जातिगत जनगणना तर्कसंगत मांग है, बेहतर नीतियां बनाने में मददगार साबित होगा: एनसीबीसी प्रमुख

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी ने कहा कि जाति आधारित जनगणना निश्चित तौर पर नीति निर्माताओं को पिछड़े वर्ग के लिए कल्याणकारी नीतियां बनाने में मददगार साबित होगी. अगर ऐसा हुआ तो सरकार के लिए यह जानना आसान होगा किस जाति के कितने लोग हैं और उनके लिए क्या किया जाना चाहिए.

जाति जनगणना की मांग के बीच आंकड़े दर्शाते हैं कि क़रीब 45 फीसदी परिवार ओबीसी वर्ग के हैं

ग्रामीण भारत में कृषक परिवारों की स्थिति को लेकर हाल ही में एनएसओ द्वारा जारी किए गए एक सर्वे के मुताबिक़, देश के 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी से हैं.

जातिगत जनगणना राष्ट्रीय हित में है, केंद्र पुनर्विचार करे: नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि इससे विकास की दौड़ में पिछड़ रहे समुदायों की प्रगति में मदद मिलेगी. इसकी मांग न केवल बिहार बल्कि कई राज्यों से आ रही है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जाति के आधार पर जनगणना को ख़ारिज करते हुए कहा था कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’ है.

पिछड़े वर्गों की जातिगत जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

शीर्ष अदालत में केंद्र की दलील ऐसे समय में आई है, जब उसे विपक्षी दलों और यहां तक कि जदयू जैसे उसके सहयोगियों से जातिगत जनगणना की मांग लगातार की जा रही है. बीते 20 जुलाई को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने फैसला किया है कि जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति-वार आबादी की गणना नहीं की जाएगी.

आरक्षण पर पक्ष और विपक्ष वालों के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए बयान पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ग़रीबों के अधिकारों पर हमला, संविधान सम्मत अधिकारों को कुचलना, दलितों-पिछड़ों के अधिकार छीनना...यही असली भाजपाई एजेंडा है.

राजस्थान: क्या किरोड़ी लाल मीणा अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं?

राजस्थान में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा नेता किरोड़ी लाल मी​णा ने 17 टिकट अपने चहेतों को दिलवाए थे, इन सभी को हार का सामना करना पड़ा था. इस बार लोकसभा चुनाव में मीणा की पसंद के किसी भी प्रत्याशी को भाजपा ने टिकट नहीं दिया.

आंध्र प्रदेश की इन आठ सीटों पर मुद्दे कई, लेकिन चुनावी मुद्दा केवल जाति

ग्राउंड रिपोर्ट: रायलसीमा तिरुपति, कडपा, राजमपेट, अनंतपुर, हिंदूपुर, नांदयाल, कुरनूल और चित्तूर में भूमिगत जल खारा हो चुका है. बेरोज़गारी बढ़ रही है. पलायन शुरू हो चुका है, लेकिन इन आठ सीटों पर अहम की लड़ाई ने चुनाव को जाति पर ही केंद्रित कर दिया है. अमित कुमार निरंजन की रिपोर्ट.

जातिगत राजनीति इसलिए होती है, क्योंकि लोग जाति के नाम पर वोट देते हैं: भागवत

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि नेता एक निश्चित सीमा तक चीज़ों में सुधार कर सकते हैं और चीज़ों में सुधार के लिए अपने हितों के त्याग करने की ज़रूरत होती है.