फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में दो और सीतापुर, लखीमपुर खीरी, ग़ाज़ियाबाद और मुज़फ़्फ़रनगर ज़िलों में एक-एक केस दर्ज किए गए हैं. यूपी पुलिस ने इन मामलों की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन भी किया है. ज़ुबैर इन एफ़आईआर को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील की है. अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी.
पूर्व नौकरशाहों के कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप ने देश के मुख्य न्यायाधीश को लिखे एक खुले पत्र में कहा कि अब समस्या केवल स्थानीय स्तर पर पुलिस और प्रशासन की 'ज़्यादतियों' की नहीं है बल्कि तथ्य यह है कि क़ानून के शासन, उचित प्रक्रिया और 'दोषी साबित न होने तक निर्दोष माने जाने' के विचार को बदला जा रहा है.
देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने एक कार्यक्रम में कहा कि हमारी न्यायपालिका पर काम का बोझ है. देश के विभिन्न हिस्सों में न्यायिक अवसंरचना अपर्याप्त है. भारतीय न्यायपालिका और ख़ासकर निचली अदालतों को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा लंबित मामलों का है.
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कॉलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि न्यायिक नियुक्तियों पर उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले जनता के विश्वास को बनाए रखने के मक़सद से होते हैं. न्यायाधीशों की नियुक्ति लंबी परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से होती है, जहां कई हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया जाता है.
देश के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सीबीआई के एक आयोजन को संबोधित करते हुए कहा कि शुरुआत में सीबीआई पर जनता को भरोसा था, लेकिन समय बीतने के साथ हर प्रतिष्ठित संस्था की तरह सीबीआई भी सार्वजनिक जांच के घेरे में आ गई है. इसके कार्यों और निष्क्रियता ने कुछ मामलों में इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं.
मुंबई प्रेस क्लब द्वारा डिजिटल माध्यम से आयोजित ‘रेड इंक अवॉर्ड्स’ समारोह में चीफ जस्टिस एनवी रमना ने ख़बरों में वैचारिक पूर्वाग्रह मिलाने की प्रवृत्ति को लेकर कहा कि तथ्यात्मक रिपोर्ट्स में रायशुमारी से बचना चाहिए. पत्रकार, जजों की तरह ही होते हैं. उन्हें अपनी विचारधारा और आस्था से परे बिना किसी से प्रभावित हुए केवल तथ्यों को बताना चाहिए और सच्ची तस्वीर पेश करनी चाहिए.
पेशेवर करिअर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में करने वाले चीफ जस्टिस एनवी रमना ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पूर्व में हमने घोटालों और कदाचार को लेकर अख़बारों की रिपोर्ट देखी हैं, जिनसे हलचल पैदा हुई हैं, लेकिन हाल के सालों में बेमुश्किल एक या दो को छोड़कर इस तरह की कोई खोजी रिपोर्ट याद नहीं आती.
केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, सरकार के पास लंबित 126 प्रस्तावों में से सर्वोच्च अदालत के कॉलेजियम ने 35 नामों को स्वीकार करने के लिए भेजा है, जो कि न्याय विभाग के लंबित हैं. वहीं अन्य 75 सिफारिशें भी इसी विभाग के पास लंबित हैं. इसी तरह 13 प्रस्ताव कानून एवं न्याय मंत्रालय और तीन प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय में विचाराधीन हैं.
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले में 2002 में हुए एक कथित एनकाउंटर मामले में एक दशक से अधिक समय तक सिर्फ़ एक पुलिसकर्मी की गिरफ़्तारी के बाद कोई और गिरफ़्तारी नहीं हुई थी. इतना ही नहीं एक फ़रार आरोपी पुलिसकर्मी इस दौरान सेवानिवृत्त भी हो गया, लेकिन उसे सेवानिवृत्ति का बकाया और अन्य लाभ बेरोक-टोक मिल रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो दशकों से न्याय से इनकार किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने यह टिप्पणी उस समय की, जब अदालत की पीठ छत्तीसगढ़ के निलंबित अतिरिक्त डीजी गुरजिंदर पाल सिंह के खिलाफ राजद्रोह, भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के अपराधों के लिए राज्य सरकार द्वारा दर्ज तीन एफआईआर के संबंध में तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने छत्तीसगढ़ पुलिस अकादमी के निलंबित निदेशक गुरजिंदर पाल सिंह की अपील पर यह टिप्पणी की. सिंह ने जबरन उगाही के आरोप में तीसरी एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद दंडात्मक कार्रवाई से बचाव का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है.
सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने केंद्र की दलीलों को दरकिनार करते हुए 12 ऐसे नामों को दोहराया है, जिस पर मोदी सरकार ने पूर्व में आपत्ति जताई थी. नियम के मुताबिक यदि कॉलेजियम किसी सिफ़ारिश को दोहराती है तो केंद्र सरकार को हर हाल में उसकी नियुक्ति सुनिश्चित करनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नामों पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया पवित्र है और इसके साथ गरिमा जुड़ी हुई है. मीडिया को इस पवित्रता को समझना और पहचानना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस नवीन सिन्हा की सेवानिवृत्ति के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की है.
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल संसद को रिपोर्ट करने वाले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की तरह सीबीआई को भी एक स्वायत्त संस्था होना चाहिए. सीबीआई की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए इसे वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए.
सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने जिन तीन महिला जजों की सिफ़ारिश की है, उनमें कर्नाटक उच्च न्यायालय की जस्टिस बीवी नागरत्ना, तेलंगाना हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हिमा कोहली और गुजरात हाईकोर्ट की जज जस्टिस बेला त्रिवेदी शामिल हैं. जस्टिस नागरत्ना देश की पहली महिला सीजेआई बन सकती हैं. 19 मार्च 2019 को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष न्यायालय में कोई नियुक्ति नहीं हुई है.