बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ में यूके सरकार की गुजरात दंगों की एक अप्रकाशित जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार बताया गया है. रिपोर्ट कहती है कि हिंसा योजनाबद्ध थी और गोधरा कांड ने बस एक बहाना दे दिया. अगर ऐसा न होता तो कोई और बहाना मिल जाता.
ग़ैरत निहायत ही ग़ैरज़रूरी और अनुपयोगी चीज़ है. इसके बिना इंसान बने रहना भले मुश्किल हो, ग़ैरत के साथ कुलपति बने रहना असंभव है. जामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति समय-समय पर इस बात की तसदीक़ करते रहते हैं.
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ का दूसरा और अंतिम एपिसोड मंगलवार को ब्रिटेन में प्रसारित किया गया. इसमें भाजपा सरकार के दौरान लिंचिंग की घटनाओं में हुई वृद्धि, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, सीएए और इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शनों और दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बारे में बात की गई है.
दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया के गेट पर दंगा रोधी पुलिस तैनात की गई है. जानकारी के अनुसार, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने 70 से अधिक ऐसे छात्रों को हिरासत में लिया है, जबकि पुलिस ने सिर्फ चार छात्रों को हिरासत में लेने की बात कही है. इससे पहले जेएनयू में कथित बिजली कटौती और पथराव के बीच गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री की भूमिका से संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग हुई थी.
बीते सप्ताह सूचना और प्रसारण सचिव द्वारा आईटी नियम, 2021 के नियम 16 का उपयोग करते हुए गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका रेखांकित करने वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए गए थे.
इंटरनेट आर्काइव दुनिया भर के यूजर्स द्वारा वेबपेज संग्रह और मीडिया अपलोड का एक भंडार है. बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री के पहले एपिसोड के संबंध में इसकी वेबसाइट पर यह लिखा दिख रहा है कि ‘यह सामग्री अब उपलब्ध नहीं’ है.
द हिंदू के पूर्व संपादक एन. राम ने मोदी सरकार द्वारा बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को सोशल मीडिया पर ब्लॉक करने को लेकर कहा कि उन्होंने दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था इतनी नाज़ुक है कि उसे एक ऐसी डॉक्यूमेंट्री से ख़तरा है जो देश में प्रसारित नहीं हुई है और यूट्यूब/ट्विटर तक पहुंच रखने वाली बहुत कम आबादी द्वारा देखी गई है.
बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार पाया गया था. सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर इसके लिंक ब्लॉक करने का आदेश दिए जाने के बाद कई विश्वविद्यालयों में इसकी स्क्रीनिंग की जा रही है.
बीबीसी ने ब्रिटेन में प्रसारित ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री में कहा है कि ब्रिटेन सरकार की गोपनीय जांच में गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी ज़िम्मेदार पाए गए थे. इस डॉक्यूमेंट्री के सामने आने के बाद साल 2002 में ब्रिटेन के विदेश सचिव रहे जैक स्ट्रा से वरिष्ठ पत्रकार करण थापर की बातचीत.
बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नाम की एक डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार पाया गया था. सोशल मीडिया पर डॉक्यूमेंट्री से संबंधित पोस्ट हटाने का निर्देश देने पर कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना की है.
बीबीसी ने ब्रिटेन में प्रसारित ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री में कहा है कि ब्रिटेन सरकार की गोपनीय जांच में गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी ज़िम्मेदार पाए गए थे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसे ‘दुष्प्रचार’ बताते हुए कहा कि इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता झलकती है.
बीबीसी ने ब्रिटेन में ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नाम की एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की है, जिसमें बताया गया है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच (जो अब तक अप्रकाशित रही है) में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए ज़िम्मेदार पाया गया था.
बीबीसी ने इस संबंध में रविवार को घोषणा करते हुए कहा कि अनिश्चितता और अशांति भरे समय में अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के लिए यह एक चिंताजनक घटनाक्रम है. बताया गया है कि तालिबान की ख़ुफ़िया एजेंसी के आदेश के बाद वॉयस ऑफ अमेरिका का प्रसारण भी बंद कर दिया गया.
राष्ट्रीय प्रसारक प्रसार भारती ने बीते 13 मई को जारी एक टेंडर में ‘डीडी इंटरनेशनल’ के गठन के लिए कंसल्टेंसी सर्विसेस से विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट मंगाई है. सरकार का कहना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत के नज़रिये को रखने में मदद मिलेगी.
बीबीसी की ओर से किए गए अध्ययन में कहा गया है कि ट्विटर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन वाले नेटवर्कों पर फ़र्ज़ी ख़बर के स्रोत प्राय: एक ही होते हैं.