कांग्रेस ने गुजरात के परिणामों को बताया नैतिक जीत, राहुल ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश की नई सरकारों को बधाई दी.
अगर हिंदुत्ववादी आख्यान का जादू इस देश में चलेगा तो इससे यही प्रमाणित होता है कि भारत की राजनीति में विचारधारा की मौत नहीं हुई है. वह अगर दक्षिणपंथ के रूप में जिंदा है तो उसके वामपंथी या मध्यमार्गी होने की संभावना भी है.
मीडिया बोल में उर्मिलेश विधानसभा चुनाव के नतीजों पर प्रो. अपूर्वानंद और पत्रकार अशोक टंडन से चर्चा कर रहे हैं.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा, कांग्रेस और भाजपा दोनों ईवीएम पर हमले के दोषी हैं.
अगरतला में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, भारत में रहने वाले सभी हिंदू हैं तो उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, जीवन पद्धति है हिंदुत्व.
68 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा 45 सीटों पर आगे चल रही हैं, वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस महज़ 19 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है.
गुजरात की जनता भाजपा सरकार से नाराज़ थी, लेकिन उनकी परेशानी को सुनने और आवाज़ उठाने वाला विपक्ष सड़कों पर नहीं था.
कांग्रेस उम्मीदवार अशोक जरीवाला ने कहा, हमने पाया कि कॉलेज में बने स्ट्रांग रूम के पास एक वाई-फाई नेटवर्क उपलब्ध था, जिसके बाद हमने कलेक्टर से कार्रवाई करने को कहा.
पाटीदार नेता का दावा, पटेल और आदिवासी इलाक़ों में सोर्स कोड के ज़रिये ईवीएम की हैकिंग का प्रयास हुआ है. अहमदाबाद कलेक्टर ने कहा- आरोप निराधार हैं.
भाजपा सांसद संजय काकड़े ने गुजरात में अपनी पार्टी के लिए निराशाजनक प्रदर्शन का अनुमान लगाया, बोले- कांग्रेस बहुमत के करीब पहुंचेगी.
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, भाजपा विधायक संगीत सोम और उमेश मलिक के ख़िलाफ़ राज्य सरकार से मुकदमा चलाने की इजाज़त मिलने के बाद अदालत ने पेश होने को कहा.
राहुल ने थामी पार्टी की कमान. कहा भले ही हम सहमत न हो लेकिन भाजपा को अपना भाई-बहन मानते हैं. वे बदनाम करते हैं, हम सम्मान देते हैं.
कांग्रेस अब तक अगर विजयी होती रही है तो उसका कारण यही था कि वह अपने विरोधियों की मांगों और उनके गुणों को आत्मसात कर लेती थी. जब तक वह ऐसा करती रही तब तक चलती रही और जब छोड़ दिया तो अवसान की ओर बढ़ने लगी.
शंभूलाल हमारे अचेतन की पैदाइश है. हिंदुत्व का मध्यवर्गीय नायक, जो हमारे सेकुलर सपनों और बहुलतावादी चेहरे को जला देता है.
जन गण मन की बात की 165वीं कड़ी में विनोद दुआ बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता और गुजरात चुनाव में बुनियादी मुद्दों की अनदेखी पर चर्चा कर रहे हैं.