इसी तरह के एक अन्य मामले में कर्नाटक के शिवमोगा में मुस्लिम युवती को अपने दोपहिया वाहन से उसके ऑफिस छोड़ने के लिए एक हिंदू युवक से दुर्व्यवहार के आरोप में दो मुस्लिम युवकों को गिरफ़्तार किया गया है.
अगर किसी के ख़िलाफ़ शक़ और नफ़रत समाज में भर दी जाए तो उस पर हिंसा आसान हो जाती है क्योंकि उसका एक कारण पहले से तैयार कर लिया गया होता है. आज हिंसा और हत्या की इस संस्कृति को समझना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है इसके पहले कि यह देश को पूरी तरह तबाह कर दे.
असम में ज़मीन से ‘बाहरी’ लोगों की बेदख़ली मात्र प्रशासनिक नहीं, राजनीतिक अभियान है. बेदख़ली एक दोतरफा इशारा है. हिंदुओं को इशारा कि सरकार उनकी ज़मीन से बाहरी लोगों को निकाल रही है और मुसलमानों को इशारा कि वे कभी चैन से नहीं रह पाएंगे.
हिंदुत्ववादी कट्टरपंथी संगठनों को लेकर सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा बरती जाने वाली ख़ामोशी का अर्थ है कि वे इसे राष्ट्र या सरकार के लिए किसी प्रकार का ख़तरा नहीं मानते. इस तरह के रवैये से बहुसंख्यकवादी नैरेटिव को ही बढ़ावा मिलता है.
कर्नाटक के बेलगावी ज़िले का मामला. 28 सितंबर को 24 साल के अरबाज मुल्ला का क्षत-विक्षत शव ज़िले से लगभग 30 किलोमीटर दूर रेलवे ट्रैक से बरामद किया गया. मृतक की मां ने दक्षिणपंथी संगठन श्रीराम सेना के दो सदस्यों और हिंदू युवती के पिता के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई है.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले का मामला. परिजनों ने एफ़आईआर पर हैरानी जताते हुए कहा कि उनके लड़के कक्षा 12 में पढ़ते हैं और वे अपने दोस्तों के बीच महज़ ‘बातचीत’ कर रहे थे. इसे लेकर बेवजह किसी ने शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत दर्ज कराने वाले भाजपा नेता ने कहा कि वीडियो के चलते लोगों में ग़ुस्सा है और इसके चलते धार्मिक विद्वेष फैल सकता है.
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार मंत्रिमंडल विस्तार में पिछड़ी मानी जाने वाली जातियों के नेताओं को जगह देकर उनकी शुभचिंतक होने का डंका पीट रही है. हालांकि जानकारों का सवाल है कि यदि ऐसा ही है तो प्रदेश के यादवों, जाटवों और राजभरों पर उसकी यह कृपा क्यों नहीं बरसी?
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में क़रीब पांच महीने बाकी हैं, लेकिन सियासी सरगर्मियां बढ़ चुकी हैं. मंत्रिमंडल परिवर्तन से लेकर राजनीतिक दलों के गठजोड़ देखने को मिल रहे हैं. पर राज्य की जनता क्या बदलाव चाहती है या वर्तमान व्यवस्था में उसका भरोसा बना हुआ है?
कथित ‘सबसे बड़े धर्मांतरण सिंडिकेट’ चलाने के आरोप में यूपी एटीएस ने इस्लामिक विद्वान मौलाना कलीम सिद्दीक़ी को बीते 21 सितंबर को मेरठ से गिरफ़्तार किया था. सिद्दीक़ी के वकील ने कहा है कि पुलिस साक्ष्य के रूप में उनके यूट्यूब चैनल को पेश कर रही है, जो कि पहले से ही सार्वजनिक है और उसमें कुछ भी आपराधिक या देश के ख़िलाफ़ नहीं है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर निशाना साधते हुए दावा किया था कि '2017 से पहले केवल 'अब्बा जान' कहने वालों को ही राशन मिलता था. आज अगर कोई गरीब लोगों के राशन को हथियाने की कोशिश करेगा, तो वह निश्चित रूप से जेल चला जाएगा.' इस बयान पर चर्चा कर रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कुशीनगर में कहा था कि साल 2017 से पहले सिर्फ ‘अब्बा जान’ कहने वालों को ही राशन मिलता था. आंकड़े दर्शाते हैं कि ऐसा किसी भी तरह से संभव नहीं है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने योगी आदित्यनाथ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मेरा मानना रहा है कि भाजपा का सारा ज़हर मुस्लिमों के प्रति होता है. यहां एक मुख्यमंत्री हैं, जो दोबारा यह दावा कर चुनाव जीतना चाहते हैं कि मुस्लिमों ने हिंदुओं के हिस्से का पूरा राशन खा लिया. योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि वर्ष 2017 से पहले सिर्फ़ ‘अब्बा जान’ कहने वालों को ही राशन मिलता
इस साल 21 जून को उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकरोधी दस्ते ने दिल्ली से दो मौलवियों को गिरफ़्तार किया था और धर्मांतरण में कथित रूप से शामिल एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया था. बाद में पुलिस ने आठ अन्य लोगों को गिरफ़्तार किया था और दावा किया था कि आरोपियों ने बड़े पैमाने पर धर्मांतरण को अंजाम दिया.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीनाथ डोसा स्टॉल पर देवराज पंडित और राष्ट्रीय हिंदू युवा वाहिनी के कुछ कार्यकर्ताओं ने बीते 18 अगस्त को एक मुस्लिम के काम करने की वजह से हमला कर दिया था. हमले के बाद इसका नाम बदलकर अमेरिकन डोसा कॉर्नर नाम दिया गया है. इसे लेकर द वायर ने कुछ खाद्य स्टॉल मालिकों और पुलिस उपाधीक्षक वरुण कुमार सिंह से मुलाकात की और देवराज पंडित के एक दोस्त से भी बात की, जो हिंदुत्ववादी
आम आदमी पार्टी का दावा है कि उसके तिरंगे के रंग पक्के हैं. शुद्ध घी की तरह ही वह शुद्ध राष्ट्रवाद का कारोबार कर रही है. भारत और अभी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को राष्ट्रवाद का असली स्वाद अगर चाहिए तो वे उसकी दुकान पर आएं. उसकी राष्ट्रवाद की दाल में हिंदूवाद की छौंक और सुशासन के बघार का वादा है.