना के अनुसार प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) में स्थानांतरित कर दिया गया था. हलफनामे में बताया गया है कि 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 के बीच कुल 22,217 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए, जिनमें से 22,030 भुनाए गए. यहां गौर करने वाली बात यह है कि पीएमएनआरएफ वेबसाइट पर बताया गया है कि यह ‘कोष व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा केवल स्वैच्छिक दान स्वीकार करता है.’

गुजरात में दसवीं कक्षा की छात्राओं से परीक्षा से पहले हिजाब उतरवाने का मामला सामने आया है. डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, भरूच जिले के अंकलेश्वर शहर में कुछ छात्राओं के माता-पिता ने आरोप लगाया है कि परीक्षा केंद्र पर उनके बच्चों को पेपर से पहले हिजाब उतारने के लिए मजबूर किया गया. घटना एक निजी स्कूल- लायंस स्कूल में बुधवार को गणित के पेपर से पहले हुई. इस आरोप के बाद राज्य शिक्षा विभाग ने गुरुवार को परीक्षा केंद्र प्रशासक इलाबेन सुरतिया, जो उस स्कूल की प्रिंसिपल भी हैं, को हटाने का आदेश दिया है. दसवीं कक्षा की परीक्षा आयोजित करवाने वाले गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (जीएसएचएसईबी) ने यह स्पष्ट किया है कि परीक्षार्थियों द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों के बारे में कोई विशेष नियम नहीं हैं और वे किसी भी ‘सभ्य’ परिधान में परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. जीएसएचएसईबी के नियमों के अनुसार, हर उस क्लास रूम, जहां विद्यार्थी पेपर देते हैं, की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग होना अनिवार्य है. माता-पिता के अनुसार, उनके पास मौजूद ऐसे ही एक सीसीटीवी फुटेज में दिखाया गया है कि कुछ महिला पर्यवेक्षकों ने दो मुस्लिम छात्राओं से उनके हिजाब हटाने के लिए कहा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने गुरुवार को दो पूर्व आईएएस अधिकारियों- ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू- को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है. रिपोर्ट के अनुसार, चयन समिति में विपक्ष के एकमात्र सदस्य कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कथित तौर पर गुरुवार की नियुक्तियों पर अपनी असहमति व्यक्त की है. उन्होंने पालन की गई प्रक्रिया पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों के नाम उन्हें पहले से उपलब्ध नहीं कराए गए थे और उन्हें बुधवार को केवल 212 अधिकारियों की सूची दी गई थी. बीते सप्ताह चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के अचानक इस्तीफ़े के बाद चुनाव आयोग में आयुक्तों के कुल दो पद रिक्त थे.  उनसे पहले एक अन्य चुनाव आयुक्त अनूप पांडे 15 फरवरी को सेवानिवृत्त हो गए थे. नई नियुक्तियां ऐसे समय में हुई हैं जब 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग की स्वतंत्र कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक हालिया फैसले में कहा है कि उत्तर प्रदेश धर्मांतरण कानून सिर्फ विवाह ही नहीं बल्कि लिव-इन रिलेशनशिप पर भी लागू होता है. डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक, जस्टिस रेनू अग्रवाल ने पुलिस सुरक्षा के लिए एक अंतरधार्मिक जोड़े की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि धर्म परिवर्तन न केवल विवाह के उद्देश्य के लिए जरूरी है, बल्कि यह विवाह की प्रकृति के सभी रिश्तों में भी आवश्यक है. मार्च, 2021 को लागू इस अधिनियम में अंतरधार्मिक जोड़ों के लिए इसके प्रावधानों के अनुसार धर्म परिवर्तन करना अनिवार्य है.अदालत ने अधिनियम की धारा 3(1) के स्पष्टीकरण का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति गलतबयानी, बल प्रयोग, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, किसी कपटपूर्ण तरीके या किसी तरह का प्रलोभन देकर किसी अन्य व्यक्ति को सीधे या अन्यथा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा. अदालत ने जोड़ा कि यह प्रावधान स्पष्ट करता है कि विवाह या विवाह की प्रकृति के संबंध में किसी कारणवश धर्म परिवर्तन को इसमें शामिल माना जाएगा.

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