फारूक़ अब्दुल्ला ने संघ को दी उन्माद से बचने की नसीहत, कहा- धार्मिक आधार पर देश को बांटने का चलन राष्ट्रहित के लिए घातक. इधर आरएसएस के भैयाजी जोशी ने कहा, हिंदुत्व से बदलेगा समाज.
विपक्षी नेताओं को उम्मीद, गुजरात चुनाव के नतीजे अनुकूल हुए तो विपक्षी एकता में नई जान फूंक सकेंगे राहुल गांधी.
आप कांग्रेस और भाजपा को कोस सकते हैं, लेकिन संघ परिवार को क्या कहेंगे जिसने धर्म और समाज के लिए लज्जा का यह काला दिन आने दिया?
भूमंडलीकरण की बाज़ारोन्मुख आंधी में कट्टरता और सांप्रदायिकता अयोध्या के बाज़ार की अभिन्न अंग बनीं तो अभी तक बनी ही हुई हैं.
भाजपा बोली- जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग, इसे नहीं मानने वालों को पाकिस्तान में शरण लेनी होगी.
केजरीवाल ने कहा, कांग्रेस की तरह ही भाजपा सरकार ने भी घोटालों की झड़ी लगा दी है. समय आ गया है कि भाजपा को भी उखाड़ फेंका जाए.
मशहूर शायर व गीतकार ने कहा, टीपू सुल्तान भारतीय नहीं थे और अगर मैं इससे सहमत नहीं, तो मैं राष्ट्रद्रोही बन जाऊंगा, तो मैं राष्ट्रद्रोही हूं.
बंगाल कांग्रेस ने कहा, आज़ादी के बाद से बंगाल में सांप्रदायिकता और जाति कभी मुद्दा नहीं था, जानबूझकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ा जा रहा है.
दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर लिखती हैं, ‘मेरे लिए महज एक हिंदू होने से ज़्यादा ज़रूरी इंसान होना है. इस साल दीवाली पर मेरे घर में तो अंधेरा रहेगा, लेकिन मेरे मन का कोई कोना ज़रूर रोशन होगा.’
अब यह हम पर निर्भर है कि क्या हम ये होने देंगे या अपने दौर के लिए एक नया गांधी रचेंगे.
गांधी गाय को माता मानते हुए भी उसकी रक्षा के लिए इंसान को मारने से इनकार करते हैं. उनके ही देश में गोरक्षकों ने पीट-पीट कर मारने का आंदोलन चला रखा है.
साझी विरासत बचाओ सम्मेलन में आठ ग़ैर भाजपाई दलों ने साधा नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना.
भीड़ को राजनीति और सत्ता मिलकर पैदा करते हैं. उन्हें निर्देशित करते हैं. फिर भीड़ उनके नियंत्रण से भी बाहर निकल जाती है. वह किसी की नहीं सुनती.
प्रेमचंद लिखते हैं, ‘राष्ट्रीयता वर्तमान युग का कोढ़ है, उसी तरह जैसे मध्यकालीन युग का कोढ़ सांप्रदायिकता थी.’
भीड़-मानसिकता को जब कोई सांप्रदायिक विचारधारा नियंत्रित करती है तो निश्चित रूप से नारे भले ही अखंड भारत के लगें, भीतर ही भीतर विभाजन की पूर्वपीठिका तैयार की जा रही होती है.