ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि पाठ्यक्रम तैयार करने वाले भारतीय ज्ञान प्रणाली के नाम पर अपनी संकीर्ण समझ को हवा दे रहे हैं. ऐसे पाठ्यक्रमों की अधिकांश सामग्री संदिग्ध इंटरनेट साइटों पर मिलने वाली सामग्रियों से प्रेरित है.
मशहूर हेपेटोलॉजिस्ट (यकृत, पित्ताशय और अग्न्याशय रोग विशेषज्ञ) डॉ. सिरिएक एबी फिलिप्स आयुष दवाओं से जुड़े कुछ तरीकों पर सवाल उठाने के लिए जाने जाते हैं. उनके अनुसार, इनसे कुछ मरीज़ों को लिवर संबंधी समस्याएं हुई हैं.
भारतीय आयुर्वेदिक दवा निर्माता संगठन द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि विकिपीडिया पर आयुर्वेद को ‘छद्म वैज्ञानिक विधा’ के रूप में वर्णित किया गया है. इससे आयुर्वेद की छवि को नुकसान पहुंचता है.
विशेष: दवाओं से जुड़े क़ानूनों का उल्लंघन करते हुए रामदेव की पतंजलि वेलनेस और दिव्य साइंटिफिक आयुर्वेद द्वारा अपने उत्पादों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हुए अख़बारों में धड़ल्ले से साक्ष्य रहित एलोपैथी विरोधी विज्ञापन दिए जा रहे हैं. इससे पहले महामारी के बीच में रामदेव ने 'कोरोना वायरस की दवा' बनाने का भी दावा किया था.
उत्तराखंड के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस फैसले का विरोध करते हुए इसे अवैध ठहराया. संगठन ने कहा है कि एलोपैथी के बारे में जाने बिना आयुर्वेदिक डॉक्टर एलोपैथिक दवाएं कैसे लिख सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों की इस सबंध में स्पष्ट राय है कि आयुर्वेदिक डॉक्टर एलोपैथी की प्रैक्टिस नहीं कर सकते, क्योंकि वे इसके योग्य नहीं हैं.
कोविड-19 के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं के प्रभाव पर सवालों के बीच आयुष मंत्रालय ने घोषणा की है कि वह अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले कोविड मरीज़ों को आयुष 64 और कबसुरा कुदिनेर नामक दो आयुर्वेदिक दवाएं वितरित करेगा.
एम्स ऋषिकेश में होने वाले और विज्ञान एवं तकनीक विभाग द्वारा फंड किए गए इस अध्ययन में हल्के लक्षणों वाले कोरोना मरीज़ों पर प्राणायाम के प्रभावों का मूल्यांकन भी किया जाएगा.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी करने की अनुमति देने वाले नियमों को ख़ारिज करने का अनुरोध किया है. भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद शिक्षा) नियमन, 2016 में संशोधन कर आयुर्वेदिक पढ़ाई में पीजी कर रहे छात्रों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण देने का प्रावधान किया गया है.
केंद्रीय आयुष मंत्री नाईक ने कहा कि आयुर्वेदिक डॉक्टर भी एलोपैथिक डॉक्टरों की तरह ही शिक्षित हैं और उन्हें सर्जरी करने का भी प्रशिक्षण प्राप्त है. आयुर्वेदिक डॉक्टरों को कुछ तरह के ऑपरेशन करने की अनुमति देने के केंद्र के फैसले का एलोपैथिक डॉक्टरों का एक तबका विरोध कर रहा है और इसे ‘मिक्सोपैथी’ या खिचड़ीकरण क़रार दिया है.
केंद्र सरकार ने बीते पांच जनवरी को घोषणा की थी कि गाय की देसी नस्ल और इसके फायदे के बारे में रुचि पैदा करने की कोशिश के तहत 25 फरवरी को गौ-विज्ञान परीक्षा का आयोजन किया जाएगा. इस परीक्षा की यह कहते हुए आलोचना की जा रही थी कि यह अंधविश्वास फैलाने और देश में शिक्षा क्षेत्र का भगवाकरण करने की कोशिश है.
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग आम लोगों में देसी गायों के बारे में रुचि पैदा करने के लिए छात्रों और नागरिकों के लिए राष्ट्रीय स्तर की ऑनलाइन गौ विज्ञान परीक्षा आयोजित करेगा. इसके लिए जारी पाठ्यक्रम में आयोग ने देसी-विदेशी गायों में अंतर बताते हुए अजीब दावे किए हैं.
दिल्ली एम्स के रेज़िडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने एक बयान में कहा यह क़दम न केवल पहले ही जड़ें जमा चुकी झोलाछाप व्यवस्था को बढ़ावा देगा, बल्कि इससे लोगों की सुरक्षा भी ख़तरे में पड़ जाएगी. हम सरकार से इस अधिसूचना को तत्काल वापस लेने का अनुरोध करते हैं.
केंद्र सरकार ने आयुर्वेद के स्नातकोत्तर डॉक्टरों को सामान्य सर्जरी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित किए जाने की अनुमति दे दी है. इसके ख़िलाफ़ आईएमए ने 11 दिसंबर को एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है.
केंद्र सरकार ने आयुर्वेद के स्नातकोत्तर डॉक्टरों को सामान्य सर्जरी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित किए जाने की अनुमति दे दी है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सरकार की इस पहल पर चिंता जताते हुए इसे आधुनिक चिकित्सा प्रणाली को पीछे ले जाने वाला क़दम क़रार दिया है.
केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की है जिसके तहत आयुर्वेद के विशिष्ट क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट चिकित्सकों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण देने की अनुमति दी गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आयुष मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि आधुनिक चिकित्सा के सर्जिकल नियमों को अपना बताने का दावा करने के बजाय वह अपने प्राचीन ज्ञान से अपने ख़ुद के सर्जिकल नियम विकसित करे.