भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को बदलने के लिए लाए गए तीन विधेयक मूल रूप से पुराने क़ानूनों के प्रावधानों की ही प्रति है पर इन नए क़ानूनों में कुछ विशेष बदलाव है जो इन्हें ब्रिटिश क़ानूनों से भी ज़्यादा ख़तरनाक बनाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग क़ानून के विभिन्न प्रावधानों पर सवाल उठाने वाली 200 से अधिक याचिकाओं को सुनते हुए गिरफ़्तारी, कुर्की और ज़ब्ती से संबंधित ईडी के अधिकारों को बरक़रार रखते हुए कहा कि इस क़ानून की धारा-5 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्त लोगों की संपति कुर्क करना संवैधानिक रूप से वैध है.
मामला सुकमा ज़िले का है. बताया गया कि पुलिस ने जुलाई 2021 में मिनपा गांव से 42 वर्षीय पोड़ियाम भीमा को नक्सली बताकर गिरफ़्तार किया था. ग़लत पहचान का मामला तब सामने आया जब पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज इसी नाम के नक्सली ने मार्च 2022 में अपने छह साथियों के साथ दंतेवाड़ा कोर्ट में आत्मसमर्पण किया. अदालत ने मामले के जांच अधिकारी और दोषी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
वीडियो: क्या आप जानते हैं कि जब पुलिस आपको गिरफ़्तार करती है तो उसे 24 घंटे के भीतर आपको निकटतम मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है? क्या आपको अपनी पसंद के वकील से परामर्श करने का अधिकार है और क्या यह संवैधानिक अधिकार है? वकील अवनि बंसल निवारक हिरासत (Preventive Arrest) और गिरफ़्तारी को लेकर संविधान के अनुच्छेद 22 के बारे में जानकारी दे रही हैं.
उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले का मामला. आरोप है कि दोनों व्यक्तियों ने बीते ट्विटर, फेसबुक और वॉट्सऐप पर बीते 23 सितंबर को एक वीडियो पोस्ट किया गया, जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध अपशब्दों का प्रयोग करते दिखाई दे रहे हैं.
एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि निजी स्वतंत्रता एक बहुमूल्य मौलिक अधिकार है और बहुत अपरिहार्य होने पर ही इसमें कटौती होनी चाहिए. तर्कहीन और अंधाधुंध गिरफ़्तारी मानवाधिकारों का उल्लंघन है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना और बीएसएफ से जवाब मांगा है कि क्या सेना के किसी शख़्स को कोर्ट मार्शल की सज़ा सुनाए जाने या समरी सुरक्षा बल कोर्ट के तुरंत बाद गिरफ़्तार किया जाना चाहिए या नहीं.
वीडियो: इस साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे में कथित भूमिका के आरोप में पुलिस ने जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद को ग़ैरक़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ़्तार किया है. उन पर देशद्रोह और भारतीय दंड संहिता की 18 अन्य धाराओं के साथ हत्या और हत्या के प्रयास सहित कई आरोप लगाए गए हैं.
वीडियो: जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद की गिरफ़्तारी पर कार्यकर्ताओं के एक समूह ने बयान जारी कर दिल्ली पुलिस की निंदा करते हुए कहा है कि शांतिपूर्ण सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाने के लिए पुलिस अपनी दुर्भावनापूर्ण जांच के ज़रिये उन्हें फंसा रही है.
नई दिल्ली के जंतर मंतर पर गुरुवार को डीएमके के नेतृत्व में कांग्रेस, टीएमसी, राजद, सीपीआई और सीपीएम सहित कई अन्य पार्टियों ने एक साथ आकर जम्मू कश्मीर में हालात को सामान्य करने, घाटी में संचार सेवाओं को दुरुस्त करने और हिरासत में लिए गए सभी राजनीतिक नेताओं की रिहाई की मांग की.
संचार के सारे साधनों को काटकर, उन्हें काबू में रखने के लिए सुरक्षा बलों के इस्तेमाल का मक़सद कश्मीरियों को यह याद दिलाना है कि उनका अपना कोई वजूद नहीं है- उनका अस्तित्व सत्ता के हाथ में है, वो सत्ता जिसका प्रतिनिधित्व वहां हर जगह मौजूद सेना कर रही है.
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, एक मजिस्ट्रेट ने बताया कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटने के बाद से कम से कम 4000 लोगों को गिरफ्तार कर पीएसए के तहत हिरासत में रखा गया है.
विरोध प्रदर्शन के चलते 1,369 लोगों की गिरफ़्तारी के अलावा 717 लोगों को हिरासत में लिया गया और 801 केस भी दर्ज किए जा चुके हैं.
पुलिस उपमहानिरीक्षक ने बताया कि निर्देशानुसार गंभीर अपराधों के लंबित मामलों में प्रतिदिन कम से कम एक गिरफ़्तारी होनी चाहिए, लेकिन हफ़्ते में एक गिरफ़्तारी भी नहीं हो रही.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पिछले तीन वर्षो के दौरान 1200 पुराने और अप्रचलित क़ानूनों को समाप्त कर चुकी है.