दक्षिण मुंबई की जुमा मस्जिद ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका में ट्रस्ट की एक मस्जिद में पांच वक़्त की नमाज़ अदा करने की इजाज़त मांगी गई थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इससे इनकार करते हुए कहा कि धार्मिक रीति-रिवाज़ों को मनाना या उनका पालन करना महत्वपूर्ण है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण लोक व्यवस्था और लोगों की सुरक्षा है.
महाराष्ट्र के दो वकीलों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कोरोना टीकाकरण की दिशा में सरकार सराहनीय काम कर रही है, लेकिन घर से बाहर निकलने में असमर्थ लोगों को टीका लगाने पर कोई ठोस क़दम नहीं उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि यदि ऐसे लोगों को घर पर टीका नहीं लगाया जाता है तो यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन होगा.
सीबीआई और एसआईटी ने कहा कि दोनों एजेंसियों ने बताया कि साल 2016 में उन्होंने दोनों मामलों में सुनवाई पर अंतरिम रोक का आग्रह किया था, क्योंकि तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई दोनों हत्याओं में मौका-ए-वारदात पर मिलीं गोलियों की फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही थी. इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए उनसे पूछा था कि दोनों मामलों में कब तक तहक़ीक़ात पूरी हो सकती है.
देश के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने शनिवार को गोवा में हुए एक कार्यक्रम में यूनिफॉर्म सिविल कोड की तारीफ़ करते हुए कहा कि इस बारे में अक्सर चर्चा करने वाले बुद्धिजीवियों को यहां आकर इसका प्रभाव देखना चाहिए. गोवा देश का एकमात्र राज्य है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है.
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा और रोज़गार में आरक्षण क़ानून, 2018 में बनाया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस क़ानून को वैध ठहराया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
महाराष्ट्र की अपराध जांच विभाग (सीआईडी) कम्युनिस्ट नेता गोविंद पानसरे की हत्या की जांच कर रही है, जबकि अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता के रूप में चर्चित रहे नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले की जांच की ज़िम्मेदारी सीबीआई को दी गई है. पुणे में दाभोलकर की हत्या साल 2013 में, जबकि कोल्हापुर में पानसरे की हत्या 2015 में कर दी गई थी.
बीते दिनों मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे द्वारा एक बलात्कार के आरोपी से पूछा गया था कि क्या वह पीड़िता से विवाह करना चाहता है. इसे लेकर काफी आलोचना हुई थी और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने उनके इस्तीफ़े की भी मांग की थी. अब सीजेआई बोबडे ने कहा है कि अदालत ने ऐसा आदेश नहीं दिया था, बस पूछा था.
चार हज़ार से अधिक महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, प्रगतिशील समूहों और नागरिकों ने सीजेआई एसए बोबडे से पद छोड़ने की मांग करते हुए कहा कि उनके शब्द अदालत की गरिमा पर दाग़ लगा रहे हैं और उस चुप्पी को बढ़ावा दे रहे हैं जिसे तोड़ने के लिए महिलाओं ने कई दशकों तक संघर्ष किया है.
एक नाबालिग लड़की से कई बार बलात्कार करने के आरोपी महाराष्ट्र के एक सरकारी कर्मचारी ने हाईकोर्ट से अग्रिम ज़मानत रद्द होने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दी थी. सुनवाई के दौरान सीजेआई बोबडे ने उससे पूछा कि क्या वह पीड़िता से शादी करना चाहता है, जिस पर उसके वकील ने बताया कि वह विवाहित है.
वीडियो: भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में आरोपियों के वकील ने दावा किया है कि आरोपियों में से एक रोना विल्सन के लैपटॉप से बरामद कथित साजिश के मेल खुद उन्होंने नहीं लिखे थे बल्कि इन्हें प्लांट करवाया गया था. क्या है यह पूरा मामला, बता रहे हैं मुकुल सिंह चौहान.
टूलकिट मामले में आरोपी बनाए गए महाराष्ट्र के पर्यावरण कार्यकर्ता शांतनु मुलुक के पिता ने कहा कि दिल्ली पुलिस के कर्मी होने का दावा करने वाले दो लोगों ने ‘बिना किसी तलाशी वारंट’ के बीड में 12 फरवरी को उनके घर से कंप्यूटर की एक हार्ड डिस्क और अन्य सामग्री जब्त कीं.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई की वकील निकिता जैकब को राहत देते हुए दिल्ली की संबंधित अदालत का दरवाज़ा खटखटाने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है. यह मामला किसान आंदोलन के संबंध में जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए गए टूलकिट से जुड़ा है.
किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी टूलकिट के मामले में मुंबई की वकील निकिता जैकब और एक अन्य व्यक्ति शांतनु के ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती वारंट जारी किया गया है. जैकब ने इसे लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है और अग्रिम ज़मानत की मांग की है.
एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन के कंप्यूटर से मिले पत्रों के आधार पर विल्सन समेत पंद्रह कार्यकर्ताओं पर विभिन्न गंभीर आरोप लगाए गए थे. अब मामले के इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की जांच करने वाले अमेरिकी फर्म का कहना है कि इन्हें एक साइबर हमले में विल्सन के लैपटॉप में डाला गया था.
एनआईए अदालत ने जुलाई 2020 में एलगार परिषद मामले में आरोपी गौतम नवलखा की डिफॉल्ट ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी थी, जिसे चुनौती देते हुए उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में आपराधिक अपील दायर की थी.