आयकर ‘सर्वे’ के बाद अब ईडी ने बीबीसी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया

बीबीसी द्वारा जनवरी में गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका को रेखांकित करने वाली डॉक्यूमेंट्री रिलीज़ किए जाने के बाद फरवरी में इसके दिल्ली और मुंबई के कार्यालयों में आयकर विभाग ने 'सर्वे' किया था. अब ईडी ने इसके ख़िलाफ़ कथित 'विदेशी मुद्रा उल्लंघन' का मामला दर्ज किया है.

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बीबीसी का दफ्तर. (फोटो साभार: Unsplash)

बीबीसी द्वारा जनवरी में गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका को रेखांकित करने वाली डॉक्यूमेंट्री रिलीज़ किए जाने के बाद फरवरी में इसके दिल्ली और मुंबई के कार्यालयों में आयकर विभाग ने ‘सर्वे’ किया था. अब ईडी ने इसके ख़िलाफ़ कथित ‘विदेशी मुद्रा उल्लंघन’ का मामला दर्ज किया है.

बीबीसी का दफ्तर. (फोटो साभार: Unsplash)

नई दिल्ली: बीते फरवरी महीने में आयकर के छापों के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित ‘विदेशी मुद्रा उल्लंघन’ के संबंध में बीबीसी इंडिया के खिलाफ केस दर्ज किया है.

अधिकारियों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया है कि ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा)  के तहत बीबीसी के कुछ कर्मचारियों से दस्तावेज और बयान दर्ज करने के लिए कहा है.

ज्ञात हो कि फरवरी महीने में संस्थान के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों पर इनकम टैक्स विभाग द्वारा ‘छापा’ मारा गया था. विभाग के अधिकारियों ने कहा था कि वे ‘सर्वे’ के लिए आए हैं. तब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा था कि बीबीसी समूह की विभिन्न संस्थाओं द्वारा दिखाया गया मुनाफा कथित तौर पर भारत में उनके संचालन के पैमाने से मेल नहीं खाता. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि कुछ रेमिटेंस पर टैक्स का भुगतान नहीं किया गया था.

बीबीसी इंडिया के परिसर के बाहर अर्द्धसैन्य बलों के कर्मियों की तैनातियों के साथ किए गए ‘सर्वे’ की व्यापक आलोचना की गई और इसे बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से जोड़कर देखा गया था.

मालूम हो कि बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच (जो अब तक अप्रकाशित रही है) में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए जिम्मेदार पाया गया था.

साथ ही इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के मुसलमानों के बीच तनाव की भी बात कही गई है. यह 2002 के फरवरी और मार्च महीनों में गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा में उनकी भूमिका के संबंध में दावों की पड़ताल भी करती है, जिसमें एक हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी.

डॉक्यूमेंट्री का दूसरा एपिसोड, केंद्र में मोदी के सत्ता में आने के बाद – विशेष तौर पर 2019 में उनके दोबारा सत्ता में आने के बाद – मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और उनकी सरकार द्वारा लाए गए भेदभावपूर्ण कानूनों की बात करता है. इसमें मोदी को ‘बेहद विभाजनकारी’ बताया गया है.

केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और यूट्यूब को डॉक्यूमेंट्री के लिंक ब्लॉक करने का निर्देश दिया था, वहीं विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री को ‘दुष्प्रचार का हिस्सा’ बताते हुए खारिज कर कहा था कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है तथा यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है.

हालांकि बीबीसी अपनी डॉक्यूमेंट्री के साथ खड़ा रहा और उसका कहना था कि यह काफी शोध करने के बाद बनाई गई है, जिसमें महत्वपूर्ण मुद्दों को निष्पक्षता से उजागर करने की कोशिश की गई है. चैनल ने यह भी कहा कि उसने भारत सरकार से इस पर जवाब मांगा था, लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया.

देश के विभिन्न राज्यों के कैंपसों में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर विवाद भी हुआ था.

ब्रिटेन के सार्वजनिक ब्रॉडकास्टर के दिल्ली और मुंबई कार्यालयों के ‘सर्वे’ के बाद ब्रिटेन सरकार द्वारा बीबीसी का बचाव करने के बाद इसके महानिदेशक टिम डेवी ने भारत में कर्मचारियों को भेजे एक ईमेल में कहा कि बीबीसी को बिना किसी डर या पक्षपात के रिपोर्ट करने से नहीं रोका जा सकता.

बीबीसी के अनुसार, डेवी ने कर्मचारियों को उनके साहस के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि  निष्पक्ष रूप से रिपोर्ट करने से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है.

बीबीसी ने यह भी कहा था कि वह जांच में सहयोग कर रहा है.

ईडी इस मामले ऐसे समय उठा रहा है जब विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार द्वारा केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल विभिन्न तरीकों से राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है.

द वायर  ने हाल ही में दो लेखों की एक श्रृंखला में ईडी के कामकाज के तरीके और विपक्षी नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को लेकर सवाल उठाए गए हैं.

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