पत्रकार से कवि की यात्रा: ‘मैं बस तुकांत और अतुकांत पद्य में अपना समय दर्ज कर रहा हूं’

बिहार के प्रतिनिधि पत्रकार संतोष सिंह अपनी धारदार ख़बरों के लिए जाने जाते हैं. उनके हालिया प्रकाशित कविता संग्रह ने उनके एक नए रूप से हमें परिचित कराया. अपने कवि-कर्म पर उन्होंने यह ख़ास लेख लिखा है.

भाकपा माले सांसद सुदामा प्रसाद ने रेलवे से मिले सोने-चांदी के उपहार वापस लौटाए

बिहार के आरा से लोकसभा सांसद सुदामा प्रसाद में एक अध्ययन यात्रा के दौरान रेलवे से सोने-चांदी के सिक्के तोहफ़े में मिलने पर दुख ज़ाहिर करते हुए कहा कि यात्री सुरक्षा से लेकर किराया वृद्धि जैसी तमाम चुनौतियों के बीच स्थायी समिति के सदस्यों को महंगे उपहार देना जनहित से जुड़े मुद्दों पर सांसदों को चुप कराने की साज़िश है.

कांग्रेस ने पूछा- क्या प्रधानमंत्री मोदी जाति जनगणना को विभाजनकारी मानते हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे से पहले कांग्रेस ने पूछा कि क्या उन्हें लगता है कि जाति जनगणना विभाजनकारी है और क्या वह अनुसूचित जातियों, जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर मनमानी 50% की सीमा को हटाने के लिए निर्णायक कदम उठाएंगे.

केंद्रीय परियोजनाएं: राज्यों के आर्थिक विकास का प्रमुख ईंधन

बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य केंद्र सरकार द्वारा कम निवेश, केंद्र-प्रायोजित परियोजनाओं की कमी और अपर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के कारण आर्थिक वृद्धि में काफी पीछे रह गए हैं.

अब और नहीं ग़ुलामी: बिहार की मछुआरी महिलाओं का यौन शोषण और जातिवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष 

प्रभुत्ववान जातियों द्वारा मछुआरी औरतों का शारीरिक शोषण एक सामान्य घटना थी. भले वे ब्राह्मण हों, यादव या कोई और, पुरुषों की जाति और धन की शक्ति सुनिश्चित करती थी कि शोषित औरतें उत्पीड़न को उजागर न करें.

बिहार: जितिया पर्व के दौरान विभिन्न ज़िलों में नदी में डूबने से 43 लोगों की मौत

बुधवार को जितिया पर्व के स्नान के दौरान डूबने से बिहार के 15 ज़िलों में 43 लोगों की जान गई है, जिनमें 37 बच्चे और 6 महिलाएं शामिल हैं.

बिहार: केसी त्यागी के जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफ़ा देने की वजह क्या है

नीतीश कुमार के जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में वापसी के बाद भी केसी त्यागी भारतीय जनता पार्टी की नीतियों की खुलकर आलोचना कर रहे थे. माना जा रहा है कि ‘संवेदनशील मुद्दों’ पर त्यागी के बयानों ने पार्टी को गठबंधन के भीतर मुश्किल स्थिति में डाल दिया था.

बिहार: सरकारी स्वास्थ्य अभियान के दौरान खिलाई गई दवा से 31 स्कूली बच्चे बीमार

बिहार के आरा में सलेमपुर गांव स्थित एक स्कूल में गुरुवार दोपहर बच्चों को फाइलेरिया की दवा खिलाई गई थी. दवा खाने के कुछ देर बाद ही एक-एक करके बच्चे बीमार पड़ने लगे, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया.

संसदीय समिति में जातिगत जनगणना पर चर्चा के लिए विपक्ष की मांग को जदयू का समर्थन

अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण पर संसदीय समिति की पहली बैठक में जनता दल यूनाइटेड ने विपक्ष की इस मांग का समर्थन किया कि जातिगत जनगणना पर चर्चा की जाए. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में जदयू भाजपा का एक प्रमुख सहयोगी दल है.

बिहार: गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल का हिस्सा तीसरी बार ढहा

खगड़िया ज़िले के अगुवानी को भागलपुर के सुल्तानगंज से जोड़ने वाले गंगा नदी पर बन रहे इस पुल के ढहने की यह तीसरी घटना है. पिछले साल जून में निर्माणाधीन पुल का 200 मीटर हिस्सा ढह गया था. ठीक एक साल पहले 2022 में ऐसी ही एक और घटना इसी पुल पर घटी थी.

बिहार: जहानाबाद ज़िले के बाबा सिद्धनाथ मंदिर में भगदड़ में सात लोगों की मौत, कई घायल

घटना रविवार रात करीब 12.30 बजे हुई जब कांवड़िए जहानाबाद के मखदुमपुर इलाके में मंदिर में पूजा करने के लिए बराबर पहाड़ियों पर चढ़ रहे थे. अधिकारियों ने बताया कि भगदड़ में सात लोगों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकतर कांवड़िए थे.

बिहार: गांव में बिना सड़क के खुले मैदान में पुल बना, जांच के आदेश

मामला अररिया ज़िले का है, जहां खेतों के बीच बिना सड़क के पुल जैसी संरचना बनी नज़र आई. अधिकारियों ने बताया कि सीएम ग्रामीण सड़क योजना के तहत परमानंदपुर गांव में 2.5 किलोमीटर लंबी सड़क पर काम शुरू हो गया था, लेकिन किसानों से ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई.

बिहार: दो अलग-अलग दुर्घटनाओं में 13 कांवड़ियों की मौत

वैशाली ज़िले के औद्योगिक थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव में एक हाई-टेंशन ओवरहेड तार के वाहन पर गिरने से नौ कांवड़ियों की मौत हो गई और तीन गंभीर रूप से घायल हो गए. एक अन्य घटना में कटिहार ज़िले में दो मोटर साइकिलों की टक्कर में चार कांवड़ियों की जान चली गई.

मैं क्यूं जाऊं अपने शहर: विश्वास के टूटने और बहाल होने की कहानी

पुस्तक समीक्षा: परमजीत सिंह की 'मैं क्यूं जाऊं अपने शहर: 1984 कुछ सवाल, कुछ जवाब' सिख विरोधी दंगों की कुछ अनसुलझी मानवीय और राजनीतिक गुत्थियों को नए सिरे से पेश करती है.

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