हाल में कई ग़ैर-सरकारी संगठनों के विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस रद्द या निलंबित किए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए पूर्व नौकरशाहों ने एक पत्र में कहा कि मतभेद या असहमति की हर अभिव्यक्ति को देश की अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन या जनहित के ख़िलाफ़ नहीं माना जा सकता है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दो ग़ैर सरकारी संगठनों- ‘कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव’ और ‘अपने आप विमेन वर्ल्डवाइड’ का एफसीआरए लाइसेंस रद्द करते हुए दावा किया है कि उन्होंने क़ानून का उल्लंघन किया है और विदेशी चंदे के रूप में प्राप्त धन की कथित तौर पर हेराफेरी की.
कई राज्यों की जेलों के मैनुअल कारागार के अंदर किए जाने वाले कामों का निर्धारण जाति के आधार पर करने की बात कहते हैं.
राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार, सिक्किम और उत्तराखंड जैसे राज्यों में विधिक सेवा प्राधिकारों को आवंटित धनराशि में से 50 फीसद से भी कम ख़र्च किया गया.
पुलिस सुधारों को लेकर प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार मामले में साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए निर्देशों पर कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है.