वीडियो: पूर्व आईपीएस अधिकारी अब्दुर रहमान की नई किताब 'पॉलिटिकल एक्सक्लूशन ऑफ इंडियन मुस्लिम्स' के लोकार्पण के अवसर पर नई दिल्ली में हुए कार्यक्रम में एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी का भाषण.
वीडियो: पूर्व आईपीएस अधिकारी अब्दुर रहमान की नई किताब 'पॉलिटिकल एक्सक्लूशन ऑफ इंडियन मुस्लिम्स' के लोकार्पण के अवसर पर नई दिल्ली में हुए कार्यक्रम में राष्ट्रीय जनता दल के सांसद और डीयू में प्रोफेसर मनोज कुमार झा का भाषण.
जो लोग यक़ीन करते हैं कि भारत अब भी एक लोकतंत्र है, उनको बीते कुछ महीनों में मणिपुर से लेकर मुज़फ़्फ़रनगर तक हुई घटनाओं पर नज़र डालनी चाहिए. चेतावनियों का वक़्त ख़त्म हो चुका है और हम अपने अवाम के एक हिस्से से उतने ही ख़ौफ़ज़दा हैं जितना अपने नेताओं से.
जब पत्रकारिता सांप्रदायिकता की ध्वजवाहक बन जाए तब उसका विरोध क्या राजनीतिक के अलावा कुछ और हो सकता है? और जनता के बीच ले जाए बग़ैर उस विरोध का कोई मतलब रह जाता है? इस सवाल का जवाब दिए बिना क्या यह समय बर्बाद करने जैसा नहीं है कि 'इंडिया' गठबंधन का तरीका सही है या नहीं.
महाराष्ट्र में कोल्हापुर के कई शैक्षणिक संस्थानों में हाल ही में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया है. पुलिस पर उन शिक्षकों के ख़िलाफ़ मामले दर्ज करने का दबाव है, जो दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी समूहों पर सवाल उठाते हैं. ऐसे कई संगठनों को इस क्षेत्र में मजबूत आधार मिल रहा है, जिससे मुस्लिम समुदाय पर हिंसक हमलों सहित क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा मिला है.
नूंह के मेव मुसलमान सदियों से क्षेत्र के हिंदुओं के साथ घनिष्ठ संबंध और सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन साझा करते आए हैं, लेकिन 2017 के बाद से शुरू हुईं लिंचिंग की घटनाओं और नफ़रत के चलते होने वाली हिंसा ने इस रिश्ते में दरार डाल दी है.
कर्नाटक के शिवमोगा ज़िले का मामला. शिक्षा विभाग ने महिला शिक्षक का तबादला कर दिया है. इस बारे में दर्ज शिकायत में कहा गया है कि शिक्षक मंजुला देवी बीते 31 अगस्त को 5वीं कक्षा में पढ़ा रही थीं, तभी दो मुस्लिम छात्र आपस में झगड़ने लगे. शिक्षक ने दोनों को डांटा और कथित तौर पर उनसे कहा कि यह उनका देश नहीं है.
31 जुलाई को नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से किसानों ने हरियाणा में सांप्रदायिकता का मुक़ाबला करने के लिए क्षेत्र में तीन बड़ी बैठकें की हैं. इसके अलावा खाप पंचायतों की इसी तरह की 20 से अधिक बैठकें हो चुकी हैं. किसान संगठनों का कहना है कि आगामी राज्य और संसदीय चुनावों से पहले लोग ‘ध्रुवीकरण को रोकने के लिए एकजुट’ हो गए हैं.
गुड़गांव के सेक्टर 69 की एक चाय की दुकान की दीवार पर ये आपत्तिजनक पोस्टर चिपकाए गए थे, जिनमें मुसलमानों से सोमवार तक जगह छोड़ने वरना परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी. हालांकि दुकान के मालिक ने कबाड़ का काम करने वाले एक व्यक्ति पर इसका संदेह जताया है, जिससे कुछ दिन पहले उनका विवाद हुआ था.
नूंह प्रशासन ने 28 अगस्त को प्रस्तावित विश्व हिंदू परिषद की 'ब्रज मंडल यात्रा' को आधिकारिक तौर पर अनुमति देने से इनकार कर दिया है. इसके पहले 31 जुलाई को दक्षिणपंथी संगठनों की यात्रा के दौरान नूंह और आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी.
बीते 31 जुलाई को हरियाणा के नूंह शहर में विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदू दक्षिणपंथी समूहों द्वारा निकाली गई एक धार्मिक यात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान छह लोगों की मौत हो गई थी. अब कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने घोषणा की है कि वे नूंह में धार्मिक यात्रा ‘फिर से शुरू’ करेंगे.
हरियाणा की नूंह पुलिस ने गोरक्षक राजकुमार उर्फ बिट्टू बजरंगी बीते 31 अगस्त को हुई सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में गिरफ़्तार किया है. इस हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई थी. मामले में गोरक्षक मोनू मानेसर भी आरोपी हैं. दोनों पर दक्षिणपंथी समूहों की यात्रा से पहले मुस्लिम बहुल ज़िले नूंह में सांप्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप है.
साक्षात्कार: इतिहासकार, शिक्षाविद और नारीवादी उमा चक्रवर्ती देश की आज़ादी के समय छह साल की थीं. शिक्षा, समाज सेवा, फिल्म निर्माण जैसे क्षेत्रों में व्यापक काम कर चुकीं उमा का कहना है कि आज धर्म के आधार पर हो रही लिंचिंग, दंगे आदि स्वतंत्रता आंदोलन और उससे जुड़े वादों के साथ धोखा हैं.
‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ को राजनीतिक एजेंडा कहना ज़्यादा बेहतर है. जहां इसके सरकारी आयोजन से जुड़ी प्रदर्शनी की सामग्री में विभाजन की त्रासदी में मुसलमानों से जुड़ा कोई दुखद पहलू प्रदर्शित नहीं किया गया है, वहीं आयोजक अतिथियों को 'अखंड भारत' के नक़्शे वाले स्मृति चिह्न भेंट करते दिखे.
हिंदुस्तान में जगह-जगह दरारें पड़ रही हैं या पड़ चुकी हैं. यह कहना बेहतर होगा कि ये दरारें डाली जा रही हैं. पिछले विभाजन को याद करने से बेहतर क्या यह न होगा कि हम अपने वक़्त में किए जा रहे धारावाहिक विभाजन पर विचार करें और उसे रोकने को कुछ करें?