जनतंत्र बिना राज्य के मूर्त नहीं होता. वह राज्य का गठन करता है और फिर राज्य सबसे पहले उस जन को सुरक्षित करने के नाम पर अपने अधीन कर लेता है. पर अपने इर्द गिर्द दीवार उठाकर व्यक्ति सुरक्षित होता है या अकेला? कविता में जनतंत्र स्तंभ की छब्बीसवीं क़िस्त.
जनता और राज्य के बीच का रिश्ता उन संस्थाओं के ज़रिये तय होता है जो उसे उपेक्षा और ज़्यादातर बार तिरस्कार की निगाह से देखती हैं. इस तंत्र की पहचान जन को करवाना कार्यकर्ता का काम है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की चौबीसवीं क़िस्त.
कौन नागरिकता के दायरे के केंद्र में और कौन हमेशा परिधि पर लटके रहने को अभिशप्त है? यह सवाल आज हर भाषा का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रश्न हो उठा है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की पंद्रहवीं क़िस्त.
मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल क्षेत्र के लहार निर्वाचन क्षेत्र में चुनावों पर संदेह व्यक्त करने वाले पत्रकार के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि लोकतंत्र का लक्ष्य बहुलवादी और सहिष्णु समाज बनाना है. इसे सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए नागरिकों को स्वतंत्र रूप से बोलने में सक्षम होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाख़िल कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक होने का आरोप लगाया गया था. इस आधार पर अदालत ने उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
गंगा सफाई के लिए मिली राशि पर मोदी सरकार द्वारा 100 करोड़ रुपये का ब्याज कमाने समेत दिनभर की महत्वपूर्ण खबरें
गृह मंत्रालय ने एक पत्र में कहा कि उसे भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से अर्ज़ी मिली है, जिसमें राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताया गया है. वहीं, कांग्रेस ने कहा कि राहुल जन्मजात भारतीय नागरिक हैं, लेकिन ‘फर्ज़ी विमर्श’ के ज़रिये बेरोज़गारी एवं कृषि संकट जैसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास किया जा रहा है.
जन गण मन की बात की 263वीं कड़ी में विनोद दुआ लोकतंत्र में आम नागरिकों की स्थिति और नेताओं के विलासितापूर्ण जीवन पर चर्चा कर रहे हैं.
पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग दोनों स्तंभों के बीच टकराव की एक बड़ी वजह है.
सरकार का तर्क-अदालतें कार्यपालिका का काम नहीं कर सकतीं. मुख्य न्यायाधीश ने कहा- कोई भी संस्था सर्वोच्चता का दावा नहीं कर सकती, नागरिक अधिकार सर्वोच्च.
व्यक्ति कुछ मौलिक अधिकारों से संपन्न है. संविधान इन अधिकारों की निशानदेही कर राज्य को बताता है कि वह व्यक्ति के जीवन में कहां हस्तक्षेप नहीं कर सकता.