बहुत सारे अधिकार संविधान सभा की बहसों से निकले थे, जब भारतीय संविधान बना तो उसमें उन अधिकारों को लिख दिया गया और बहुत सारे अधिकार बाद में दलितों ने अपने संघर्षों-आंदोलनों से हासिल किए थे. हालांकि दलितों का बहुत सारा समय और संघर्ष इसी में चला गया कि राज्य ने उन अधिकारों को ठीक से लागू नहीं किया.
मामला चित्रकूट ज़िले का है. बीते आठ अक्टूबर को 15 वर्षीय दलित किशोरी के साथ कथित तौर सामूहिक बलात्कार किया गया था. मामले में शिकायत न दर्ज किए जाने से नाराज़ होकर मंगलवार को किशोरी ने अपने घर में फ़ांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
भारतीय समाज में आप भले ही जाति को मौजूद न जानें, लेकिन जाति सबको जानती है.
उत्तर प्रदेश के हाथरस की 19 वर्षीय कथित गैंगरेप पीड़िता को आवारा बताते हुए उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से भाजपा नेता रंजीत बहादुर श्रीवास्तव ने दावा किया कि पीड़िता का आरोपी के साथ संबंध था.
हाथरस में दलित युवती के साथ गैंगरेप के मामले को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस का दावा है कि इससे यूपी सरकार की छवि ख़राब करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश रची गई. पुलिस ने अंग्रेजी की एक वेबसाइट को इस षड्यंत्र का केंद्र बताया है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में 19 वर्षीय युवती के साथ गैंगरेप के आरोपियों के समर्थन में कथित तौर पर सवर्ण जाति के लोगों ने बीते दिनों एक सभा की. यह सभा भाजपा नेता राजवीर सिंह पहलवान के घर हुई थी. इस मुद्दे पर कौशल पवार, कविता कृष्णन, चिंटू कुमारी और विवेक कुमार से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव और एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव्स के एक साझा अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि यूपी में यौन हिंसा पीड़ित महिलाओं को शिकायत दर्ज करवाने के दौरान लगातार पुलिस के हाथों अपमान झेलना पड़ा और एफआईआर भी पहले प्रयास में दर्ज नहीं हुई.
हाथरस में जो हुआ वह जातीय श्रेष्ठता और उसके अधिकार के अहंकार का ही नतीजा है. इसका एक प्रमाण गांव के कथित उच्चजातीय समूह की प्रतिक्रिया है.
राजस्थान पुलिस के सर्कुलर में कहा गया है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अभियुक्त को सीआरपीसी की धारा 41 ए का लाभ दिया जाना अधिनियम की मूल भावना के विपरीत है और इसके उद्देश्य को विफल करता है. कई समूहों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है.
अब्दुल बिस्मिल्लाह ने मुस्लिम समाज में मौजूद जातिवाद को कुठांव यानी मर्मस्थल की मानिंद माना है. उनके अनुसार यह एक ऐसा नाज़ुक विषय है अमूमन जिसका अस्तित्व ही अवास्तविक माना जाता है और जिसके बारे में बात करना पूरे मुस्लिम समाज के लिए एक पीड़ादायक विषय है.
शिकायतकर्ता का कहना है कि इस तरह का जातिगत भेदभाव कई सालों से होता आ रहा है, जिसे रोकने के लिए उन्होंने शिकायत दर्ज की थी. आरोपी नाइयों में से एक का कहना है कि उन पर लगे आरोप झूठे हैं.
वीडियो: जातिगत भेदभाव पर आधारित फिल्म ‘आर्टिकल 15’ के निर्देशक अनुभव सिन्हा से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.