जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष के मुताबिक, इस फर्ज़ी ख़बर के बाद जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों को हत्या और बलात्कार की धमकियां मिल रही हैं.
राज्य के करदाना गांव में सरकार ने उन लोगों की पेंशन रोक दी है, जिन्होंने अब तक बैंक में आधार कार्ड नहीं जमा किया है. यह न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मिलने वाले जीने के अधिकार की अवहेलना भी है.
बस्तर में चलने वाले नक्सल राज की खूनी कहानी हर गांव में आपको सुनने को मिलेगी. बंदूक और हिंसा की राजनीति का नतीजा यह हुआ है कि शांतिपूर्ण जीवन के आदी आदिवासियों का जीवन बिखर चुका है.
जन गण मन की बात की 41वीं कड़ी में विनोद दुआ छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले और गोरक्षा के नाम पर चल रही गुंडागर्दी पर चर्चा कर रहे हैं.
2006 में लागू वन अधिकार क़ानून कहता है कि जो ज़मीनें आज़ादी के पहले सामुदायिक अधिकारों के लिए थीं, वो यथावत बनी रहेंगी. लेकिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 90 लाख हेक्टेयर ऐसी ज़मीनों पर सरकार का क़ब्ज़ा है.
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने राज्य में पुलिस और नक्सलियों के बीच सांठगांठ होने का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है.
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से पुलिस ने आईएसआई के दो कथित एजेंटों को गिरफ्तार करने का दावा किया है.
क्या बस्तर में भी भारतीय संविधान लागू है? क्या माओवाद से लड़ाई के नाम पर ग्रामीणों के फ़र्ज़ी एनकाउंटर, महिलाओं के बलात्कार, सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमले और जेल आदि सब जायज़ हैं, जबकि माओवाद तो ख़त्म होने की जगह बढ़ रहा है?
बस्तर के ‘कुख्यात’ पूर्व आईजी एसआरपी कल्लूरी को अनुशासनहीनता के लिए छत्तीसगढ़ डीजीपी ने चेतावनी देते हुए एक साथ तीन कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
सुकमा पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्यान एलेसेला ने कहा है कि ईशा खंडेलवाल और शालिनी गेरा जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को वाहन से सड़क पर कुचल देना चाहिए.
बस्तर में कार्यरत संतोष को छत्तीसगढ़ पुलिस ने वर्ष 2015 में गिरफ्तार किया था. वह नवभारत, पत्रिका और दैनिक छत्तीसगढ़ जैसे अख़बारों के लिए लिखा करते थे.