अयोध्या के उत्तर से बहने वाली सरयू के दूसरी तरफ स्थित बस्ती की 'महिमा' अयोध्या का पड़ोसी होने के बावजूद घटी ही है. इस कदर कि कई लोग उसे अयोध्या की छाया या पासंग भर भी नहीं मानते. वे चिंंतित हो उठे कि ‘नई सभ्यता अभी तक इधर नहीं आई है.’
मामला 29 अगस्त की रात का है, जब एक महिला लखनऊ से अपने बीमार पति को लेकर सिद्धार्थनगर लौट रही थीं. आरोप है कि रास्ते में एंबुलेंस के चालक और सहयोगी ने महिला से बलात्कार की कोशिश की. विफल होने पर उन्होंने बीमार पति को बाहर फेंक दिया, जिनकी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई.
उत्तर प्रदेश में राजनीतिक ताक़त हासिल करने के आकांक्षी जाति समूहों में अब एक नया नाम सैंथवार समुदाय का जुड़ गया है. सियासी भागीदारी को लेकर गोरखपुर मंडल में सक्रिय यह समुदाय भाजपा का समर्थक माना जाता था, लेकिन टिकट न मिलने पर अब असंतुष्ट है.
उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले के रुधौली थाना क्षेत्र का मामला. आरोप है कि मुस्लिम लड़की के परिजनों ने कथित प्रेम संबंधों को लेकर लड़की और दलित युवक की हत्या कर दी. युवक के परिजनों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत में लड़की के भाइयों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में गोरखपुर से लेकर कुशीनगर, देवरिया, बस्ती का इलाका गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है. गोरखपुर और बस्ती मंडल के कुल सात ज़िलों में कभी 28 चीनी मिलें हुआ करती थीं, लेकिन आज 16 मिलें बंद हैं. लोगों को उम्मीद थी कि डबल इंजन की सरकार पूर्वांचल की बंद चीनी मिलों को शुरू कर इलाके में खुशहाली लाएगी, लेकिन अभी तक यह संभव नहीं हो पाया है.
घटना बस्ती ज़िले की है, जहां एक युवती का आरोप है कि बीते साल मार्च में लॉकडाउन में मास्क न लगाने पर सब-इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने उनका नंबर लिया और फिर उन्हें आपत्तिजनक मैसेज भेजकर यौन संबंध बनाने को कहा. इससे इनकार के बाद उनके परिजनों को झूठे मामलों में फंसाकर पुलिस द्वारा प्रताड़ित किया गया.
दिल्ली में कृषि क़ानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन की गूंज गुरुवार को पूर्वांचल में भी सुनाई दी, जहां बस्ती ज़िले में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने किसान पंचायत का आयोजन किया और जमकर भाजपा और केंद्र सरकार पर निशाना साधा.
शुगरकेन कंट्रोल ऑर्डर 1966 कहता है कि चीनी मिलें किसान को गन्ना आपूर्ति के 14 दिन के अंदर भुगतान करेंगी, यदि वे ऐसा न करें तो उन्हें बकाया गन्ना मूल्य पर 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा. यूपी सरकार इस नियम का पालन न तो निजी चीनी मिलों से करवा पा रही है न उसकी अपनी चीनी मिलें इसे मान रही हैं.
उत्तर प्रदेश में अब भी गन्ना किसानों का 10,626 करोड़ रुपये बकाया है और जून के महीने में भी गन्ने की फसल खेतों में खड़ी है. उत्तर प्रदेश में 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में गन्ना किसानों की समस्याओं को भाजपा ने प्रमुखता से उठाया था, लेकिन केंद्र और प्रदेश में सरकार बनने के बाद भी उनकी समस्याएं हल नहीं हो सकी हैं.
रेलवे की लापरवाही से व्यापारी का 10 लाख रुपये की खाद बर्बाद. खाद मालिक का आरोप कई बार शिकायत दर्ज कराने के बाद भी रेलवे ने ध्यान नहीं दिया.
विशेष: उत्तर प्रदेश के बस्ती से सूरीनाम गए एक परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजमोहन ने अपने पुरखे गिरमिटिया मज़दूरों जीवन-गाथा को संगीत में ढाला है.