सीबीआई के अनुसार, गृह मंत्रालय के एफ़सीआरए डिवीज़न के कुछ अधिकारियों ने विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रमोटरों/प्रतिनिधियों, बिचौलियों के साथ साज़िश में निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद दान प्राप्त करना जारी रखने के उद्देश्य से इन संगठनों को पिछले दरवाजे से एफसीआरए पंजीकरण/नवीनीकरण प्राप्त कराने की भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त थे.
महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने पिछले साल भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. जिसकी जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश केयू चांदीवाल के एक सदस्यीय आयोग को सौंपी गई थी. आयोग ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल को दी. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सिंह ने अपने आरोपों को सिद्ध करने के लिए जांच के दौरान कोई सबूत पेश नहीं किया.
अक्टूबर 2021 में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि उन्हें कुछ परियोजनाओं से संबंधित दो फाइलें पास करने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. सीबीआई ने अब इस संबंध में जम्मू कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना और किरु जलविद्युत परियोजना के काम के लिए अनुबंध देने में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में दो एफआईआर दर्ज की है.
झारखंड की राजधानी रांची के चारा घोटाले के पांच मामलों में से सभी में अब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को ज़मानत मिल चुकी है. अब उनके ख़िलाफ़ पटना में ही चारा घोटाले के मामले विचाराधीन रह गए हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने रोहिणी के एक आश्रम के प्रबंधन पर नाराज़गी व्यक्त की, जहां कई महिलाओं को ‘जानवरों जैसी स्थितियों’ में रखने का आरोप है. अदालत ने कहा कि आश्रम की स्थापना करन वाले व्यक्ति के ख़िलाफ़ सीबीआई ने आरोप पत्र दायर किया है और वर्तमान में वह फ़रार है. ऐसे में यह स्वीकार करना मुश्किल है कि बाशिंदे अपनी मर्ज़ी से वहां रह रहे हैं.
अभिनेता दिलीप समेत दस लोगों पर एक अभिनेत्री को कथित तौर पर बंदी बनाकर उन्हीं की कार में दो घंटे तक यौन शोषण करने और इसका वीडियो बनाने का आरोप है. इसके बाद दिलीप और अन्य पर इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को धमकाने और हत्या की साज़िश रचने का केस भी दर्ज किया गया था.
विशेष अदालत ने मजिस्ट्रेट अदालत के निर्देश को बरक़रार रखते हुए कहा कि जिस तरह आकार पटेल के ख़िलाफ़ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया, वह संबंधित क़ानून की समझ की कमी को दर्शाता है. इससे पहले मजिस्ट्रेट अदालत ने सीबीआई को तुरंत सर्कुलर वापस लेने का निर्देश दिया था.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों का देश के दो राज्यों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. एक पश्चिम बंगाल है और दूसरा महाराष्ट्र है. यह स्पष्ट है कि जो देश पर शासन कर रहे हैं, वे इन दो राज्यों में किसी भी क़ीमत पर सत्ता चाहते हैं.
एफसीआरए के कथित उल्लंघन मामलों की दो साल की जांच के बाद 31 दिसंबर, 2021 को एजेंसी ने दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत में आकार पटेल और एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के ख़िलाफ़ अधिनियम की धारा 35, 39 और 11 के तहत आरोप पत्र दायर किया था.
दिल्ली की अदालत ने गुरुवार को एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और लेखक आकार पटेल को अमेरिका जाने की अनुमति देते हुए सीबीआई को लुकआउट सर्कुलर वापस लेने का निर्देश दिया था. अब उसने इस आदेश पर रोक लगा दी है. वहीं, गुरुवार शाम को पटेल को फिर बेंगलुरु हवाईअड्डे पर रोक दिया गया.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और लेखक आकार पटेल को सीबीआई द्वारा उनके ख़िलाफ़ जारी लुकआउट सर्कुलर का हवाला देकर बीते छह अप्रैल को बेंगलुरु हवाईअड्डे से देश छोड़कर जाने से रोक दिया गया था. अदालत ने सीबीआई निदेशक को अपने अधीनस्थ की ओर से चूक को स्वीकार करते हुए पटेल को एक लिखित माफ़ी जारी करने को भी कहा है.
सीबीआई ने एफसीआरए से जुड़े एक मामले में लुकआउट सर्कुलर का हवाला देकर एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के पूर्व प्रमुख और लेखक आकार पटेल को बेंगुलरू हवाईअड्डे पर रोक दिया गया. वह बर्कले और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए अमेरिका जा रहे थे.
सीबीआई ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) संबंधी भ्रष्टाचार के एक मामले में देशभर में 22 स्थानों पर छापेमारी के दौरान नौ किलोग्राम से अधिक सोना और 1.1 करोड़ रुपये नकद बरामद किए हैं. एनएचएआई के नौ शीर्ष अधिकारियों और निजी व्यक्तियों सहित 13 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. आरोप है कि इन परियोजनाओं को पूरा करने के दौरान उक्त एनएचएआई अधिकारियों ने निजी कंपनियों से धन लिया था.
देश के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सीबीआई के एक आयोजन को संबोधित करते हुए कहा कि शुरुआत में सीबीआई पर जनता को भरोसा था, लेकिन समय बीतने के साथ हर प्रतिष्ठित संस्था की तरह सीबीआई भी सार्वजनिक जांच के घेरे में आ गई है. इसके कार्यों और निष्क्रियता ने कुछ मामलों में इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं.
पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा द्वारा सूचना के अधिकार के तहत केंद्रीय सूचना आयोग में दिए दो आवेदनों से पता चला है कि कैसे एकाएक उनके करिअर की समाप्ति के बाद से सरकार ने उनकी पिछली सेवा संबंधी पूरी जानकारी को ज़ब्त कर लिया. इसके बाद उनकी पेंशन, चिकित्सा पात्रता और ग्रैच्युटी समेत सभी सेवानिवृत्ति बकाये, यहां तक कि भविष्य निधि भुगतान भी देने से इनकार कर दिया गया.