क्यों चुनाव आयोग की पारदर्शिता और कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ चुकी है?

बिना कोई कारण बताए चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफ़ा इस बात का नवीनतम उदाहरण है कि पिछले पांच वर्षों में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता कैसे संदेह के घेरे में आ गई है.

सरकार द्वारा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति समिति से सीजेआई को हटाना समझ से परे: अशोक लवासा

पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने एक आलेख में चुनाव आयुक्तों को नियुक्त करने के क़ानून पर कहा है कि मोदी सरकार द्वारा नियुक्ति समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को बाहर करने से विभिन्न पूर्वाग्रहों को बल मिलता है और लगता है कि यह आम सहमति बनाने की बजाय बहुमत सुनिश्चित करने की कोशिश है. 

लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयुक्त का इस्तीफ़ा चौंकाने वाला, सरकार बैठाएगी अपने लोग: विपक्ष

लोकसभा चुनाव से कुछ ही सप्ताह पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल द्वारा निर्वाचन आयोग से इस्तीफ़ा देने पर विपक्षी दलों ने कहा है कि नए क़ानून के मुताबिक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके द्वारा चुने गए एक मंत्री के बहुमत से की जाएगी. फलस्वरूप, लोकसभा चुनावों से पहले मोदी अब 3 में से 2 चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेंगे. यह बहुत ही चिंता का विषय है.

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयुक्त का इस्तीफ़ा, निर्वाचन आयोग में बस एक सदस्य बाक़ी

आम तौर पर निर्वाचन आयोग तीन आयुक्तों की अध्यक्षता में काम करता है, अब उसमें केवल एक सदस्य- मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं.

सुप्रीम कोर्ट पीठ ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति के ख़िलाफ़ याचिका से ख़ुद को अलग किया

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति मनमाना और संस्थागत अखंडता और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता का उल्लंघन है. गोयल को 19 नवंबर 2022 को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था.

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए समिति गठित करने संबंधी विधेयक राज्यसभा में पेश

माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता, तटस्थता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए भारत के संविधान में संशोधन को लेकर एक निजी विधेयक पेश किया. संविधान (संशोधन) विधेयक-2022 में भारतीय चुनाव आयोग का एक स्थायी स्वतंत्र सचिवालय स्थापित करने की भी बात कही गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति में हुई ‘जल्दबाज़ी’ पर सवाल उठाए

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाएं सुन रही है. कोर्ट ने हाल ही में हुई निवार्चन आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति को लेकर कहा कि इसमें ‘बहुत तेज़ी’ दिखाई गई और उनकी फाइल 24 घंटे भी विभागों के पास नहीं रही.

सीईसी नियुक्ति: कोर्ट की टिप्पणी के समर्थन में विपक्ष, कहा- केंद्र ने चुनाव आयोग को कमज़ोर किया

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिकाओं में निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम जैसा तंत्र बनाने की मांग की गई है. पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इससे सहमति जताते हुए कहा कि यह मांग पिछले दो दशकों से उठाई जा रही है लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया.

चुनाव आयोग को सरकार की ‘हां में हां मिलाने वाला’ नहीं होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी याचिका की सुनवाई में केंद्र से पूछा कि अगर कोई चुनाव आयुक्त शिकायत के बावजूद प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ कार्रवाई न करे... तो क्या यह व्यवस्था के पूरी तरह ध्वस्त होने की स्थिति नहीं होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल पेश करने को कहा

निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी याचिका सुन रही जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल से चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति संबंधी फाइल मांगते हुए कहा कि अदालत देखना चाहती है कि नियुक्तियों में किस तंत्र का पालन किया जा रहा है.

पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल चुनाव आयुक्त नियुक्त

भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी अरुण गोयल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय के साथ निर्वाचन आयोग का हिस्सा होंगे. हाल तक वह भारी उद्योग सचिव थे. उन्हें 31 दिसंबर, 2022 को 60 साल की आयु में सेवानिवृत्त होना था, लेकिन बीते 18 नवंबर को उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली.