वीडियो: मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं. द वायर संवाद में उनके चालीस साल के संघर्ष, विस्थापित लोगों के जीवन, मुआवज़े के झूठ और गुजरात की कुछ कंपनियों को सरदार सरोवर परियोजना से अधिक लाभ मिलने के बारे में उनसे आशुतोष भारद्वाज की बातचीत.
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर और 11 अन्य पर जनजातीय छात्रों के लिए शैक्षिक सुविधाओं के प्रबंधन के लिए एकत्र किए गए धन का दुरुपयोग करने का आरोप है. पाटकर ने आरोप लगाया कि शिकायत करने वाला एबीवीपी और आरएसएस से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि इस मामले के पीछे राजनीतिक कारण या फिर एफ़आईआर दर्ज कराकर बदनाम करने की साज़िश हो सकती है.
रामनवमी पर मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले के सेंधवा में हुई सांप्रदायिक झड़प में तीन लोगों पर बाइक जलाने के आरोप में मामला दर्ज हुआ है. घटना के अगले ही दिन इनमें से एक का मकान प्रशासन ने अवैध निर्माण बताकर गिरा दिया. अब सामने आया है कि तीनों आरोपी हत्या के प्रयास के एक मामले में मार्च माह से जेल में बंद हैं.
घटना 13 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले के सेंधवा शहर में हुई थी. कथित तौर पर एक गरबा स्थल पर 10 साल के एक मुस्लिम बच्चे की मौजूदगी को लेकर हुई झड़प सांप्रदायिक तनाव में बदल गई थी. इस संबंध में पुलिस ने तीन एफ़आईआर दर्ज की है, जिसमें दोनों पक्षों के 26 लोग नामज़द हैं. सोमवार तक इनमें से 22 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है.
पुलिस रिकॉर्ड दिखाते हैं कि सभी 21 मामलों में आरोपी अल्पसंख्यक समुदायों से हैं, जिनमें मुस्लिम (15 मामले) और ईसाई (छह मामले) शामिल हैं. 15 मामलों में बलात्कार और छेड़छाड़ के लिए आवश्यक आईपीसी की धाराओं को भी शामिल किया गया है.
मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले के पलसूद तालुका का मामला. युवक पर अपनी धार्मिक पहचान छिपाने का आरोप है. बलात्कार और धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज कर पुलिस ने आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया गया है.
कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में फंसे मजदूरों की समस्याओं के शीघ्र समाधान की मांग करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा कस्बे के निकट विरोध प्रदर्शन किया.
बीते दिनों नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के पुनर्वास आयुक्त ने पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकारा कि विस्थापितों और प्रभावितों के आकलन में ‘टोपो शीट’ पर पेंसिल से निशान लगाने की पद्धति का इस्तेमाल किया गया. बोलचाल में नजरिया सर्वे कही जाने वाली इस तरकीब में अंदाज़े से डूबने वाली हर चीज और जीती-जागती इंसानी बसाहटों को चिह्नित कर विस्थापित घोषित कर दिया गया था.
सरदार सरोवर बांध में बारिश का पानी भरने से मध्य प्रदेश में नर्मदा घाटी में बसे 192 गांव और एक कस्बे के डूबने का ख़तरा है. इससे लगभग 32 हज़ार लोग प्रभावित होंगे. सुप्रीम कोर्ट के तमाम आदेशों के बावजूद यहां रहने वाले लोग आज भी पुनर्वास का बाट जोह रहे हैं.
नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले के छोटा बड़दा गांव में यह अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू किया है. पाटकर ने कहा कि पुनर्वास का मतलब प्रभावित परिवार को सिर्फ मुआवज़ा देना नहीं बल्कि उन्हें आजीविका भी दी जानी चाहिए.
सरदार सरोवर बांध परियोजना में दशकों बाद विस्थापितों का पुनर्वास न होने और पुनर्वास में भ्रष्टाचार को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर से बातचीत.
ग्राउंड रिपोर्ट: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में सरदार सरोवर बांध के डूब में समा रहे भादल गांव के एक बुजुर्ग आदिवासी पुस्लिया पटेल की व्यथा.
ग्राउंड रिपोर्ट: सरदार सरोवर बांध के पानी में डूब रहे मध्य प्रदेश के भादल गांव के ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने बांध में पानी छोड़ दिया लेकिन हमें कहीं नहीं बसाया.