डॉ. रखमाबाई राउत: पितृसत्ता के ख़िलाफ़ संघर्ष की प्रणेता

जयंती विशेष: 19वीं सदी के उत्तरार्ध में महिला अधिकारों की स्थिति कहीं बदतर थी. ऐसे में ख़ुद बाल विवाह का शिकार हुईं बॉम्बे की रखमाबाई ने इस विवाह के विरुद्ध अपनी पूरी शक्ति से मुखर हुईं, तो पितृसत्ता व पुनरुत्थान के सारे पैरोकार तिलमिलाहट से भरकर उनके विरुद्ध हमलावर हो उठे थे.

अमृतलाल नागर का ‘करवट’: कई पीढ़ियों के इतिहास को समेटता उपन्यास

आज अमृतलाल नगर की 108वीं जयंती है. पढ़िए उनके उपन्यास 'करवट' पर लेख जो प्रस्तावित करता है कि यह उपन्यास विश्व के महानतम उपन्यासों के समकक्ष रखा जा सकता है.

किसी पुराने सिनेमाघर के बंद होने पर उसके साथ हज़ारों यादें भी दफ़्न हो जाती हैं

मुंबई के सबसे बड़े थिएटरों में से एक इरोज़ को मल्टीप्लेक्स और रिटेल आउटलेट में तब्दील किए जाने की सूचना है और इस बात से इसके चाहने वाले ख़ुश नहीं हैं.

क्या उद्धव ठाकरे शिवसेना की डूबती नैया को बचा पाएंगे

बाल ठाकरे के पास उनके शिवसैनिकों के लिए एक स्पष्ट योजना और दृष्टिकोण था. आज की तारीख़ में उनके बेटे के पास अपने निराश कैडर के लिए क्या है?

सागर सरहदी, जो ताउम्र विभाजन के विषाद और उजड़ जाने का एहसास लिए जीते रहे

स्मृति शेष: सागर सरहदी इस एहसास के साथ जीने की कोशिश करते रहे कि दुनिया को बेहतर बनाना है. मगर अपनी बदनसीबी के सोग में इस द्वंद्व से निकल ही नहीं पाए कि साहित्य और फिल्मों के साथ निजी जीवन में भी एक समय के बाद अपनी याददाश्त को झटककर ख़ुद से नया रिश्ता जोड़ना पड़ता है.

1982 की बॉम्बे कपड़ा मिल की चर्चित हड़ताल की पूर्वकथा

जनवरी 1982 में मुंबई के कपड़ा मिलों के दो लाख से ज़्यादा मज़दूर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चिकालीन हड़ताल पर गए थे. दत्ता सामंत के नेतृत्व में लगभग दो साल तक चली इस हड़ताल ने पूरे कपड़ा मिल उद्योग के साथ सरकार को भी हैरान कर दिया था. इस ऐतिहासिक हड़ताल पर लेखक हब वैन वर्श की किताब ‘द 1982-83 बॉम्बे टेक्सटाइल्स स्ट्राइक एंड द अनमेकिंग ऑफ अ लेबरर्स सिटी’ का अंश.

बिना जांच के दवा लिखना आपराधिक लापरवाही है: बॉम्बे हाईकोर्ट

अदालत ने कहा कि मेडिकल पेशे से लापरवाही और लापरवाह डॉक्टरों को बाहर निकालने से ऐसे डॉक्टरों का सम्मान बरकार रहेगा जो कि ईमादारी से काम करते हैं और इस पेशे के नैतिक मूल्यों का पालन करते हैं.

‘लोग सूरज तोड़ लाए और हम, बंबई को मुंबई करते रहे’

राहत इंदौरी ने कहा, ‘क्या इंदौर को इंदूर किए जाने भर से यह शहर स्मार्ट सिटी बन जाएगा? देश के कई शहरों के नाम बदले गए, इससे आख़िर क्या तब्दीली हुई है?’

यश चोपड़ा: संघ की शाखा से निकला रोमांटिक फिल्मकार

एक शाम किशोर यश चोपड़ा की भाभी ने खाना बनाने के लिए तंदूर में ज्यों-ही आग लगाई, एक बड़े विस्फोट से समूचा घर दहल उठा. तंदूर में यश ने दंगों में इस्तेमाल के लिए बनाए बम छिपाए हुए थे.