साल 2023 में रेलवे पुलिस ने महाराष्ट्र के दो स्टेशनों से पांच मदरसा शिक्षकों को बच्चा तस्करी के आरोप गिरफ़्तार कर क़रीब एक माह जेल में रखा था. अब जीआरपी ने इसकी जांच पूरी करने के बाद कहा है कि यह पूरा मामला ‘ग़लतफ़हमी’ के कारण खड़ा हुआ.
संसद की एक स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत को 2025 तक सभी प्रकार के बाल श्रम को समाप्त करने का लक्ष्य पाने के लिए लंबा रास्ता तय करना है. समिति ने विभिन्न क़ानूनों में दर्ज 'बच्चों' की अलग-अलग परिभाषाओं का हवाला देते हुए कहा है कि पहली ज़रूरत एक समान परिभाषा तैयार करने की है.
वीडियो: भारत के संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार, 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार के ख़तरे भरे कामों में रोज़गार पर नहीं लगाया जा सकता. इस अनुच्छेद में ख़तरे वाले कामों को कैसे परिभाषित किया गया है और सुप्रीम कोर्ट ने बाल श्रम पर क्या कहा है, समझा रही हैं अधिवक्ता अवनि बंसल.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों को विश्लेषण कर चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) ने कहा कि हालांकि बच्चों के ख़िलाफ़ अपराधों की कुल संख्या में गिरावट आई है, लेकिन बाल विवाह के मामलों में 50 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है, जबकि एक वर्ष में ऑनलाइन दुर्व्यवहार के मामलों में 400 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राजस्थान से बच्चों की तस्करी के संबंध में मिली शिकायत को लेकर कहा कि स्वतंत्रता के 70 साल बाद भी बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न क़ानूनों और योजनाओं के बावजूद बाल मज़दूरी और बच्चों की तस्करी का जारी रहना राज्य की मशीनरी पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है.
आईएलओ और यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में बाल मज़दूरों की संख्या 16 करोड़ हो गई है. यह चेतावनी भी दी गई है कि कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप 2022 के अंत तक वैश्विक स्तर पर 90 लाख और बच्चों को बाल श्रम में धकेल दिए जाने का ख़तरा है.
स्वामी अग्निवेश गांधी की परंपरा के हिंदू थे, जो मुसलमान, सिख, ईसाई या आदिवासी को अपने रंग में ढालना नहीं चाहता और उनके लिए अपना खून बहाने को तत्पर खड़ा मिलता है. वे मुसलमानों और ईसाइयों के सच्चे मित्र थे और इसीलिए खरे हिंदू थे.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा झारखंड और बिहार के अभ्रक खदान वाले इलाकों में बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर किए गए सर्वेक्षण में ये खुलासा हुआ है.
छत्तीसगढ़ के रायपुर में पुलिस, महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रम विभाग, शिक्षा विभाग और सामाजिक संगठनों की संयुक्त कार्रवाई में पारले-जी कारखाने में छापा मारा गया. ये बच्चे छत्तीसगढ़ के अलावा पड़ोसी राज्यों झारखंड, उड़ीसा और मध्य प्रदेश के हैं.
राजस्थान के चूड़ी कारख़ानों से दिसंबर 2017 से नवंबर 2018 के बीच में मुक्त कराए गए ये सभी बच्चे बिहार से हैं.
बिहार का गया ज़िला भले ही धार्मिक कारणों से दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन पिछले कुछ सालों में इस ज़िले पर एक और तमगा चस्पां हो गया है. गया इकलौता ज़िला बन गया है, जहां के सबसे ज़्यादा बच्चे बाल मज़दूर बनकर दूसरे राज्यों की फैक्ट्रियों में काम करने को मजबूर हैं.
सरकारी निर्माण कंपनी राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) के एक निर्माण स्थल से नौ लड़कों को मुक्त कराया गया है. इसमें से छह लोग नाबालिग हैं. एनबीसीसी और संपदा निदेशालय के प्रमुख तलब.