संविधान और संवैधानिक सोच सिर्फ़ कागज़ पर लिखे लफ्ज़ नहीं हैं. यह सोच हमें जीनी है, आगे बढ़ानी है. ठीक वैसे ही जैसे मथुरा की अदालत ने बुधवार को अपने फ़ैसले में किया.
कोर्ट ने कहा कि इन याचिकाओं में कोई मेरिट नहीं है. कई मुस्लिम पक्ष, 40 कार्यकर्ता, हिंदू महासभा और निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
अखिल भारत हिंदू महासभा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि विवादित ढांचे पर मुसलमानों का कोई अधिकार या मालिकाना हक़ नहीं है और इसलिए उन्हें पांच एकड़ ज़मीन आवंटित नहीं की जा सकती तथा किसी भी पक्षकार ने इस तरह की कोई ज़मीन मुसलमानों को आवंटित करने के लिए कोई अनुरोध या कोई दलील नहीं दी थी.
इससे पहले मूल वादकारियों में शामिल एम. सिद्दीक के वारिस और उत्तर प्रदेश जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने बीते दो दिसंबर को पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
उत्तर प्रदेश जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यद्यपि अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के गुंबदों को नुकसान पहुंचाने और उसे गिराने का संज्ञान लिया, फिर भी विवादित स्थल को उसी पक्ष को सौंप दिया, जिसने अनेक ग़ैरक़ानूनी कृत्यों के आधार पर अपना दावा किया था.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में प्रमुख मुस्लिम पक्षकार रहे उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि बोर्ड के आठ में से सात सदस्यों ने हिस्सा लिया. उनमें से एक सदस्य को छोड़कर बाकी छह सदस्यों ने अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को चुनौती न देने के प्रस्ताव का समर्थन किया.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि अयोध्या जमीन विवाद मामले में जो फैसला आया उसने न्याय नहीं किया.
अयोध्या में भाजपा के निर्वाचित सांसद, विधायक और पदाधिकारियों ने शनिवार को फ़ैसले के दिन दीप जलाए और मिठाइयां बांटी. सोमवार को पार्टी जिला मुख्यालय पर सार्वजनिक रूप से रामायण पाठ आयोजित हुआ, जहां नेता व कार्यकर्ता बधाइयां देते और लेते रहे. मंगलवार को 1992 की कारसेवा के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए कारसेवकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि सरकार द्वारा अधिग्रहीत 67 एकड़ भूमि से ज़मीन मिलती है तभी स्वीकार किया जाएगा. मुस्लिम समुदाय मस्जिद बनाने के लिए अपने पैसे से ज़मीन ख़रीद सकते हैं और वे इसके लिए केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं हैं. इधर, केंद्र सरकार ने अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के गठन की प्रक्रिया शुरू की.
उच्चतम न्यायालय ने बीते 16 अक्टूबर को अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी कर ली. न्यायालय ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और यह एक महीने के अंदर आने की उम्मीद है.
अयोध्या विवाद के फ़ैसले के मद्देनज़र न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने सभी चैनलों से कहा है कि वे इस मामले की ख़बर देते समय सतर्कता बरतें और तनाव पैदा करने वाली भड़काऊ बहसों से दूर रहें.
अदालत बाबरी मस्जिद ढहाने की साजिश रचने के मुकदमे की सुनवाई कर रही है, जिसमें कल्याण सिंह के अलावा भाजपा नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती तथा अन्य को आरोपी बनाया गया है.
सीबीआई ने कहा कि चूंकि अब वे राज्यपाल नहीं हैं इसलिए बाबरी विध्वंस मामले में उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए. राजस्थान के राज्यपाल के पद से हटे कल्याण सिंह ने फिर भाजपा की सदस्यता ली है.
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के ख़िलाफ़ बाबरी विध्वंस मामले में आपराधिक षड्यंत्र के आरोप बहाल करने का आदेश दिया था. उस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह को राजस्थान का राज्यपाल होने के नाते मुक़दमे का सामना करने के लिए संवैधानिक छूट मिली हुई है.
हिंदू पक्ष के छह दावेदारों में से दो अयोध्या स्थित विवादित स्थल पर विराजमान रामलला के विरुद्ध ही अदालत गए हैं.