75 पूर्व नौकरशाहों ने कहा- किसानों के प्रति सरकार का रवैया प्रतिकूल और टकराव भरा

पूर्व नौकरशाहों ने एक खुले पत्र में नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के प्रदर्शन के प्रति केंद्र सरकार का रवैये की निंदा की है. उन्होंने 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के समय के घटनाक्रम को लेकर सवाल उठाया कि जब लाल क़िले पर किसानों के एक समूह ने राष्ट्रीय ध्वज के नीचे अपना झंडा फहराया था, तब पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए कुछ भी क्यों नहीं किया था?

प्रदर्शनकारी किसानों के ख़िलाफ़ अधिकतम संयम बरतें अधिकारी: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कहा है कि शांतिपूर्ण एकत्र होने एवं अभिव्यक्ति के अधिकारों की हिफ़ाज़त की जानी चाहिए. यह ज़रूरी है कि सभी के मानवाधिकारों की रक्षा करते हुए न्यायसंगत समाधान तलाशा जाए.

दिल्ली छोड़ देश के अन्य हिस्सों में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ 6 फरवरी को होगा चक्काजाम: टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने दिल्ली के टिकरी, सिंघू और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पुलिस द्वारा की गई क़िलेबंदी को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दिल्ली में हम चक्काजाम नहीं कर रहे हैं, वहां तो राजा ने ख़ुद क़िलेबंदी कर ली है.

किसान आंदोलनः अमेरिका की टिप्पणी पर भारत ने लाल क़िले की घटना की तुलना कैपिटल हिल घटना से की

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है कि गणतंत्र दिवस पर हिंसा की घटनाओं, लाल क़िले में तोड़फोड़ ने भारत में उसी तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं, जैसा छह जनवरी को अमेरिका में कैपिटल हिल घटना के बाद देखने को मिला था.

लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिख विपक्षी सांसदों ने कहा, ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर हालात भारत-पाक सीमा जैसे

शिरोमणि अकाली दल, द्रमुक, राकांपा और तृणमूल कांग्रेस समेत इन पार्टियों के 15 सांसदों को पुलिस ने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने नहीं दिया. इनका कहना है कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों की स्थिति जेल के कै़दियों जैसी है.

भाजपा सरकार ‘जनता’ और सरकार की सहकारी हिंसा का मॉडल स्थापित कर चुकी है

हिंसा का एकाधिकार सरकार के पास होता है और उसे नियंत्रित रखने के लिए संवैधानिक सीमाएं हैं. लेकिन सरकार इनका अतिक्रमण करती रहती है. उसकी अनधिकार हिंसा पर कोई सवाल न उठे, इसलिए वह जनता के एक हिस्से को यह बताती है कि वह उसकी तरफ से हिंसा का प्रयोग कर रही है.

कृषि क़ानून: अमेरिका ने कहा- इंटरनेट की उपलब्धता, शांतिपूर्ण प्रदर्शन जीवंत लोकतंत्र की निशानी

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट का यह बयान अमेरिकी गायिका रिहाना समेत कई हस्तियों के किसान आंदोलन के समर्थन पर भारतीय विदेश मंत्रालय की आलोचना पर आया है. विभाग ने यह भी कहा कि अमेरिका ऐसे कदमों का स्वागत करता है जो भारतीय बाज़ार को बेहतर बनाते हैं और बड़े स्तर पर निजी निवेश आकर्षित करते हैं.

किसान आंदोलन: कीलों और बैरिकेडिंग से बढ़ीं किसानों की मुश्किलें, पानी और शौचालय व्यवस्था मुहाल

26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद से ग़ाज़ीपुर, टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर बैरिकेड और सीमेंट की दीवारों की संख्या बढ़ गई है. तीनों सीमाओं को काफ़ी दूर तक तारों से घेर दिया गया है और टिकरी और ग़ाज़ीपुर में पुलिस ने धरनास्थल तक जाने वाली सड़कों पर लोहे की कीलें भी गाड़ दी हैं.

कैसे ग़ाज़ीपुर में पुनर्जीवित हुआ किसान आंदोलन

वीडियो: बीते 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के बाद उत्तर प्रदेश प्रशासन ने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने का आदेश दिया था. हालांकि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की अपील के बाद, यहां किसानों का हुजूम उमड़ पड़ा है.

किसानों के ख़िलाफ़ सत्ता के ‘युद्ध’ की दुंदुभि बने चैनल!

वीडियो: गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद से अब तक के टीवी चैनलों के कवरेज पर वरिष्ठ पत्रकार हरवीर सिंह और शीतला प्रसाद सिंह से चर्चा कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश.

राकेश टिकैत के आंसुओं से वापस लौटा किसान आंदोलन

वीडियो: गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के बाद ग़ाज़ियाबाद प्रशासन ने दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटने का अल्टीमेटम दिया था. हालांकि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत यह कहते हुए डटे रहे कि वह ख़ुदकुशी कर लेंगे, लेकिन आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे.

किसानों ने रखा उपवास, सिंघू-टिकरी और ग़ाजीपुर बाॅर्डर पर इंटरनेट सेवा निलंबित

आंदोलन का केंद्र बने दिल्ली के सिंघू, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बाॅर्डर धरना स्थलों पर इंटरनेट सेवाओं पर यह पाबंदी ऐसे समय में लगाई गई है, जब किसान नेता राकेश टिकैट को धरने से उठाने का पुलिस-प्रशासन का प्रयास विफल हो गया और आंदोलन में एक बार फिर से जान आ गई है. सभी धरना स्थलों पर किसान एक बार फ़िर से भारी संख्या में इकट्ठा होने लगे हैं.

किसान आंदोलन: लाठी भी खाएंगे और गोली भी, लेकिन ग़ाज़ीपुर नहीं छोड़ेंगे

वीडियो: दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर बाॅर्डर पर डटे किसानों का कहना है कि तीनों कृषि क़ानूनों के रद्द होने तक वो पीछे नहीं हटने वाले हैं.

सिंघू बॉर्डर पर तनाव, किसानों और कथित स्थानीय लोगों के बीच झड़प के बाद पुलिस ने किया लाठीचार्ज

कृषि क़ानूनों के विरोध में दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर बीते दो महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों की प्रदर्शन स्थल को ख़ाली करा रहे कथित तौर पर स्थानीय लोगों के एक समूह के साथ झड़प हुई है, जिसमें एक एसएचओ गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. प्रदर्शनस्थल पर भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं और यहां किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं है.

ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर और अधिक किसान उमड़े, अतिरिक्त सुरक्षा बल को हटाया गया

गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के बाद ग़ाज़ियाबाद प्रशासन ने दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटने का अल्टीमेटम दिया था. हालांकि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत यह कहते हुए डटे रहे कि वह ख़ुदकुशी कर लेंगे, लेकिन आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे.

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