भारत के महापंजीयक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में नवजात शिशु मृत्यु दर में क़रीब 36 प्रतिशत की कमी देखी गई है और राष्ट्रीय स्तर पर नवजात मृत्यु दर का स्तर पिछले दशक में 44 से गिरकर 28 हो गया. पिछले पांच दशकों में राष्ट्रीय स्तर पर जन्म दर में काफी कमी आई है, जो 1971 के 36.9 से घटकर 2020 में 19.5 हो गई.
गैर-सरकारी संगठन ‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ (क्राइ) की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर भारत के चार प्रमुख राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बच्चों के लापता होने के मामलों में काफी वृद्धि हुई है. 2021 में मध्य प्रदेश और राजस्थान में लापता लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में पांच गुना अधिक है.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में बीते एक मई को ‘सनातन हिंदू सेवा संस्थान’ द्वारा एक धर्म सभा का आयोजन किया गया था. आरोप है कि सभा में एक बार फिर अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण दिए गए हैं. नरसिंहानंद और कालीचरण पहले से ही नफ़रत भरे भाषणों के लिए आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं.
हिंदुत्ववादी नेता साध्वी ऋतंभरा ने कानपुर में आयोजित राम महोत्सव कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत जल्द ही ‘हिंदू राष्ट्र’ बन जाएगा. उन्होंने आह्वान किया कि अपने दो बच्चों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समर्पित करें, विश्व हिंदू परिषद का कार्यकर्ता बनाएं, देश को समर्पित करें.
हाईकोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के हक़ में महत्वपूर्ण फ़ैसला देते हुए कहा है कि तलाक़शुदा मुस्लिम महिलाओं को भी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पति से गुज़ारा-भत्ता पाने का अधिकार है और वे इद्दत की अवधि के बाद भी इसे प्राप्त कर सकती हैं. हालांकि यह हक़ उन्हें तब ही तक है, जब तक वे दूसरी शादी नहीं करतीं.
कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी धर्मगुरु यति नरसिंहानंद के एक संगठन ने हिमाचल प्रदेश के ऊना में तीन दिवसीय धर्म संसद का आयोजन किया है. कार्यक्रम में नरसिंहानंद ने दावा किया कि मुस्लिम योजनाबद्ध तरीके से कई बच्चों को जन्म देकर अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं. यति सत्यदेवानंद सरस्वती ने कहा कि जब मुसलमान बहुसंख्यक होंगे तो भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान जैसा इस्लामिक देश बन जाएगा.
भारत में अनुमानित 15 से 20 लाख बच्चों के सड़कों पर रहने को लेकर चिंता जताते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि कुछ राज्य सरकारों के उदासीन रवैये की वजह से उनकी पहचान कर पुनर्वास करना करना मुश्किल हो रहा है. इसके बावजूद वेब पोर्टल के ज़रिये क़रीब बीस हज़ार ऐसे बच्चों की पहचान की गई और उनका पुनर्वास किया जा रहा है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि 12 से 14 वर्ष के आयुवर्ग के बच्चों को हैदराबाद स्थित ‘बायोलॉजिकल इवांस’ द्वारा निर्मित कोविड-19 रोधी ‘कोर्बेवैक्स’ टीके की खुराक दी जाएगी. साथ ही 60 से अधिक आयु के सभी लोग अब एहतियाती खुराक ले पाएंगे.
आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली स्थित केंद्र सरकार के चार बड़े अस्पतालों- सफ़दरजंग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, कलावती सरन और सुचेता कृपलानी अस्पताल में जनवरी 2015 से जुलाई 2021 के बीच 3.46 लाख से अधिक बच्चे पैदा हुए, जिनमें से 5,724 बच्चों की मौत हो गई. इनमें से चार हज़ार से ज्यादा बच्चों की जान सिर्फ़ सफ़दरजंग अस्पताल में ही गई है.
सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए पुनर्वास नीति संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यह जानकारी दी है. अदालत ने पुनर्वास नीति तैयार करने संबंधी सुझाव लागू करने का निर्देश देते हुए कहा कि अभी तक सड़क पर रहने वाले केवल 17,914 बच्चों की जानकारी उपलब्ध कराई गई है, जबकि उनकी अनुमानित संख्या 15-20 लाख है.
बीते जनवरी माह में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर कथित रूप से ‘ग़ैरक़ानूनी और भ्रामक’ फतवा प्रकाशित करने के मामले की जांच करने को कहा था, जिसके बाद सहारनपुर के ज़िलाधिकारी ने वेबसाइट तक पहुंच पर रोक लगा दी है.
उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में एंटीबायोटिक दवा एजिथ्रोमाइसिन का सीरप निशुल्क बांटा जा रहा है, जिसके लिए क़रीब पांच लाख सीरप मंगाए गए थे. आधे से अधिक बंट जाने के बाद पता लगा कि वे मानकों पर खरे नहीं उतरे, जिसके बाद बाकी दवा को वापस मंगाया जा रहा है.
अप्रैल 2020 से कोविड और अन्य कारणों से 1.47 लाख से अधिक बच्चों ने मां या पिता या दोनों को खोया: आयोग
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा कि 11 जनवरी तक के आंकड़ों से पता चलता है कि देखभाल और सुरक्षा की ज़रूरत वाले बच्चों की कुल संख्या 1,47,492 हैं, जिनमें अनाथ बच्चों की संख्या 10,094 और माता या पिता में से किसी एक को खोने वाले बच्चों की संख्या 1,36,910 और परित्यक्त बच्चों की संख्या 488 हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि कोविड-19 महामारी से प्रतिकूल रूप से प्रभावित सड़कों पर जीवन गुजार रहे बेसहारा बच्चों की पहचान और उनके पुनर्वास के लिए अविलंब विशेष किशोर पुलिस इकाइयों, ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण और स्वैच्छिक संगठनों का सहयोग लिया जाए.
आंध्र प्रदेश के ‘दिशा क़ानून’ पर आधारित शक्ति आपराधिक क़ानून (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक में महिलाओं व बच्चों से बलात्कार, सामूहिक बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के मामलों में मौत की सज़ा या आजीवन कारावास का प्रावधान है. ऐसे अपराधों की जांच घटना की तारीख से 30 दिनों में पूरे किए जाने का प्रावधान दिया गया है.