वीडियो: इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में पूर्वोत्तर के विभिन्न मुद्दों पर द वायर की डिप्टी एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
केंद्र और असम सरकार ने एनआरसी में गलत तरीके से शामिल किए गए और उससे बाहर रखे गए नामों का पता लगाने के लिए 20 फीसदी नमूने का फिर से सत्यापन करने की अनुमति न्यायालय से मांगी थी, जिसे उसने ठुकरा दिया.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि बांग्लादेश से सटे जिलों में स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से लाखों लोगों को गलत तरीके से असम एनआरसी में शामिल किया गया है. इस वजह से एनआरसी को अंतिम रूप देने के लिए 31 जुलाई की समयसीमा बढ़ाई जाए.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि देश की इंच-इंच ज़मीन पर जो अवैध प्रवासी रहते हैं, हम उनकी पहचान करेंगे तथा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उन्हें निर्वासित करेंगे.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि इस साल 31 मार्च 2019 तक कुल 1,17,164 लोगों को न्यायाधिकरणों ने विदेशी घोषित किया. 100 विदेशी न्यायाधिकरण असम के विभिन्न ज़िलों में चल रहे हैं.
असम नागरिकता मुद्दे पर जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, इनमें से अधिकतर बंगाली मूल के मुस्लिम कवि और कार्यकर्ता हैं. इन पर दुनियाभर में असम के लोगों की छवि खराब करने का आरोप लगाया गया है.
साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता दुर्गा खाटीवाड़ा और असम आंदोलन की पहली महिला शहीद बजयंती देवी के परिवार के सदस्यों को असम एनआरसी के पूर्ण मसौदे से बाहर कर दिया गया है.
विदेशियों के न्यायाधिकरण के समक्ष पुलिस ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने 2016 में न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित की गई मधुमाला दास की जगह मधुबाला मंडल को हिरासत शिविर में भेज दिया था.
नई निष्कासन सूची में जिन लोगों के नाम शामिल हैं ये वो लोग हैं जिनके नाम पिछले साल 30 जुलाई को जारी एनआरसी के मसौदे में शामिल थे, लेकिन बाद में वे इसके योग्य नहीं पाए गए.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि असम में एनआरसी को अंतिम रूप देने की 31 जुलाई की समयसीमा आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एनआरसी से प्रभावित होने वाले हर शख़्स को निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिले.
इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, नगालैंड और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का मसौदा 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित हुआ था, जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम ही शामिल किए गए थे. इसमें 40,70,707 व्यक्तियों के नाम नहीं थे.
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का दूसरा और अंतिम मसौदा 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित किया गया था जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे. इस मसौदे में 40,70,707 लोगों के नाम नहीं थे.
चुनावी ड्यूटी में केंद्रीय सशस्त्र बलों की भूमिका को देखते हुए दो सप्ताह तक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का कार्य रोकने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से अपील की गई थी.
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनके राज्य में शरण लेने के इच्छुक लोगों का पूरा ध्यान रखा जाएगा.